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    डोईवाला विधानसभा सीट: त्रिवेंद्र की हां पर आगे सरकी गैरोला की गाड़ी

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 29 Jan 2022 02:05 AM (IST)

    Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 डोईवाला सीट के लिए भी भाजपा ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। बृज भूषण गैरोला को यहां से मैदान में उतारा गया। ये सीट पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की रही है।

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    Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022: उत्तराखंड की हाट सीट डोईवाला में भाजपा ने घोषित किया प्रत्याशी।

    केदार दत्त, देहरादून।  Uttarakhand Election 2022 विशिष्ट सीटों में शामिल रहने वाली देहरादून जिले की डोईवाला सीट का रहस्य भाजपा नामांकन के आखिरी क्षणों से चंद पहले सुलझा पाई। यहां प्रत्याशी का चयन न केवल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सहमति पर हुआ, बल्कि उनकी पसंद पर ही हाईकमान ने मुहर लगाई। इसके लिए त्रिवेंद्र भी स्वयं तीन दिन तक मशक्कत में जुटे रहे। ब्राह्मण चेहरे बृजभूषण गैरोला के नाम को आगे बढ़ाकर उन्होंने कई निशाने भी साधे। साथ ही टिकट की दौड़ में पहले से आगे चल रहे कार्यकत्र्ताओं को परोक्ष रूप से यह संदेश भी दिया कि डोईवाला में अब भी उनका ही सिक्का चलता है। त्रिवेंद्र वर्तमान में इस सीट से विधायक हैं, लेकिन उन्होंने इस बार स्वयं को टिकट की दौड़ से बाहर कर लिया था।

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    डोईवाला सीट को पारंपरिक तौर पर भाजपा की सुरक्षित सीटों में माना जाता है। एकाध अवसर छोड़ दें तो सभी चुनावों में वह यहां जीत दर्ज करती आई है। इस बीच विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी जब प्रत्याशी चयन को माथापच्ची में जुटी थी, तब 19 जनवरी को डोईवाला से विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव न लडऩे की इच्छा व्यक्त की।

    उनके पत्र के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले गए, लेकिन इसके बाद से अटकलें शुरू हो गईं कि डोईवाला में उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। यद्यपि, यह पहले ही साफ था कि उत्तराधिकारी जो भी होगा, उस पर त्रिवेंद्र की छाप दिखेगी। यह स्वाभाविक भी था, क्योंकि वह लंबे समय से डोईवाला का प्रतिनिधित्व करते आए हैं। विधायक बनने से पहले भी उनकी कर्मस्थली यही क्षेत्र रहा है। उनके इस बार चुनाव न लडऩे की इच्छा जाहिर करने के बाद टिकट का दावा करने वाले दूसरी पांत के कार्यकत्र्ताओं में होड़ शुरू हो गई। इनमें मुख्य तौर पर भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सौरभ थपलियाल और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र नेगी शामिल थे।

    इस बीच भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत का नाम भी इस सीट के लिए सुर्खियों में आया। इससे पहले ये चर्चा भी रही कि भाजपा यहां से दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के परिवार के किसी सदस्य को लांच कर सकती है। प्रारंभिक दौर की बातचीत भी हुई, लेकिन आगे नहीं बढ़ पाई। तत्पश्चात पार्टी ने इस सीट की गुत्थी सुझलाने को तमाम विकल्पों पर मंथन शुरू किया।

    पार्टी नेतृत्व जिन संभावनाओं को तलाश रहा था, उसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसा कोई निर्णय न हो, जिससे त्रिवेंद्र किसी भी रूप में आहत हों। आखिरकार इस बात पर सहमति बनी कि डोईवाला से टिकट का निर्णय त्रिवेंद्र पर छोड़ दिया जाए। गुरुवार मध्य रात्रि तक चली कसरत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बृजभूषण गैरोला का नाम आगे बढ़ाया। राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी इस पर मुहर लगाने में देर नहीं लगाई। आधी रात के बाद पार्टी ने गैरोला के टिकट देने का एलान कर दिया। नामांकन की अंतिम तारीख से कुछ घंटे पहले हुए इस निर्णय से त्रिवेंद्र ने यह संदेश भी दे दिया कि उत्तराधिकारी चुनने का स्वाभाविक तौर पर उनका ही अधिकार था।

    यद्यपि, गैरोला पहले भाजपा के दूसरे खेमे में शामिल माने जाते थे, लेकिन त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्रित्वकाल में अक्सर उन्हें उनके साथ ही देखा गया। पिछले दिनों मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जब त्रिवेंद्र ने निजी यात्राएं की तो उनमें गैरोला साए की तरह साथ रहे। त्रिवेंद्र की इस रणनीति के पीछे कई निहितार्थ भी छिपे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह कि ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाकर उन्होंने उन पर उठने वाली उन शंकाओं का समाधान भी कर डाला, जिन्हें लेकर गाहे-बगाहे त्रिवेंद्र को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता था।

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