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Lockdown 4.0: वाहनों के लिए की गई ऑड-ईवन व्यवस्था समाधान कम और समस्या ज्यादा

लॉकडाउन 4.0 में सरकार ने निजी चार पहिया वाहनों के लिए ऑड-ईवन की जो व्यवस्था लागू की है उससे कोरोना संक्रमण की रोकथाम की जगह चुनौती ही बढ़ती दिख रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 06:23 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 06:23 PM (IST)
Lockdown 4.0: वाहनों के लिए की गई ऑड-ईवन व्यवस्था समाधान कम और समस्या ज्यादा
Lockdown 4.0: वाहनों के लिए की गई ऑड-ईवन व्यवस्था समाधान कम और समस्या ज्यादा

देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन 4.0 में सरकार ने निजी चार पहिया वाहनों के लिए ऑड-ईवन (सम-विषम संख्या के हिसाब से) की जो व्यवस्था लागू की है, उससे कोरोना संक्रमण की रोकथाम की जगह चुनौती ही बढ़ती दिख रही है। क्योंकि निजी वाहनों पर अंकुश लगेगा तो सार्वजनिक परिवहन पर दबाव बढ़ेगा और यहां पहले से ही इनका संचालन सिर्फ 50 फीसद यात्री क्षमता के हिसाब से किया जाना है। सीधा मतलब है कि या तो सार्वजनिक परिवहन में यात्रियों की संख्या बढ़ेगी या निजी वाहनों में। बेशक सरकार ने निजी वाहनों में भी यात्रियों की संख्या तय की है, मगर लॉकडाउन की पिछली व्यवस्था में इसका कितना पालन कराया जा सका, यह किसी से छिपा नहीं है।

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कोरोना संक्रमणकाल में ऑड-ईवन की व्यवस्था इसलिए भी गले नहीं उतर रही, क्योंकि यह नियम ऐसी परिस्थितियों के लिए नहीं बना है। जहां भी ऑड-ईवन का नियम लागू किया जाता है, वहां इसका मतलब होता है कि लोगों को कार पूलिंग के लिए प्रेरित किया जाए। ताकि वायु प्रदूषण का स्तर कम हो सके। इस समय वायु प्रदूषण नहीं, बल्कि लोगों को शारीरिक दूरी का पालन कराने की अनिवार्यता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करने से कोरोना संक्रमण कम नहीं हो सकता, बल्कि लोग शारीरिक दूरी का पालन करें, तभी संक्रमण पर अंकुश लगाया जा सकता है।

लिहाजा, निजी चौपहिया वाहनों के लिए ऑड-ईवन की व्यवस्था सिर्फ वाहनों पर दबाव बढ़ाने का काम करेगी। मान लीजिए कि एक व्यक्ति की कार सोमवार को नहीं चल सकती और उसे जरूरी काम के लिए जाना है तो वह अपने ऐसे परिचित के वाहन में यात्र करेगा, जो उस दिन चल सकता हो। ऐसे में लोग अनावश्यक रूप से एक-दूसरे के संपर्क में आते चले जाएंगे। एक-दूसरे के संपर्क में जितनी तेजी से लोग आएंगे, कोरोना संक्रमण का खतरा भी उतना ही अधिक रहेगा। इस बात को सरकार को भी समझना चाहिए कि वाहनों पर अंकुश लगाने की जगह लोगों के एक-दूसरे के संपर्क में आने पर अंकुश लगाना होगा। 

गाइडलाइन में यह भी साफ नहीं है कि किस तरह के सार्वजनिक वाहन चलेंगे, क्योंकि शहरों में ऑटो-रिक्शा से लेकर विक्रम भी सार्वजनिक वाहन का हिस्सा हैं। इनमें तो वैसे भी शारीरिक दूरी का पालन करा पाना संभव नहीं है। अगर इन्हें बाहर किया जाता है तो अन्य माध्यम पर वैसे ही दबाव बढ़ जाएगा। सिर्फ एक ही विकल्प है कि निजी वाहनों के संचालन में किसी तरह का बदलाव न किया जाए।

दुपहिया पर पिछली सवारी न बैठाने का नियम भी टूटेगा

ऑड-ईवन नियम में भले ही दुपहिया वाहनों को छूट दी गई है, मगर इससे भी फायदा होने की जगह नुकसान अधिक दिख रहा है। वह इसलिए कि वाहनों की कमी होने के चलते लोग दुपहिया पर पीछे बैठकर भी चलने को विवश होंगे। जब सामान्य स्थिति में ही यह नियम टूट रहा है तो असामान्य हालात में इसकी प्रवृत्ति भी बढ़ेगी।

दून में आज भी नियमों में कोई बदलाव नहीं

देहरादून में लॉकडाउन के नए नियम मंगलवार से भी लागू नहीं हो पाएंगे। शासन की ओर से गाइडलाइन देर रात जारी होने पर जिला प्रशासन को इस पर मंथन का समय नहीं मिल पाया। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि नई गाइडलाइन पर अपने जिले के हिसाब से मंगलवार को निर्णय लिया जाएगा। नियम में बदलाव के हिसाब से जिले की स्थिति की समीक्षा की जा रही है और जो भी आदेश होंगे, वह बुधवार से ही लागू होगा।

गाइडलाइन पर रही गफलत की स्थिति

नई गाइडलाइन को लेकर व्यापारियों, सरकारी/निजी कार्मिकों व अन्य लोगों में गफलत की स्थिति रही। इसको लेकर मीडिया कार्यालयों के फोन भी घनघनाते रहे कि मंगलवार से किस तरह के बदलाव किए जा रहे हैं। या जिन नियमों का उल्लेख गाइडलाइन में किया गया है, क्या वह मंगलवार से लागू हो जाएंगे। हालांकि, जब रात को जिला प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट की, तब जाकर गफलत दूर हो पाई।

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सभी अपने वाहन से चलें, सुरक्षा तभी

एक पल के लिए मान भी लिया जाए कि एक कार में तीन ही लोग बैठेंगे, तब भी किसी परिचित की कार में बैठने की विवशता कोरोना के खतरे को बढ़ाती चली जाएगी। क्योंकि जिस सीट पर कोई अन्य व्यक्ति बैठा है, थोड़ी देर बाद उसमें कोई और भी बैठ सकता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ तो बिना बात संक्रमण फैलने की परिस्थिति बन जाएगी। 

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