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    उत्‍तराखंड: स्वास्थ्य सेवाओं में हुआ सुधार, लेकिन और प्रयासों की दरकार

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 05:06 PM (IST)

    उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में पिछले 25 वर्षों में सुधार हुआ है। अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ी है, और डॉक्टरों की तैनाती में भी सुधार हुआ है। टेलीमेडिसिन सेवा 'संजीवनी' दूरदराज के क्षेत्रों में मददगार साबित हो रही है। आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज उपलब्ध है, और मेडिकल कॉलेजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के प्रयास जारी हैं।

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    विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के प्रयास जारी हैं। Concept Photo

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में बीते 25 वर्षों में काफी सुधार देखने को मिला है। विशेष रूप से अवस्थापना सुविधाओं और चिकित्सकों की तैनाती के संबंध में। उप जिला, चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी होना इस बात को दर्शाता है कि अधिक से अधिक क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का प्रयास किया गया है। चिकित्सकों की कमी काफी हद तक दूर की गई है। यद्यपि, विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अभी बनी हुई है। मेडिकल कालेजों में पीजी कोर्स शुरू होने के बाद निकट भविष्य में इनकी कमी भी दूर होने की संभावना बलवती हो रही है।

    प्रदेश में राज्य गठन के बाद से ही स्वास्थ्य सेवाओं पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। बीते 25 वर्षों में इसमें काफी सुधार देखने को मिला है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या दोगुनी हो चुकी है तो वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में चार गुना तक वृद्धि नजर आई है। राज्य गठन के दौरान कार्यरत चिकित्सकों की ही बात करें तो उस समय मात्र 561 चिकित्सक थे। इनकी संख्या अब बढ़कर 2541 हो गई है। उल्लेखनीय यह भी है कि वर्ष 2020 यानी कोरोना संकट के बाद प्रदेश में तकरीबन एक हजार चिकित्सक बढ़े हैं। वहीं, सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत मरीजों को लाभ दे रही है। इलाज की दरों में कमी की गई है तो वहीं 266 तरह की पैथोलाजी जांच निश्शुल्क की जा रही है।

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    टेलीमेडिसिन बन रही है संजीवनी

    प्रदेश में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर शुरू की गई टेलीमेडिसिन सेवा ‘संजीवनी’ काफी मददगार साबित हो रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीज सीधे देहरादून और श्रीनगर मेडिकल कालेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपनी रिपोर्ट के संबंध में चर्चा कर सकते हैं। ये चिकित्सक आनलाइन इनकी रिपोर्ट देकर इन्हें जरूरी परामर्श दे रहे हैं। साथ ही दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

    देहरादून व हल्द्वानी में हो रही कैंसर का सफल इलाज

    प्रदेश में इस समय हल्द्वानी के कैंसर अस्पताल और दून अस्पताल में कैंसर रोगियों का सफल इलाज चल रहा है। यहां कीमोथेरेपी सहित अन्य इलाज किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर कैंसर की प्राथमिक जांच हो रही है। यद्यपि, देहरादून के हर्रावाला में 300 बैड के कैंसर अस्पताल को बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ रहे हैं।

    नई योजनाओं पर चल रहा है काम

    इस समय हरिद्वार में मेडिकल सिटी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। वहीं, हरिद्वार में 200 बैड के मातृ-शिशु अस्पताल के निर्माण चल रहा है। यहां आसपास मेडिकल व नर्सिंग कालेज खोलने की भी योजना है। वहीं, हल्द्वानी में 200 बैड का मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

    हवाई एंबुलेंस से मिल रही त्वरित राहत

    प्रदेश में गत वर्ष हेली एंबुलेंस सेवा की शुरूआत हो चुकी है। ऋषिकेश एम्स से यह हेली एंबुलेंस शुरू की गई है। इसके साथ ही आपदा की स्थिति में सरकार निजी हेलीकाप्टर कंपनियों के हेलीकाप्टर का इस्तेमाल भी हेली एंबुलेंस के रूप में कर रही है।

