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उत्तराखंड में कितनी निर्मल हुई गंगा अब पता चलेगा, सैंपल लेने का कार्य शुरू

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने इसको देखते हुए देवप्रयाग से हरिद्वार तक गंगा जल के सैंपल लेने का कार्य शुरू कर दिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 09:21 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 09:42 PM (IST)
उत्तराखंड में कितनी निर्मल हुई गंगा अब पता चलेगा, सैंपल लेने का कार्य शुरू
उत्तराखंड में कितनी निर्मल हुई गंगा अब पता चलेगा, सैंपल लेने का कार्य शुरू

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में लॉकडाउन अवधि में गंगा कितनी निर्मल हुई, अब इसका पता चलेगा। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने इसको देखते हुए देवप्रयाग से हरिद्वार तक गंगा जल के सैंपल लेने का कार्य शुरू कर दिया है। इससे ये साफ हो सकेगा कि लॉकडाउन के बाद की स्थिति से गंगा के जल पर क्या असर पड़ा है। पीसीबी के मुताबिक एक सप्ताह बाद सभी सैंपलों की केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच पूरी होने के बाद ही इस संबंध में तस्वीर साफ हो सकेगी। 

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उत्तराखंड देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके तहत गंगा से लगे 15 शहरों व कस्बों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि गंदगी गंगा में न जाने पाए। 90 फीसद एसटीपी का कार्य पूरा हो चुका है। गंगा में गिर रहे 135 नालों को भी टैप किया गया है। इन कार्यों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।

पीसीबी की रिपोर्ट पर ही गौर करें तो उद्गम स्थल गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के पानी की गुणवत्ता ए श्रेणी की है। यानी, इस पानी को बगैर उपचारित किए पिया जा सकता है। ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक गंगा जल की गुणवत्ता बी श्रेणी की है। यानी पानी को उपचारित करने के बाद ही पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।

ऋषिकेश की आबोहवा हुई शुद्ध, 50 फीसद घटा प्रदूषण

लॉकडाउन में ना के बराबर वाहन चल रहे हैं और कल-कारखाने भी अधिकतर बंद चल रहे हैं। ऐसे में वायु प्रदूषण अब तक के इतिहास में सबसे निम्न स्तर पर आ गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने मंगलवार को दून में वायु प्रदूषण का स्तर मापा था और बुधवार को ऋषिकेश में वायु की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया। पता चला कि तीर्थनगरी ऋषिकेश में वायु प्रदूषण में फरवरी माह की अपेक्षा 50 फीसद से भी अधिक की कमी आ गई है।

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ऋषिकेश में पीएम-10 की मात्र 53.55 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाई गई। वहीं, फरवरी माह में यह स्तर 112.3 (अधितकम सीमा 100 होनी चाहिए) था। इस तरह देखे में प्रदूषण के स्तर में 52.1 फीसद की कमी दर्ज की गई। बुधवार को बोर्ड ने दून में मॉनिटरिंग नहीं की। हालांकि, जागरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेबसाइट विंडी से सेटेलाइट आधारित डाटा जुटाए तो पता चला कि यहां पीएम-2.5 का स्तर 18 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। यही स्तर ऋषिकेश में 19 पाया गया। सामान्य दिनों में यह स्तर 100 को भी पार कर जाता है, जबकि पीएम 2.5 की अधिकतम सीमा 60 होनी चाहिए। 

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