उत्तराखंड में प्राधिकरण क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की अनिवार्यता का परीक्षण कराएगी सरकार
उत्तराखंड सरकार प्राधिकरण क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की अनिवार्यता का परीक्षण कराएगी। आवास विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने अगली बैठक तक स्थगित कर दिया है। पर्वतीय क्षेत्रों में 200 वर्ग मीटर तक के आवासीय भवनों के मानचित्र स्वप्रमाणन से स्वीकृत होंगे। छोटे प्रतिष्ठानों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट को कैबिनेट ने श्रद्धांजलि दी।

सांकेतिक तस्वीर।
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून: प्रदेश में वर्ष 2016 से पूर्व के प्राधिकरणों और विनियमित क्षेत्रों को छोड़कर प्राधिकरणों में शामिल नए क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की अनिवार्यता का सरकार परीक्षण कराएगी। आवास विभाग की ओर से कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था। परीक्षण के दृष्टिगत इसे अगली बैठक के लिए टाल दिया गया।
विकास प्राधिकरणों में शामिल नए क्षेत्रों में मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को पूर्व में अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया गया था। कारण यह कि लोग इसका विरोध कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में रखे गए प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि पर्वतीय क्षेत्र में 200 वर्ग मीटर तक के भूखंड में भवन की ऊंचाई साढ़े सात मीटर होगी।
इस तरह के एकल आवासीय भवनों के मानचित्र की स्वीकृति स्वप्रमाणन के आधार पर की जाएगी। इसके अलावा 50 वर्ग मीटर तक के भूखंड में भूतल सहित दो तल के व्यावसायिक भवन एवं अन्य व्यावसायिक निर्माण के मानचित्र की स्वीकृति भी स्वप्रमाणन के आधार पर करने का प्रस्ताव किया गया।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र में राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग, एमडीआर तथा ओडीआर के रोड कंट्रोल एक्ट के अंतर्गत प्रतिबंधित क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा।
इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र में एकल आवासीय भवनों के लिए 200 वर्ग मीटर से अधिक और व्यावसायिक व गैर एकल आवासीय निर्माण को 50 मीटर से अधिक भूखंड के लिए मानचित्र स्वीकृति में विकास शुल्क, भू उपयेाग परिवर्तन शुल्क, उच्चीकरण शुल्क में 75 प्रतिशत की छूट अगले वर्ष से प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया।
मैदानी क्षेत्र में ऐसी कोई छूट न देने की बात प्रस्ताव में कही गई। कैबिनेट ने विचार के बाद इस प्रस्ताव का फिर से परीक्षण कराने का निश्चय किया।
ये प्रस्ताव भी स्थगित
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर नियमित नियुक्ति के अलावा शिक्षा विभाग में चतुर्थ, पंचम व छठवां वेतनमान के आधार पर चयन व प्रोन्नत वेतनमान प्रदान करने के साथ ही उदयराज इंटर कालेज काशीपुर से संबंधित प्रस्तावों को स्थगित कर दिया गया। बताया गया कि इन मामलों में न्यायालयों में वाद विचाराधीन हैं।
छोटे प्रतिष्ठानों पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
देहरादून: कैबिनेट ने उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन को मंजूरी दी। बताया गया इससे छोटे प्रतिष्ठानों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और वे अपनी आर्थिक गतिविधि सुचारू रूप से संचालित कर सकेंगे। अलबत्ता, बड़े प्रतिष्ठानों में कार्य करने वाले कर्मकारों को कानून के अंतर्गत सभी लाभ मिल सकेंगे।
सरकार की इस पहल से राज्य में निवेश को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही दुकानों और प्रतिष्ठानों में कार्य करने के समय में लचीलापन आएगा। साथ ही प्रशासनिक बोझ कम होगा। इसके अलावा दुकानों एवं प्रतिष्ठानों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और कर्मकारों को ज्यादा काम करने का अवसर मिलेगा। साथ ही उनकी आर्थिकी में सुधार आएगा।
कैबिनेट ने पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं पूर्व मंत्री दिवाकर भट्ट के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर राज्य निर्माण और फिर उसके विकास में भट्ट के योगदान को याद किया गया।

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