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    गांधी शताब्दी अस्पताल में खुलेगा प्रदेश का पहला सरकारी नशामुक्ति केंद्र, सस्ती दर पर उपचार मिल सकेगा

    By Nirmala BohraEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2022 11:03 AM (IST)

    Government De-Addiction Center प्रदेश का पहला नशामुक्ति केंद्र गांधी शताब्दी अस्पताल में खोला जा रहा है। सरकारी केंद्र खुलने से मरीजों को आसानी होगी। उन्हें कम दरों पर उपचार मिल पाएगा। बता दें कि दून में नशामुक्ति केंद्रों के खिलाफ लगातार शिकायतें आती रहती हैं।

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    Government De-Addiction Center : गांधी शताब्दी अस्पताल में खुलेगा नशामुक्ति केंद्र

    जागरण संवाददाता, देहरादून : Government De-Addiction Center : उत्तराखंड में सरकारी ड्रग डी–एडिक्शन सेंटर (नशामुक्ति केंद्र) खोलने की कोशिश शुरू कर दी गई है। प्रदेश का पहला नशामुक्ति केंद्र गांधी शताब्दी अस्पताल में खोला जा रहा है। स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने स्वास्थ्य महानिदेशक डा. शैलजा भट्ट को इसकी प्रक्रिया शुरू कराने के निर्देश दिए हैं। इस पर महानिदेशक ने सीएमओ डा. मनोज उप्रेती को विस्तृत प्रस्ताव बनाए जाने के लिए निर्देशित किया है।

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    सरकारी केंद्र खुलने से मरीजों को होगी आसानी

    शुक्रवार को अस्पताल पहुंची सचिव ने यहां केंद्र बनाए जाने को पर्याप्त जगह होने की बात कही थी। सरकारी केंद्र खुलने से मरीजों को आसानी होगी। उन्हें कम दरों पर उपचार मिल पाएगा। बता दें कि शहर में निजी नशामुक्ति केंद्र गली-गली में खुले हैं। यहां पर मनमानी रकम नशा छुड़वाने के नाम पर ली जा रही है। यहां पर मारपीट के आरोप भी लगते रहते हैं और व्यवस्था भी ठीक नहीं रहती है।

    एसओपी पर हाईकोर्ट की रोक

    दून में नशामुक्ति केंद्रों के खिलाफ लगातार शिकायतें आती रहती हैं। जिला प्रशासन ने गत वर्ष नशा मुक्ति केंद्रों के लिए एसओपी जारी की थी। जिसमें सभी नशामुक्ति केंद्रों का क्लीनिकल इस्टब्लिस्टमेंट एक्ट व मेंटल हेल्थ केयर एक्ट के तहत पंजीयन,स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षण में तय मानक पूरे मिलने पर लाइसेंस, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला प्रशाशन व पुलिस की ओर से रेस्क्यू किए गए मरीजों के लिए 20 प्रतिशत बेड आरक्षित करने, अधिकतम मासिक शुल्क 10 हजार रुपये , सभी केंद्रों में फिजिशियन, गायनोकालजिस्ट, मनोचिकित्सक, 20 लोग के ऊपर एक काउंसलर, मेडिकल स्टाफ, योगा ट्रेनर व शुरक्षा गार्ड, जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक की ओर से माह में एक बार मरीजों की जांच और मासिक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से थाने में देने का प्रविधान किया गया था। लेकिन हाईकोर्ट ने नशामुक्ति केंद्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एसओपी पर रोक लगा दी थी।