Lockdown 3.0: उत्तराखंड सरकार श्रम कानूनों में दे रियायत, तो घूमेगा उद्योगों का पहिया
उत्तराखंड के उद्यमियों को आशा है कि पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार कोविड-19 महामारी से ठप उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए श्रम कानूनों पर शिथिलता लाएगी।
देहरादून, जेएनएन। प्रदेशभर के उद्यमियों को आशा है कि पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार कोविड-19 महामारी से ठप उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए श्रम कानूनों पर शिथिलता लाएगी, जिससे उत्पादन बढ़ाने में श्रम कानून आड़े न आएं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) उत्तराखंड राज्य परिषद, उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आदि ने सरकार के समक्ष उन 38 श्रम कानूनों का हवाला दिया, जिनमें अन्य राज्यों ने ढील दी है या अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। ऐसे राज्य मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश, गुजरात प्रमुख हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ राज्य परिषद ने बीते गुरुवार को राज्य सरकार के कोविड-19 एक्शन टास्क फोर्स के अध्यक्ष और पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे के समक्ष उद्योगों की समस्याओं को रखा। बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड से भी बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को पलायन कर रहे है। जिस कारण उद्योगों में जनशक्ति की कमी हो गई है।
राज्य के भीतर आसपास के जिलों में रहने वाले श्रमिकों को काम के लिए बुलाने की योजना बनानी होगी। राज्य श्रम विभाग उद्यमियों के खिलाफ शिकायतों को अपने स्तर पर निपटाने का काम करे। शिकायतों को खत्म करने के लिए उद्योग प्रबंधनों को न उलझाया जाए। उद्योगों में श्रमिकों को काम के बजाए प्रबंधन के खिलाफ विरोध करने की प्रवृत्ति को भी श्रम नियमों से रोका जाना चाहिए।
सीआइआइ उत्तराखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष असोक विंडलास कहते हैं कि अन्य प्रदेशों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार को भी श्रम कानूनों में छूट देनी चाहिए। तभी राज्य में उत्पादन गति पकड़ेगा। सरकार की ओर से गठित कोविड-19 टास्क फोर्स के अध्यक्ष और पूर्व सीएस इंदु कुमार पांडे के साथ मीटिंग में इसे उद्योगपति उठा चुके हैं।
वहीं, उत्तराखंड फूड प्रोसेसिंग उद्योग के समन्वयक अनिल मारवाह का कहना है कि सरकार को श्रम कानूनों की छूट की अवधि भी निर्धारित करनी चाहिए। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन से उबरने में लंबा वक्त लगेगा। साथ ही उद्योगों में उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।
इधर इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष राकेश भाटिया ने कहा कि उद्योगों को उत्पादन करने की तो राज्य सरकार ने छूट दे दी है। अब श्रम कानूनों में भी रियायत की सख्त दरकार है। कई नियम उद्योगों को 24 घंटे उत्पादन की इजाजत नहीं देते, जबकि बाजार की मांग को देखते हुए उत्पादन बढ़ाना होगा।
रक्षा इकाइयां अब पूरी क्षमता से करेंगी उत्पादन
18 मार्च से रक्षा संस्थानों में बंद चला आ रहा उत्पादन व अन्य कामकाज चार मई से 33 फीसद (ग व घ श्रेणी में) कार्मिकों की उपस्थिति के साथ शुरू कर दिया गया था। अब अच्छी बात यह है कि सभी संस्थान पूरे मानव संसाधन के साथ रक्षा उत्पादन और अनुसंधान संबंधी कार्य कर पाएंगे। इसके लिए सभी प्रतिष्ठान प्रमुखों ने आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमण की आशंका पर कार्मिकों ने संस्थान परिसर में पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।
जिला प्रशासन ने सभी उद्योग प्रतिष्ठानों को पूरी क्षमता के साथ काम करने की सशर्त अनुमति दे दी है। शनिवार को इस संबंध में जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक की तरफ से भी अनुमति आदेश जारी कर दिए गए हैं। दून में प्रमुख रूप से ऑर्डनेंस फैक्ट्री व ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री रक्षा उत्पादन करती हैं।
इसके अलावा यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान व डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशन एंड लैबोरेटरी में भी अनुसंधान एवं विकास से संबंधित काम किए जाते हैं। लिहाजा, इन सभी में भी 11 मई से सौ फीसद उपस्थिति लागू कर दी गई है।
यह भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए उत्तराखंड में भी श्रम कानूनों में छूट देगी सरकार
ऑर्डनेंस फैक्ट्री में इस तरह होगा काम
पालियों का विवरण
1-सुबह 7:30 से शाम 04 बजे तक
2-सुबह 08 बजे से शाम 4.30 तक।
3-सुबह 8:30 से शाम 05 बजे तक।
4-रात्रि 9:30 से अगले दिन सुबह 06 बजे तक
5-रात्रि 10 बजे से अगले दिन सुबह 6:30 तक।
नोट: हर शिफ्ट में आधे घंटे का ब्रेक दिया जाएगा। इस दौरान किसी को भी बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।
यह भी पढ़ें: Lockdown: उत्तराखंड में दस मेगावॉट तक बढ़ गई बिजली की खपत