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    ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी ला रहा उत्तराखंड, बड़े राज्यों से बढ़ेगा कॉम्पिटिशन

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 03:08 PM (IST)

    उत्तराखंड सरकार ग्रीन हाइड्रोजन नीति लाने की तैयारी में है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इस नीति के साथ, राज्य को राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिन्होंने पहले से ही इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया है। उत्तराखंड को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीतियां और रियायतें प्रदान करनी होंगी।

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    उत्तराखंड ने तैयार किया ग्रीन हाइड्रोजन नीति का मसौदा, जल्द कैबिनेट में किया जाएगा पेश। आर्काइव

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन तेजी से पैर जमा रही है। कई राज्यों ने ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पालिसी बना दी है। अब ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड अपनी ग्रीन हाइड्रोजन नीति लाने जा रहा है, लेकिन हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में उसे कड़ी प्रतिद्वंद्विता से भी गुजरना होगा।

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    राजस्थान, महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य पहले ही इस क्षेत्र में ठोस नीतियां बनाकर निवेश को आकर्षित कर रहे हैं। उत्तराखंड की चुनौती सिर्फ नीति बनाने की नहीं, बल्कि उन राज्यों को टक्कर देने की भी है, जो पहले ही हरित ऊर्जा के मानचित्र पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।

    उत्तराखंड को ग्रीन हाइड्रोजन नीति बनाने में खासकर निवेश को आकर्षित करने पर फोकस करना होगा, क्योंकि राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य भारी सब्सिडी और अनुकूल औद्योगिक ढांचे की वजह से निवेशकों के लिए पहले ही आकर्षक गंतव्य बन चुके हैं। उत्तराखंड को भी पूंजी निवेश, कर राहत और बिजली शुल्क में रियायत जैसे प्रावधानों को मजबूत करना होगा, ताकि निवेशक भौगोलिक जटिलताओं के बाद भी निवेशक यहां रुचि दिखाएं।

    राज्य की दूसरी बड़ी चुनौती भूमि की उपलब्धता है। महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के पास औद्योगिक कारीडोर और समुद्री बंदरगाह हैं, लेकिन उत्तराखंड में न तो पाइपलाइन नेटवर्क है और न ही बड़े स्टोरेज प्लांट। इसलिए नीति में लाजिस्टिक ढांचे को प्राथमिकता देनी होगी। औद्योगिक मांग की कमी भी बड़ी समस्या है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग मुख्य रूप से भारी उद्योग करते हैं, जबकि उत्तराखंड में बड़े उद्योग सीमित हैं।

    ऐसे में राज्य को अपनी नीति में फ्यूल सेल आधारित परिवहन, छोटे उद्योगों को स्वच्छ ईंधन अपनाने के लिए प्रोत्साहन और ग्रीन इंडस्ट्रियल पार्क जैसे कदम शामिल करने होंगे। प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि हाइड्रोजन नीति का मसौदा तैयार है, जल्द इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

    राजस्थान:
    वर्ष 2030 तक 2000 किलो‑टन प्रति वर्ष उत्पादन का लक्ष्य, साथ ही 10 साल तक ट्रांसमिशन‑डिस्ट्रिब्यूशन फीस में 50 प्रतिशत छूट और रिसर्च‑सेंटर के लिए 30 प्रतिशत अनुदान।

    महाराष्ट्र:
    वर्ष 2030 तक 500 किलो‑टन/वर्ष का लक्ष्य, 8,562 करोड़ प्रोत्साहन, बिजली शुल्क में छूट और ट्रांसमिशन-व्हीलिंग शुल्क में छूट।

    आंध्र प्रदेश:
    ग्रीन हाइड्रोजन वैली बनाकर 1.5 मिलियन टन/वर्ष उत्पादन का लक्ष्य, 5 जीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता का प्रविधान और डीसलिनेशन प्लांट्स पर पूंजी सब्सिडी।

    उत्तर प्रदेश:
    वर्ष 2028 तक एक मिलियन मीट्रिक टन/वर्ष उत्पादन लक्ष्य, 30‑40 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी, 10 साल तक बिजली शुल्क और ट्रांसमिशन-व्हीलिंग शुल्क में छूट।