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    साध्वी पदमावती के समर्थन में उतरा उत्तराखंड महिला मंच Dehradun News

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 19 Feb 2020 05:01 PM (IST)

    साध्वी पद्मावती के समर्थन में उत्तराखंड महिला मंच आगे आया है। मंच ने राज्य और जिला प्रशासन पर महिलाओं के अपमान के प्रति निष्क्रियता का आरोप लगाया।

    साध्वी पदमावती के समर्थन में उतरा उत्तराखंड महिला मंच Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर अनशन करने वाली साध्वी पद्मावती के समर्थन में उत्तराखंड महिला मंच आगे आया है। मंच ने राज्य और जिला प्रशासन पर महिलाओं के अपमान के प्रति निष्क्रियता का आरोप लगाया। साथ ही मंगलवार को मंच के बैनर तले महिलाओं ने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित किया। 

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    बताया कि गंगा निर्मलता को लेकर साध्वी पद्मावती करीब डेढ़ महीने तक अनशन पर बैठी रहीं, लेकिन 46वें दिन पुलिस ने जबरदस्ती उन्हें उठाया और स्वास्थ्य लाभ के लिए दून अस्पताल में भर्ती कर दिया। पद्मावती के स्वास्थ्य की जांच करने वाले चिकित्सक पर महिला मंच ने आरोप लगाए कि उन्होंने साध्वी को अपमानित किया, जो निंदनीय है। संबंधित चिकित्सक पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने मांग की कि अपने पेशे से खिलवाड़ करने वाले चिकित्सक को सेवा से बर्खास्त किया जाए। विरोध-प्रदर्शन करने वाली महिलाओं में सुशीला भंडारी, शांति सेमवाल, सुमित्रा वेदवाल, हेमलता नेगी, विमला पंवार, सरला रावत, सरोजनी चमोली, दीपा देवी, विजय नैथानी आदि मौजूद रहीं। 

    मुजफ्फरनगर कांड का मामला भी उठाया 

    महिला मंच ने इस बात पर भी दुख जताया कि 25 वर्ष से भी अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज तक मुजफ्फरनगर कांड के आरोपितों को सजा नहीं हुई है। किसी भी सरकार ने इस अति संवेदनशील मामले में गंभीरता नहीं दिखाई, जबकि पूरा प्रकरण राज्य की महिलाओं की स्मिता से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के प्रशासनिक अधिकारी भी महिलाओं के प्रति संवेदनहीन हो चुके हैं। वह सत्ताधारी पार्टी नेताओं के स्तुति में लगे हुए हैं। जबकि उनकी पहली जिम्मेदारी प्रदेश की जनता की सुरक्षा है। 

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    संविधान की अनदेखी कर रही मोदी सरकार 

    स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) के राज्य शिविर में वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। कहा कि सरकार संविधान की अनदेखी कर रही है। इस मौके पर शिक्षा के निजीकरण को लेकर चिंता भी जताई गई। 

    न्यू पार्क रोड स्थित पूरण चंद स्मृति भवन में तीन दिवसीय शिक्षण शिविर के दूसरे दिन मंगलवार को संविधान पर चर्चा आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता संगठन के वरिष्ठ नेता नितिन मलेठा ने की। चर्चा को संबोधित करते हुए एसएफआइ राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य अमित ठाकुर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी लाकर संविधान की मूल भावना की अनदेखी कर रही है। चर्चा की गई कि कैसे संविधान पर लगातार हमला किया जा रहा है। 

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    उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता पर आज जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। एसएफआइ के वरिष्ठ सदस्य विक्रम सिंह ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा को प्रारंभ करते हुए कहा कि आज देश को विज्ञान-प्रौद्योगिकी व शोध कार्य को प्रोत्साहित करने वाली नई शिक्षा नीति की दरकार है। व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा और कौशल विकास आधारित शिक्षा से ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कहा कि शिक्षा बजट पर लगातार कटौती की जा रही है। साथ ही शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे देश का एक बड़ा तबका शिक्षा से वंचित रहता है। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश सचिव हिमांशु चौहान ने किया। 

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