होम क्वारंटाइन के नियमों का प्रवासी उड़ा रहे हैं मखौल, जानें क्वारंटाइन में किन बातों का रखें ख्याल
प्रवासी पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। प्रशासन की लाख हिदायत के बाद भी अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। जमातियों की गैरजिम्मेदाराना हरकत से प्रदेश अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाया है और प्रवासी पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। प्रशासन की लाख हिदायत के बाद भी दिल्ली, मुंबई, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन नहीं कर रहे। जिससे अब तक सुरक्षित रहे राज्य के ग्रामीण अंचलों में भी कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ गया है। प्रदेश में अब तक 82 हजार प्रवासी आ चुके हैं। इसलिए प्रदेश आ रहे प्रवासियों को समझना होगा कि होम क्वारंटाइन का मतलब सजा नहीं है बल्कि यह जीवन रक्षा का मूलमंत्र है।
वहीं, पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए होम क्वारंटाइन के नियमों का मखौल उड़ाने वालों पर मुकदमा दर्ज करना शुरू कर दिया है। गुरुवार को देहरादून में एक प्रवासी पर मुकदमा दर्ज करने के साथ ही इसकी शुरुआत भी हो गई। उसे दून लौटने के बाद होम क्वारंटाइन किया गया था। लेकिन, वह घर से बाहर घूमता मिला और उसकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिधिम अग्रवाल ने बताया कि क्वारंटाइन शब्द को केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में शामिल किया है। इसका मतलब घर, अस्पताल, फार्म हाउस, होटल जैसी जगहों पर व्यक्ति को आइसोलेट कर देना होता है, जिससे वह अन्य लोगों के संपर्क में न आए। उसे 14 दिन तक कहीं आने-जाने या किसी और से संपर्क करने से रोका जाता है।
जीपीएस से निगरानी हवा-हवाई
प्रवासियों के होम क्वारंटाइन के नियमों का पालन न करने की जानकारी होने पर सरकार ने कुछ दिन पहले जीपीएस से इनकी निगरानी का फैसला किया था। लेकिन, तमाम प्रवासियों ने घर पहुंचने के बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया या फिर दुर्गम इलाकों में मोबाइल नेटवर्क न होने से ये लोग निगरानी से दूर हो गए।
किसे जरूरी है होम क्वारंटाइन में रखना
जो लोग रेड या ऑरेंज जोन या फिर ऐसे देश से आए हों, जहां कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है। यह लोग भले ही स्वस्थ हों, लेकिन कोरोना वायरस के कॅरियर या मरीज हो सकते हैं। वायरस 14 दिन में असर दिखा सकता है, इसलिए इन लोगों को घर में क्वारंटाइन होने की आवश्यकता होती है। अगर घर में जगह नहीं है तो ऐसे लोग संस्थागत क्वारंटाइन भी हो सकते हैं।
यह करें होम क्वारंटाइन में
- 14 दिन की अवधि एक अलग कमरे में बितानी होती है। परिवार के लोग यदि मिलना चाहें तो दो मीटर की दूरी से मिल सकते हैं। क्वारंटाइन व्यक्ति को मुंह पर मास्क या रुमाल लगाना अनिवार्य होता है।
- हाथों को बार-बार साबुन पानी से धोते रहें या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार होने पर तत्काल अस्पताल जाएं।
- होम क्वारंटाइन का मतलब यह नहीं कि संबंधित व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव ही हो। इसलिए घबराएं नहीं। बेङिाझक बताएं कि मैं क्वारंटाइन पीरियड में हूं। मुझसे दूर रहें।
भाई-बंदगी में लाचार हुए वालंटियर्स
एसडीआरएफ ने राज्य में करीब पांच हजार वालंटियर्स तैयार किए, जो आम लोगों के बीच से थे। भरोसा था कि होम क्वारंटाइन में भेजे गए लोगों की यह पूरी मुस्तैदी से निगरानी करेंगे, लेकिन लॉकडाउन में ढील के बाद उनमें से तमाम अपने कामकाज में व्यस्त हो गए। इसके अलावा आपसी रिश्ते बिगड़ने की आशंका में ये वालंटियर्स अपने गांव या क्षेत्र में किसी के नियम उल्लंघन की सूचना भी देने से कतरा रहे हैं।
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पुलिस महानिदेशक अपराध और कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि प्रवासियों को अनिवार्य रूप से होम क्वारंटाइन के नियम का पालन करना है। प्रवासियों को घर भेजने से पहने यह बात अच्छी तरह समझाई जा रही है। फिर भी अगर कोई इसका उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उसके खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसकी शुरुआत हो गई है।
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