कभी इस सीट पर था सीपीआइ का वर्चस्व, रियासत के खिलाफ भी खोला था मोर्चा; अब कहीं नहीं आती नजर
Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 1969 से 1980 तक तो टिहरी विधानसभा सीट पर सीपीआइ का ही कब्जा रहा। गोविंद सिंह नेगी यहां से सीपीआइ के टिकट पर लगातार तीन बार विधायक बने। हालांकि कालांतर में धीरे-धीरे वामदल अपना वर्चस्व खोते चले गए।

अनुराग उनियाल, नई टिहरी। Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 टिहरी रियासत के विरुद्ध आंदोलनों में वामदलों की अहम भूमिका रही है। इसका असर रियासत के भारत में विलय के बाद भी दिखता रहा। 1969 से 1980 तक तो टिहरी विधानसभा सीट पर सीपीआइ का ही कब्जा रहा। गोविंद सिंह नेगी यहां से सीपीआइ के टिकट पर लगातार तीन बार विधायक बने। हालांकि, कालांतर में धीरे-धीरे वामदल अपना वर्चस्व खोते चले गए।
टिहरी विधानसभा सीट से 1952 में पहली बार टिहरी राज परिवार के बालेंदु शाह निर्दलीय विधायक चुने गए। इस विधानसभा सीट पर अभी तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं और इसमें सबसे ज्यादा आठ बार कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे। इसके बाद सीपीआइ और भाजपा ने तीन-तीन बार यह सीट जीती। इसके अलावा एक बार जनता दल और दो बार निर्दलीय प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
सीपीआइ के टिकट पर पहली बार 1969 के चुनाव में गोविंद सिंह नेगी विधायक बने और इसके बाद उन्होंने 1974 व 1977 में भी टिहरी सीट का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, बाद में सीपीआइ का प्रभाव घटता चला गया और फिर कभी उसका कोई प्रत्याशी यहां से जीत दर्ज नहीं कर पाया। सीपीआइ के प्रदेश समिति सदस्य जयप्रकाश पांडे कहते हैं कि क्षेत्र में राजनीतिक परिस्थितियां लगातार बदलती रहीं हैं। इससे वामदलों का प्रभाव भी कम हुआ। बावजूद इसके वामदलों का संघर्ष इस क्षेत्र की समस्याओं को लेकर जारी है।
वामदलों की लोकप्रियता के कारण
टिहरी रियासत के विरुद्ध आंदोलन वामदलों की निर्णायक भूमिका रही। क्रांतिकारी नागेंद्र सकलानी व मोलू भरदारी के बलिदान के बाद वामदलों के नेतृत्व में रियासत के विरुद्ध जनआंदोलन और तेज हो गया था। इस आंदोलन में गोविंद सिंह नेगी की भूमिका अहम रही। रियासत के भारत में विलय के बाद जंगल बचाओ और अन्य सामाजिक आंदोलनों में भी वामदलों का अहम भूमिका निभाई। यही वजह रही कि इन आंदोलनों के प्रमुख चेहरे गोविंद सिंह नेगी लगातार तीन बार टिहरी सीट से विधायक चुने गए।
टिहरी सीट पर कब, कौन रहा विधायक
वर्ष, दल, विधायक
1952, निर्दलीय, बालेंदु शाह
1957, कांग्रेस, सूरत चंद्र रमोला
1962, कांग्रेस, त्रेपन सिंह नेगी
1967, कांग्रेस, त्रेपन सिंह नेगी
1969, सीपीआइ, गोविंद सिंह नेगी
1974, सीपीआइ, गोविंद सिंह नेगी
1977, सीपीआइ, गोविंद सिंह नेगी
1980, कांग्रेस, खुशाल सिंह रांगड़
1985, कांग्रेस, लोकेंद्र दत्त सकलानी
1989, जनता दल, बलबीर सिंह नेगी
1991, भाजपा, लाखीराम जोशी
1993, कांग्रेस, शूरवीर सिंह सजवाण
1996, भाजपा, लाखीराम जोशी
2002, कांग्रेस, किशोर उपाध्याय
2007, कांग्रेस, किशोर उपाध्याय
2012, निर्दलीय, दिनेश धनै
2017, भाजपा, धन सिंह नेगी
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