नए एक्ट ने बिगाड़ा जायका, दिल्ली में बिक रहा है दून का टमाटर
केंद्र सरकार के नए एक्ट से उत्तराखंड में किसानों को तो लाभ मिलता दिख रहा है मगर आम आदमी की थाली का जायका इससे बिगड़ने लगा है।
देहरादून, जेएनएन। केंद्र सरकार के नए एक्ट से उत्तराखंड में किसानों को तो लाभ मिलता दिख रहा है, मगर आम आदमी की थाली का जायका इससे बिगड़ने लगा है। अब टमाटर को ही ले लीजिए। ज्यादा मूल्य के चक्कर में प्रदेश के किसान सीधे दूसरे राज्यों को टमाटर भेज रहे हैं, जबकि दून में आपूर्ति पहले से आधी हो गई है। इससे यहां टमाटर के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं और उपभोक्ता परेशान हैं।
कोरोना महामारी के बीच फल-सब्जी के कारोबार को सुलभ करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बीते जून में नया एक्ट लागू किया था। इसके तहत किसानों और व्यापारियों को कहीं भी व्यापार की छूट दी गई। इस क्रम में प्रदेश के किसान भी मंडी जाने के बजाय सीधे दूसरे राज्यों में उत्पाद बेचने लगे हैं। फुटकर व्यापारी भी मंडी शुल्क से बचने के लिए सीधे किसान से उत्पाद खरीद रहे हैं।
इसी का नतीजा है कि पहले इन दिनों में जौनसार बावर, चकराता, कालसी, नैनबाग, डामटा, पुरोला, नौगांव, सकलाना समेत अन्य क्षेत्रों से देहरादून और विकासनगर की मंडियों में रोजाना लगभग 1200 कुंतल टमाटर पहुंचता था। लेकिन, अब यह मात्र घटकर 200 से 400 कुंतल रह गई है। ज्यादा दाम के लिए स्थानीय किसान 800 से 1000 कुंतल टमाटर सीधे दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आढ़तियों को बेच दे रहे हैं। इन हालात में दाम नियंत्रण के साथ ही उपलब्धता पर भी कोई निगरानी नहीं रह गई है, जिससे जमाखोरी की आशंका को भी बल मिलने लगा है।
चकराता के किसान प्रमोद तोमर बताते हैं कि इस बार क्षेत्र में टमाटर का उत्पादन काफी अच्छा हुआ है। हर रोज चकराता से करीब 15 वाहनों में टमाटर विकासनगर और देहरादून की मंडियों को भेजा जा रहा है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के आढ़ती भी उनसे सीधे संपर्क कर माल खरीद रहे हैं।
बाहर टमाटर बेचने की यह है वजह
किसानों की मानें तो दून की मंडी में उन्हें 30 से 35 रुपये प्रति किलो मूल्य मिलता है। जबकि, दूसरे राज्यों के आढ़ती उन्हें 38 से 40 रुपये प्रति किलो दे रहे हैं। यही वजह है कि किसान दून में टमाटर बेचने से कतरा रहे हैं। आवक कम होने से दून में भी टमाटर थोक में 35 से 40 रुपये किलो की दर से बिक रहा है, जबकि फुटकर बाजार में इसकी कीमत 70 से 90 रुपये है। मंडी के अधिकारियों का कहना है कि पहाड़ों से आपूर्ति बढ़ते ही दाम नियंत्रण में आने की संभावना है।
बारिश व भूस्खलन से नुकसान
पिछले दिनों भारी बारिश के कारण मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की फसल को खासा नुकसान पहुंचा, जबकि पहाड़ों में भूस्खलन के कारण मार्ग बंद होने से टमाटर खराब हो गया। इससे भी मंडी में टमाटर की उपलब्धता प्रभावित हुई है।
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विजय थपलियाल (मंडी सचिव) का कहना है कि मंडी में पहाड़ से बहुत कम टमाटर आ रहा है। किसान ज्यादातर माल सीधे बाहर के व्यापारियों को बेच रहे हैं। इससे दून में टमाटर की उपलब्धता थोड़ी कम हुई है। अन्य प्रदेशों में बारिश के कारण टमाटर का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे दाम में भी उछाल चल रहा है।
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