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    चौथे स्थान से लंबी छलांग लगाने को उत्तराखंड ने कमर कसी, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 05 Jun 2021 09:04 AM (IST)

    देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता में चौथे स्थान पर रहा उत्तराखंड इस दिशा में और लंबी छलांग लगाने को कमर कस चुका है। उच्च प्राथमिक कक्षाओं से नौवीं कक्षाओं में पढ़ाई जारी रखने से कन्नी काट रहे करीब 11 फीसद छात्रों पर अब विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।

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    उत्‍तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता में चौथे स्थान पर रहा उत्तराखंड इस दिशा में और लंबी छलांग लगाने को कमर कस चुका है। उच्च प्राथमिक कक्षाओं से नौवीं कक्षाओं में पढ़ाई जारी रखने से कन्नी काट रहे करीब 11 फीसद छात्रों पर अब विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। अटल उत्कृष्ट विद्यालय योजना के माध्यम से उम्मीद जताई जा रही है कि माध्यमिक कक्षाओं में स्कूल छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आएगी। साथ ही माध्यमिक स्तर पर स्तरीय शिक्षा के बूते उच्च शिक्षा में भी छात्र नामांकन बढ़ाने की तैयारी है।

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    सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अहम इंडीकेटर शिक्षा की गुणवत्ता में मुकाम पाने के लिए उत्तराखंड को 11 पैमाने पर परखा गया। कक्षा एक से आठवीं तक छात्रों के नामांकन की दर 96.38 फीसद है। इससे आगे यानी माध्यमिक कक्षाओं में छात्रों में स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति बनी हुई है। प्रति सौ में 11 छात्र आठवीं के बाद नौवीं कक्षा में दाखिला नहीं ले रहे हैं। इसी तरह उच्च माध्यमिक यानी 11वीं व 12वीं कक्षा में नामांकन दर 66.2 फीसद है। एसडीजी को लेकर हुए सर्वे में आठवीं कक्षा तक लर्निंग आउटकम 75 फीसद रहा है।

    बिजली व पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से 87.72 फीसद विद्यालय ठीक-ठाक हालत में हैं। 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में साक्षरता दर 79 फीसद है। प्रदेश में 15 वर्ष और इससे ज्यादा आयु वर्ग के 24.7 फीसद व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा पूरी की है। इसीतरह छात्र व शिक्षक अनुपात को लेकर भी उत्तराखंड के हालात अच्छे हैं। यह अनुपात 15:1, यानी 15 बच्चों पर एक शिक्षक उपलब्ध है।

    इसी तरह माध्यमिक स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षकों के मामले में भी उत्तराखंड अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। नौवीं व 10वीं कक्षा में 89.78 फीसद शिक्षक प्रशिक्षित हैं। उच्च शिक्षा में नामांकन की दर 39.1 फीसद है। प्रदेश सरकार का कहना है कि पिछले चार वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर किए गए कार्यों से अच्छा परिणाम सामने आया है। 2016-17 में शिक्षा की गुणवत्ता में उत्तराखंड 19वें स्थान पर था। 2020-21 में राज्य चाैथे स्थान पर आ गया है।

    शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की मानें तो आगामी वर्षों में माध्यमिक स्तर पर ड्राप आउट से लेकर नामांकन में मौजूदा स्थितियों में काफी सुधार नजर आएगा। विभागीय मंत्री को कहना है कि अटल उत्कृष्ट विद्यालय योजना उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित होगी। शिक्षा की गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शुरू की गई इस योजना के बाद सरकारी विद्यालयों के प्रति आम अभिभावक की अवधारणा में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसी को ध्यान में रखकर इन विद्यालयों के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। आने वाले वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता सर्वोच्च स्थान पाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे।

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