Uttarakhand Election Result 2022: चुनाव प्रबंधन की कसौटी पर खरी उतरी भाजपा, मिला दो तिहाई बहुमत
Uttarakhand Vidhan Sabha Election Result 2022 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा चुनाव प्रबंधन की कसौटी पर खरी उतरी। भाजपा को दो तिहाई बहुमत दिलाने में चुनाव प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वहीं कांग्रेस की रणनीति उतनी प्रभावी नहीं रही।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के चुनाव में इस बार दोनों प्रमुख दलों, भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव प्रबंधन पर विशेष ध्यान केंद्रित किए रखा। इसमें कसौटी पर भाजपा खरी उतरी। पार्टी को दो-तिहाई बहुमत दिलाने में प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसकी कमान केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी संभाले रहे। यद्यपि, कांग्रेस ने भी प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीति अपनाई, लेकिन परिणाम उसके आशानुकूल नहीं आए।
भाजपा
पिछले विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा के सामने इस बार भी ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती थी। इसे देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे गंभीरता से लिया। यही वजह रही कि पार्टी हाईकमान ने चुनाव प्रबंधन में महारथ प्राप्त केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी को यह जिम्मेदारी सौंपी। तय रणनीति के तहत जोशी ने न सिर्फ बूथ स्तर तक के पार्टीजनों को महत्व दिया, बल्कि मानीटरिंग पर फोकस किया।
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रभारी, सह प्रभारी नियुक्त किए गए तो विस्तारकों व प्रवासीजनों के माध्यम से भी चुनाव अभियान पर नजर रखी गई। जहां भी कोई कमी नजर आई, उसे तत्काल दूर कराने को कदम उठाए गए। इसके साथ ही विपक्ष के हमलों का जवाब देने को भी खास रणनीति अपनाई गई तो परिस्थितियों के हिसाब से स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम यहां लगाए गए। यही नहीं, पिछले वर्ष मार्च में पार्टी संगठन की कमान संभालने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने भी स्वयं को साबित करने की चुनौती थी। वह भी चुनाव प्रबंधन के लिए दिन-रात एक किए रखे।
अजेय रहे निरंतर सक्रिय
चुनाव प्रबंधन में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। वह निरंतर ही प्रदेश, जिला, ब्लाक, मंडल व बूथ स्तर के कार्यकर्त्ताओं के मध्य सामंजस्य बनाने में जुटे रहे। शक्ति केंद्रों से लेकर पन्ना प्रमुखों के प्रशिक्षण और मोर्चों को सक्रिय करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इससे बेहतर प्रबंधन में मदद मिली।
कांग्रेस के दृष्टिकोण से देखें तो उसने प्रदेश में चुनाव अभियान की कमान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंपी थी, लेकिन चुनाव प्रबंधन पूरी तरह से दिल्ली से संचालित होता रहा। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकर्त्ताओं की फौज यहां लगाई गई थी, जो हर स्तर पर निगरानी और कमियों, खामियों को दूर करने में जुटी रही। इसके बावजूद राज्य में अपने स्टार प्रचारकों को लगाने के मोर्चे पर कसौटी पर खरा नहीं उतर पाई। परिणामस्वरूप राज्य में चले नमो मैजिक के सामने कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन उसके आशानुरूप परिणाम देने में कामयाब नहीं हो पाया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।