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    Uttarakhand: आपदा पीड़ितों के आंसू पोंछने की कवायद तेज, पुनर्निर्माण कार्यों को मशीनरी ने कसी कमर

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 03:58 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी की उत्तराखंड को 1200 करोड़ की सहायता घोषणा के बाद एनडीएमए ने आपदा राहत कार्यों की समीक्षा की। केंद्रीय टीम आपदा के बाद की आवश्यकताओं का आकलन करेगी। सरकार पुनर्निर्माण कार्यों को तेजी से शुरू करने और प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार वन कानूनों में छूट चाहती है ताकि पुनर्वास कार्य तेजी से हो सके।

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    आपदा के बाद की आवश्यकताओं का आकलन करने में जुटेगी केंद्रीय टीम. FIle

    केदार दत्त, जागरण देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन पहले उत्तराखंड को आपदा से उबरने के लिए 1200 करोड़ रुपये की तात्कालिक सहायता देने की घोषणा की थी। अब आपदा पीडि़तों के आंसू पोंछने की कवायद तेज कर दी गई है। राहत और पुनर्निर्माण के दृष्टिगत मशीनरी तैयारियों में जुट गई है।

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    इस बीच शुक्रवार को देहरादून पहुंचे एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी) के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने आपदा राहत व पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। साथ ही आपदा के बाद की आवश्यकता के आकलन (पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट) के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। इसके लिए केंद्रीय टीम जल्द ही जुटेगी और माहभर के भीतर यह कार्य पूरा करेगी। इससे आपदा का व्यवस्थित आकलन हो सकेगा।

    प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही राज्य के लिए फौरी राहत घोषित की है, लेकिन जैसे संकेत मिल रहे हैं, यह इससे ऊपर जाएगी। यद्यपि, इसे लेकर आपदा के बाद की आवश्यकता के आकलन के बाद तस्वीर साफ होगी।

    अब सरकार की मंशा यही है कि पीडि़तों की यथोचित मदद के लिए तेजी से कदम उठाए जाएं। इसके तहत पुनर्निर्माण कार्य तो शुरू होंगे ही आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के दिशा में तेजी से प्रयास करने होंगे। कारण यह कि अब सर्दी का मौसम आने को है। ऐसे में इससे पहले पुनर्वास के काम होने आवश्यक हैं। इसी दृष्टि से मशीनरी कसरत में जुटी है।

    इन बिंदुओं पर होगा पीडीएनए

    एनडीएमए के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के अनुसार पीडीएमए में क्षति, प्रभावित लोगों की संख्या, बुनियादी ढांचे की स्थिति, आजीविका पर प्रभाव समेत अन्य बिंदुओं का आकलन होगा। यह आकलन पुनर्निर्माण, आर्थिक सहायता, दीर्घकालिक योजना और जोखिम न्यूनीकरण को जरूरी है। पीडीएनए के लिए गठित होने वाली टीम में आवास, सड़क, ऊर्जा, पेयजल, जीएसआइ समेत विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ होंगे। यह टीम 17 या 18 सितंबर को उत्तराखंड पहुंचेगी।

    राज्य को मिले वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार

    इस मानसून में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आपदा में 238 घर पूर्ण रूप से ध्वस्त हुए हैं, जबकि 2835 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जाहिर है कि, बेघर हुए लोगों के पुनर्वास को सुरक्षित स्थान पर भूमि की आवश्यकता है। चूंकि, राज्य का 71.05 प्रतिशत हिस्सा वन भूभाग है तो पुनर्वास के लिए वन भूमि लेना विवशता है। इसके लिए केंद्र पर निर्भरता है।

    ऐसे में आपदा प्रभावितों का जल्द पुनर्वास हो, इसके लिए राज्य वन कानूनों में शिथिलता चाहता है। केदारनाथ में जून 2013 की आपदा के बाद कुछ समय तक राज्य को एक हेक्टयर तक वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार मिला था। अब फिर से इसके लिए केंद्र में पैरवी की जा रही है