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    Uttarakhand Forest: उत्तराखंड में वनों पर दबाव रोकने को नौ योजनाएं, जानिए इनके बारे में

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Mon, 25 Jan 2021 05:41 PM (IST)

    उत्तराखंड में वनों पर बढ़ते दबाव ने सरकार की पेशानी पर भी बल डाले हैं। हालांकि वनों के संरक्षण-संवर्धन के मद्देनजर वृहद पौधारोपण वनों की प्राकृतिक पुन ...और पढ़ें

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    उत्तराखंड में वनों पर दबाव रोकने को नौ योजनाएं।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों पर बढ़ते दबाव ने सरकार की पेशानी पर भी बल डाले हैं। हालांकि, वनों के संरक्षण-संवर्धन के मद्देनजर वृहद पौधारोपण, वनों की प्राकृतिक पुनर्जनन में सहायता, मृदा एवं जल संरक्षण, वनों की आग से सुरक्षा, जायका, कैंपा की विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। ग्रामीणों को आजीविका के अवसर मुहैया कराने की योजनाएं भी संचालित हो रही हैं। बावजूद इसके वनों पर इमारती लकड़ी, जलौनी लकड़ी आदि के लिए दबाव कम नहीं है। 

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    इसके अलावा वनों के अंधाधुंध कटान और तस्करी की समस्या अलग से मुंहबाए खड़ी है। सूरतेहाल, चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। इससे पार पाने को जरूरी है कि ऐसे कदम तेजी से उठाए जाएं, जिससे वनों पर दबाव रोका जा सके। इस क्रम में हमारा पेड़ हमारा धन, गुर्जर एवं अन्य प्रभावित पुनर्वास, हमारा स्कूल-हमारा वृक्ष, महिला नर्सरी, हरेला, कैट प्लान, ग्रीन इंडिया मिशन, जनजातीय उपयोजनाएं, पौधारोपण जैसी योजनाएं राज्य में क्रियान्वित की जा रही है। इन योजनाओं के अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं, लेकिन इनमें अधिक तेजी की दरकार है और इसके लिए वन महकमा कदम भी उठाने जा रहा है। आइये जानते हैं वनों पर दबाव रोकने की कुछ योजनाओं के बारे में... 

    हमारा पेड़-हमारा धन 

    इस योजना में निजी भूमि पर निजी व्यक्ति अथवा संजायत खातेदार पात्र हैं। योजना में आवेदक द्वारा रोपे जाने वाले पौधों के सापेक्ष डीएफओ कार्यालय में पंजीकृत रजिस्टर में आवेदक के नाम तीन सौ या साढ़े तीन सौ रुपये प्रति पौध की दर से पंचवर्षीय एफडीआर या एनएससी बनाकर डीएफओ के नाम निरुपित की जाती है। रोपण के तीन साल बाद रोपित स्वस्थ पौधों के जीवित रहने की दर के मूल्यांकन के आधार पर अनुमन्य राशि आवेदक को देने का प्रविधान है।

    हमारा स्कूल-हमारा वृक्ष 

    इस योजना के तहत वन विभाग द्वारा स्कूलों को पौधारोपण के लिए निश्शुल्क पौध मुहैया कराई जाती है। कई जगह इसके बेहतर नतीजे आए हैं।

    महिला नर्सरी 

    महिलाओं के माध्यम से इस योजना में पौधालयों का निर्माण कराया जाता है। महिला पौधालयों में तैयार पौध को जरूरत के अनुसार विभाग क्रय करता है। इस पहल से महिलाओं में वानिकी के प्रति लगाव के साथ ही उनकी आर्थिकी भी संवर रही है।

    हरेला

    यह योजना विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल है। प्रकृति पर्व हरेला के अवसर पर जनसहभागिता से वृहद पौधारोपण कर जनसामान्य को जोड़ा जाता है। 

    गूर्जर एवं अन्य प्रभावित पुनर्वास

    इससे वनों में रहने वाले वन गूर्जरों और अन्य व्यक्तियों को दूसरे स्थानों पर पुनर्वासित किया जाता है। वन गूर्जरों के पुनर्वास के तहत हरिद्वार के सब्बलगढ़, पथरी व गैंडीखाता में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।

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