    आयुष्मान योजना बन रही गरीबों का संबल

    प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही अटल आयुष्मान योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना आमजन और सरकारी कार्मिकों व पेंशनर के लिए राहतभरी साबित हो रही है। आयुष्मान योजना के तहत प्रति परिवार पांच लाख तक का निश्शुल्क इलाज किया जा रहा है। वहीं, गोल्डन कार्ड के तहत कार्मिकों व पेंशनरों का पूरा इलाज निश्शुल्क है। इसकी कोई सीमा नहीं है। इसके लिए सरकार कार्मिकों से अंशदान ले रही है। अब तक प्रदेश में 60 लाख से अधिक गोल्डन कार्ड बन चुके हैं और इनमें से 17 लाख व्यक्तियों का निश्शुल्क इलाज किया गया है।

    दूरदराज में भी पहुंच रहे मेडिकल कालेज


    प्रदेश में राज्य गठन के बाद स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से विस्तार हुआ है। राज्य गठन के दौरान प्रदेश में एक भी मेडिकल कालेज नहीं था। अब इनकी संख्या पांच है। अब श्रीनगर, हल्द्वानी, देहरादून, अल्मोड़ा व हरिद्वार में राजकीय मेडिकल कालेज खोले जा चुके हैं। इस समय रुद्रपुर व पिथौरागढ़ में मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं। इन मेडिकल कालेजों के खुलने से न केवल यहां के युवाओं को स्वास्थ्य सेवाओं में जाने का रास्ता साफ हुआ है बल्कि उन्हें प्रदेशवासियों की सेवा करने का भी मौका मिल रहा है। इस समय हर वर्ष 1500 छात्र यहां से शिक्षा पूरी कर रहे हैं। प्रदेश में इस समय देहरादून, श्रीनगर और हल्द्वानी में पीजी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें 19 पीजी कोर्स में 174 सीट स्वीकृत हैं। इनसे विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर होने की संभावना बलवती हुई है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में निजी मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ी है।

    उपलब्धियां

    • स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या में बढ़ोत्तरी
    • चिकित्सकों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक किया गया तैनात
    • हेली एंबुलेंस से मिल रही त्वरित सेवा
    • टेलीमेडिसन सेवाओं से मिल रहा लाभ
    • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में पहुंचे आधुनिक स्वास्थ्य उपकरण

    चुनौतियां

    • विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करना
    • सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना
    • एंबुलेंस सेवाओं के नेटवर्क का विस्तार
    • उपकरण चलाने के लिए तकनीशियनों की तैनाती
    • टेलीमेडिसिन सेवाओं का विस्तार

    राज्य गठन व वर्तमान में चिकित्सा इकाइयों की स्थिति

    • इकाई, राज्य गठन, वर्तमान स्थिति
    • जिला अस्पताल, 13, 13
    • उप जिला चिकित्सालय, 14, 21
    • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 40, 81
    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 1636, 1898

    मानव संसाधन

    स्वीकृत पद और कार्यरत कार्मिक

    • पद, राज्य गठन, तैनाती, वर्तमान, तैनाती
    • चिकित्सक, 1621, 561, 2885, 2541
    • दंत चिकित्सक, 47, 21, 135, 151
    • नर्सिंग संवर्ग, 753, 441, 2720, 2277
    • फार्मासिस्ट, 866, 818, 995, 1108
    • लैब टेक्नीशियन, 268, 158, 343, 151
    • एक्स रे टेक्नीशियन, 72, 18, 165, 104
    • फीजियो थेरेपिस्ट, 07, 00, 47, 41
    • एएनएम, 1933, 1452, 2295, 2083


    चिकित्सा उपकरणों की स्थिति

    • मशीनें - राज्य गठन, वर्तमान
    • एआरआई मशीन, 00, 02
    • सीटी स्कैन, 00, 23
    • अल्ट्रासाउंड, 04, 73
    • एक्स रे मशीन, 09, 117
    • एनेस्थेसिया वर्कस्टेशन, 00, 125
    • लैपरोस्कोप, 00, 14

    ‘प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार सुदृढ़ किया गया है। नए मेडिकल कालेज खोलने के साथ ही टेलीमेडिसिन, एयर एंबुलेंस व निश्शुल्क इलाज व जांच की सुविधाओं में वृद्धि हुई है। नर्सिंग स्टाफ व चिकित्सकों की कमी दूर की गई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी भी अगले दो वर्ष में दूर कर दी जाएगी।’

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    -डा धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखंड