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लक्ष्य 62 हजार, तस्वीर 24 हजार सस्ते आवास पर ही साफ

विभिन्न विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में 62 हजार सस्ते आवासों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जबकि अभी तक महज 24 हजार 782 के निर्माण पर तस्वीर साफ हो सकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 03:05 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 03:05 PM (IST)
लक्ष्य 62 हजार, तस्वीर 24 हजार सस्ते आवास पर ही साफ

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) की इस बोर्ड बैठक में भी प्रधानमंत्री आवास योजना की धीमी प्रगति सामने आई। अब तक की प्रगति बताती है कि विभिन्न विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में 62 हजार सस्ते आवासों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जबकि अभी तक महज 24 हजार 782 के निर्माण पर तस्वीर साफ हो सकी है। इस पर आवास एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अधिकारियों को प्रगति में सुधार लाने की हिदायत दी। 

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डिस्पेंसरी रोड स्थित कॉम्पलेक्स में आयोजित उडा की 11वीं बोर्ड बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति रखते हुए बताया गया कि निजी बिल्डरों ने 21 हजार 198 सस्ते आवास बनाने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इसमें अभी तक मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) क्षेत्र के उत्तरा बिल्डर के प्रस्ताव को ही केंद्र से अनुमति मिल पाई है। शेष प्राधिकरण क्षेत्रों में बिल्डरों के प्रस्ताव या तो उडा स्तर पर लंबित चल रहे हैं या उन पर आपत्तियों का निराकरण होना अभी शेष है। 

इसी तरह जिन आवास का निर्माण विकास प्राधिकरण अपने स्तर पर कर रहे हैं, उनकी संख्या 3584 पाई गई। जबकि अब तक सिर्फ एमडीडीए ही 224 आवासों का निर्माण पूरा कर सका है और एक अन्य परियोजना में 60 फीसद काम पूरा हो पाया है। शेष प्राधिकरण या तो काम शुरू करने की तैयारी में हैं या उनकी टेंडर प्रक्रिया गतिमान है। इसके अलावा बोर्ड बैठक विभिन्न अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई और कई पर मुहर लगाई गई। 

इस अवसर पर उडा के मुख्य प्रशासन व आवास सचिव नितेश झा, संयुक्त मुख्य प्रशासक बंशीधर तिवारी, मुख्य अभियंता एनएस रावत, नगर नियोजक गीता खुल्बे, अधीक्षण अभियंता अनिल त्यागी आदि उपस्थित रहे। 

विकास प्राधिकरण को मिले लक्ष्य 

एमडीडीए, 15 हजार 

साडा, 10 हजार 

एचआरडीए, 10 हजार 

हल्द्वानी-काठगोदाम, 10 हजार 

रुद्रपुर, 08 हजार 

काशीपुर, 03 हजार 

किच्छा, 02 हजार 

बाजपुर, 02 हजार 

रामनगर, 02 हजार 

सस्ते आवास के प्रस्तावों की स्थिति 

प्राधिकरण स्तर 

निर्माण कार्य पूरा या प्रगति पर 

एमडीडीए के 224 आवास पूरे, 240 पर प्रगति 60 फीसद। 

भारत सरकार की स्वीकृति 

एमडीडीए की 240 आवास की धौलास योजना, जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की रुद्रपुर स्थित 1872 आवास, व एचआरडीए की 528 आवास की परियोजना को केंद्र से स्वीकृति मिल चुकी है। 

तस्वीर साफ नहीं 

एचआरडीए की 450 आवास की परियोजना अभी भी आपत्तियों के निराकरण की स्थिति में लंबित है। 

निजी बिल्डरों के प्रस्तावों पर प्रगति 

भारत सरकार की स्वीकृति 

एमडीडीए के तहत उत्तरा बिल्डर की 868 आवास की योजना को ही केंद्र से स्वीकृति मिल पाई है। जबकि निजी बिल्डरों के प्रस्ताव में 21 हजार 198 आवासों का निर्माण किया जाना है। शेष के प्रस्ताव या तो उडा स्तर पर लंबित हैं या प्राधिकरण स्तर पर ही लटके पड़े हैं। 

उडा को लाभ का 10 फीसद हिस्सा देंगे प्राधिकरण 

उडा की बोर्ड बैठक में तय किया गया कि एमडीडीए, साडा, एचआरडीए , जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण ऊधमसिंहनगर व नैनीताल अपने लाभ का 10 फीसद हिस्सा उडा को देंगे। ताकि उडा का बेहतर तरीके से संचालन किया जा सके। इसके अलावा अन्य विकास प्राधिकरण भूपयोग परिवर्तन का 50 फीसद हिस्सा उडा में जमा कराएंगे। इन पर लाभ में हिस्सेदारी का नियम लागू नहीं किया गया।

उडा कराएगा कॉम्पलेक्स की लिफ्ट का रखरखाव 

डिस्पेंसरी रोड स्थित राजीवगांधी बहुद्देशीय कॉम्पलेक्स में जिला पूर्ति कार्यालय, तहसील कार्यालय समेत कई अहम कार्यालय होने के बावजूद यहां की लिफ्ट खराब स्थिति में रहती है। इस कॉम्पलेक्स का निर्माण एमडीडीए ने कराया था, लिहाजा लंबे समय तक एमडीडीए की कार्रवाई का इंतजार किया जाता है। हालांकि उडा भी बैठक में तय किया गया कि उडा ही यहां की दोनों लिफ्ट के रखरखाव का कार्य कराएगा। 

इन प्रस्तावों पर भी लगी मुहर 

-रुद्रपुर आवासीय योजना के निर्माण में दो केंद्रीय एजेंसी के चयन पर मुहर लगनी थी, हालांकि तय किया गया कि राज्य निर्माण एजेंसी जैसे-ब्रिडकुल को भी इसमें प्रतिभाग कराने के बाद इस पर मुहर लगाई जाएगी। 

-नवगठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों में ईज ऑफ डूइंग के तहत ऑनलाइन भवन मानचित्र स्वीकृति को प्राप्त निविदाओं पर आगे की कार्रवाई पर मुहर लगाई गई। 

-राज्य प्राधिकरण में पूर्व से संविदा पर कार्यरत कार्मिकों की सेवा जारी रखने पर निर्णय लिया गया। बताया गया कि इन पर नियुक्ति को शून्य माने जाने का नियम लागू नहीं होता है। 

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