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    उत्तराखंड में दीपावली पर हर रोज बढ़ रहा 500 टन कचरा, हांफने लगे निस्तारण प्लांट

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 10:03 AM (IST)

    उत्तराखंड में दीपावली के अवसर पर कचरे की मात्रा में 500 टन की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे निस्तारण प्लांटों पर दबाव बढ़ गया है। नगर निकायों को अतिरिक्त कर्मचारियों और संसाधनों का उपयोग करके कचरा निस्तारण को सुचारू रूप से चलाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि त्योहार के दौरान स्वच्छता बनी रहे।

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    नगर निकायों के अनुसार, सामान्य दिनों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक ठोस कचरा एकत्र किया जा रहा

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। दीपावली से पहले घरों में चल रही साफ सफाई से घर-आंगन तो चमक उठे, लेकिन नगर निकायों के कचरा निस्तारण प्लांट कूड़े के बोझ से दब गए हैं। दीपावली से पहले राज्य में रोज करीब 500 टन अतिरिक्त ठोस कचरा निकल रहा है।

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    सजावटी सामग्री, मिठाई के डिब्बों व पुराने अवशेषों ने कचरे के ढेर को बढ़ा दिया है। नगर निकायों के अनुसार, सामान्य दिनों की तुलना में 30 प्रतिशत तक अधिक ठोस कचरा एकत्र किया जा रहा है। इससे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली पर दबाव बढ़ गया है।

    उत्तराखंड में नगर निकायों के सामने कूड़ा निस्तारण की पहले ही बड़ी चुनौती है। अब तक देहरादून व हरिद्वार में ही वैज्ञानिक पद्धति से कचरा निस्तारण करने वाली सेनेटरी लैंडफिल साइट हैं। अभी भी एमआरएफ (मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी) प्लांट ही राज्य में कूड़ा निस्तारण का बोझ उठा रहे हैं। दीपावली पर कूड़े का भार बढ़ने से एमआरएफ संयंत्र हांफने लगे हैं। प्रदेश में कुल 85 एमआरएफ प्लांट हैं, जहां हाथों व मशीनों से कचरे की छंटाई होती है।

    अटके सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, बढ़ा ओवरलोड

    अत्याधुनिक सेनेटरी लैंडफिल के बाद सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट ही कचरा निस्तारण में नगर निकायों की उम्मीद बची है, लेकिन स्वीकृत 62 परियोजनाओं में 16 प्रोजेक्ट ही अब तक तैयार हैं। 44 प्रोजेक्ट कई साल से डीपीआर में अटके पड़े हैंं।

    एक साथ आ रहा गीला-सूखा कूड़ा कर रहा परेशान

    राज्य के नगर निकायों में प्रतिदिन लगभग 1716 मीट्रिक टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है। घरों से गीला-सूखा कचरा अलग नहीं करने की आदत सबसे बड़ी चुनौती पैदा कर रही है। राज्य के 108 शहरी स्थानीय निकायों में कचरे का पृथक्करण अभी भी केवल 79.50 प्रतिशत घरों में बताया गया है, लेकिन हकीकत में अभी यह आंकड़ा अभी 50 प्रतिशत भी नहीं पहुंचा है। इस कारण निस्तारण केंद्रों पर गीला-सूखा अलग-अलग करने की चुनौती सामने आ रही है।

    पुराना कचरा पहले ही सिरदर्द, अब और बढ़ा

    राज्य में कुल 23.51 लाख मीट्रिक टन लेगेसी वेस्ट (पुराना कचरा) जमा है, जिसमें से केवल 45.42 प्रतिशत (10.68 लाख मीट्रिक टन) का ही निस्तारण हो सका है। भूमि विवादों और जनविरोध के कारण 17 परियोजनाएं अटकी हुई हैं। अब दीपावली पर 500 टन कचरा रोज बढ़ने व समय से निस्तारण नहीं होने से पुराने कचरे का पहाड़ और ऊंचा हो रहा है।

    डिजिट प्वाइंटर-

    • कुल वार्ड- 1256
    • प्रतिदिन उत्पन्न कचरा- 1716.46 मीट्रिक टन
    • तैयार सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट- 16
    • एमआरएफ प्लांट- 85

    दीपावली के अवसर पर कचरा निस्तारण प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं, अतिरिक्त स्टाफ व अन्य जरूरी सुविधाओं का प्रयोग करने के निर्देश नगर निकायों को दिए गए हैं, ताकि कचरा निस्तारण में कोई समस्या न हो।

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    -विनोद कुमार, असिस्टेंट डायरेक्टर, शहरी विकास विभाग