Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    उत्तराखंड में HOG Deer पर संकट के बादल मंडरा रहे है या नहीं, अब चलेगा पता; इस महीने के अंत तक जारी होंगे आंकड़े

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 12:48 PM (IST)

    उत्तराखंड में पाड़ा (हॉग डियर) की आबादी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं या नहीं इसका पता जल्द चलेगा। कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व समेत पश्चिमी वृत्त में पाड़ा की गणना हो चुकी है जिसके आंकड़ों का परीक्षण जारी है। इस महीने के अंत तक आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे जिसके बाद संरक्षण के लिए कदम उठाए जाएंगे।

    Hero Image
    राजाजी टाइगर रिजर्व में पिछले वर्ष कैमरा ट्रैप में कैद हुई थी पाड़ा की तस्वीर। जागरण आर्काइव ।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में हिरण की प्रजाति पाड़ा (हाग डियर) पर संकट के बादल तो नहीं मंडरा रहे, इसे लेकर जल्द ही तस्वीर साफ होगी। कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व के साथ ही वन विभाग के पश्चिमी वृत्त में पाड़ा की गणना करा ली गई है और अब आंकड़ों का परीक्षण चल रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उम्मीद जताई जा रही है कि इस माह के आखिर तक आंकड़े सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। फिर इसके आधार पर पाड़ा के संरक्षण के लिए कदम उठाए जाएंगे।

    राजाजी टाइगर रिजर्व से लेकर कार्बेट टाइगर रिजर्व, पश्चिमी वृत्त होते हुए नेपाल सीमा तक पाड़ा की मौजूदगी है। हिरण की यह प्रजाति बाघ, गुलदार का प्रिय भोजन है। लंबे समय से पाड़ा बेहद कम दिखाई पड़ रहे हैं।

    राजाजी टाइगर रिजर्व में तो 15 साल बाद वर्ष 2024 में कैमरा ट्रैप में पाड़ा की तस्वीर कैद हुई थी। ऐसे में पाड़ा की स्थिति से चिंतित वन विभाग ने इसकी गणना कराने का निर्णय लिया।

    राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एवं प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) आरके मिश्र के अनुसार भारतीय वन्यजीव संस्थान के माध्यम से मई में कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व और पश्चिमी वृत्त में पाड़ा की गणना कराई गई। इसके तहत पाड़ा के वासस्थल समेत कई बिंदुओं पर भी अध्ययन कराया गया है। ट

    वर्तमान में आंकड़ों का अध्ययन चल रहा है। इस माह के आखिर तक गणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की उम्मीद है। इससे पाड़ा की वास्तविक स्थिति सामने आ सकेगी।

    साथ ही यह भी पता चल सकेगा कि इस प्रजाति के सम्मुख कहीं कोई संकट तो नहीं। फिर अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर पाड़ा के संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

    औसतन 0.70 वर्ग किमी क्षेत्र है विचरण का दायरा

    जानकारों के अनुसार अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर पाड़ा का विचरण क्षेत्र औसतन 0.70 वर्ग किलोमीटर में होता है। यद्यपि, कई बार तो ये लंबी दूरी पर विचरण में निकल जाते हैं। घास के मैदानों में ही ये झुंड बनाते हैं। मादा का स्वभाव शांत होता है, जबकि नर थोड़ा आक्रामक होता है।