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    Dharali Disaster: सीटियों से बची ग्रामीणों की जान, पीएम मोदी ने की पीड़ितों से मुलाकात

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 12:26 PM (IST)

    देहरादून एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा पीड़ितों से मुलाकात की। धराली के ग्रामीणों ने बताया कि मुखवा गांव के लोगों की सीटियों से उनकी जान बची। 5 अगस्त को खीरगंगा में जलस्तर बढ़ने से हाहाकार मचा था मुखवा के लोगों ने सीटी बजाकर लोगों को सतर्क किया। चमोली के नंदन सिंह ने जलजले में अपने माता-पिता को खो दिया प्रधानमंत्री ने उन्हें ढांढस बंधाया।

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    रातभर क्षेत्र में मूसलधार वर्षा होने से बढ़ा हुआ था खीरगंगा का जल स्तर. File Photo

    महेंद्र सिंह चौहान, जागरण, देहरादून । देहरादून एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आपदा प्रभावित क्षेत्रों से आए व्यक्तियों ने मुलाकात की। इस दौरान धराली से आए ग्रामीणों ने कहा कि मुखवा गांव के लोग खीरगंगा के प्रलय के दौरान सीटियां नहीं बचाते तो वह आज जिंदा नहीं होते।

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    धराली गांव के प्रधान अजय नेगी ने बताया कि पांच अगस्त को दोहपर करीब डेढ़ बजे गांव के समीप लगे हारदूध मेले में स्थानीय निवासियों की भीड़ लगी थी। रातभर क्षेत्र में मूसलधार वर्षा होने से खीरगंगा का जल स्तर बढ़ा हुआ था लेकिन यह किसी को भी अंदेशा नहीं था कि खीरगंगा ऐसा रौद्र रूप धारण कर सबकुछ जमींदोज हो गया।

    दोपहर के समय सामने नदी के दूसरी तरह के गांव मुखवा से ग्रामीण जोर-जोर से सीटी बचाने लगे, जिससे थराली गांव के आसपास के बाजारों में अफरातफरी मच गई कुछ लोग जब तक समझ पाते तक तक खीरगंगा का जलजला सबकुछ बहाते हुए ले गया। कुछ भाग्यशाली लोग रहे जो वहां से भागने में कामयाब हो पाए।

    नंदन सिंह ने अंतिम बार छूए थे माता  पिता के पांव

    चमोली जनपद के थराली के समीप मोपाटा गांव निवासी नंदन सिंह ने गांव में 22 अगस्त की मध्यरात्रि को आए जलजले में अपने माता-पिता खो दिए हैं। उन्होंने जागरण से बातचीत में कहा कि हादसे वाली रात को वह अपने परिवार के साथ रिश्तेदार के घर चला गया था, जिससे उनके और परिवार की जान बन पाई। लेकिन मकाने के ऊपर से आए पहाड़ी के मलबे में उनके पिता तारा सिंह कुुवर 61 एवं माता कमला देवी 58 को खो दिया।

    नंदन सिंह ने कहा कि घर पूरी तरह तबाह हो गया, घर में एक गिलास तक नहीं बच पाया। घर के मवेशी और खेत खलियान भी आपदा की भेंट चढ़ गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके दुखों को सुना और ढांढस बंधाया। कहा कि हादसे वाली सुबह को अंतिम बार अपने माता-पिता के पांव छूकर घर से निकला था उन्हें क्या मालूम था कि उसके बाद उसे माता-पिता के दर्शन नहीं होंगे।