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    उत्‍तराखंड के आपदा प्रभावित किसानों पर मुसीबत, तय किए ऐसे मानक बड़ी संख्या में मुआवजे से रह जाएंगे वंचित

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:04 PM (IST)

    उत्तराखंड में आपदा से कृषि और बागवानी को भारी नुकसान हुआ है जिसमें 11622.71 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित है। मौजूदा मानकों के अनुसार केवल 5112.35 हेक्टेयर क्षेत्र ही मुआवजे के दायरे में आ रहा है जिससे कई किसान वंचित रह जाएंगे। सरकार मानकों में बदलाव और अतिरिक्त सहायता पर विचार कर रही है ताकि आपदा प्रभावित किसानों को राहत मिल सके।

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    आपदा प्रभावित किसानों को नाममात्र का मुआवजा. Concept Photo

    केदार दत्त, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में आपदा से कृषि एवं औद्यानिकी को इस बार मानसून में अब तक खासा नुकसान पहुंचा है। विशेषकर, औद्यानिकी क्षेत्र की तो आपदा ने कमर ही तोड़कर रख दी है। अब तक की तस्वीर देखें तो औद्यानिकी में 11271.68 हेक्टेयर और कृषि में 350.03 हेक्टेयर क्षेत्र को क्षति पहुंची है।

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    इस पर आपदा राहत के मानक ऐसे हैं कि मात्र 5112.35 हेक्टेयर क्षेत्र ही इसके दायरे में आ रहा है। इसके लिए भी ग्राम पंचायत का क्षेत्र इकाई है। परिणामस्वरूप आपदा राहत की परिधि में आने वाले किसानों को मिलने वाली सहायता राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही होगी।

    इस परिदृश्य में राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां के लिए आपदा राहत के मानकों में बदलाव के दृष्टिगत केंद्र में दस्तक देनी होगी। साथ ही अपने स्तर से भी किसानों को सहायता राशि देने के लिए राज्य सरकार को कदम उठाने होंगे।

    किसानों की आजीविका पर बड़ी चोट

    आपदा ने इस मर्तबा कृषि व औद्यानिकी को भारी क्षति पहुंचाकर किसानों की आजीविका पर बड़ी चोट की है। यद्यपि, आपदा प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए मुआवजे का प्रविधान है, लेकिन मानक यहां की परिस्थितियों से मेल नहीं खाते।

    आपदा की क्षति के आकलन के लिए मानक ग्राम पंचायत का क्षेत्र है। 33 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर ही प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी ग्राम पंचायत में दो हेक्टेयर क्षेत्र में क्षति पहुंची है तो छोटी जोत होने के कारण उसकी जद में एक नहीं कई किसान आते हैं। उस पर क्षतिपूर्ति की दर प्रति हेक्टेयर काफी कम है।

    कृषि क्षेत्र को ही लें तो आपदा में फसल क्षति पर सिंचित में 17 हजार रुपये और असिंचित में साढ़े आठ हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे का प्रविधान है। इसी तरह खेत मलबे से अटने पर 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और भूस्खलन व नदी की बाढ़ से भूमि कटने पर 47 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने का प्रविधान है।

    ये बात अलग है कि 33 प्रतिशत से अधिक क्षति वाले क्षेत्र में प्रभावित किसानों की संख्या अधिक होने के कारण उन्हें न्यूनतम एक हजार, मलबा आने पर 2200 व जमीन कटने पर मात्र 5000 रुपये का मुआवजा देने का प्रविधान है। इसी प्रकार औद्यानिकी में बहुवर्षीय फसल में 22 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रविधान है। इसके अलावा फल, सब्जी के लिए अलग-अलग प्रविधान हैं।

    आपदा में अब तक क्षति की तस्वीर

    कृषि

    • 246.41 हेक्टेयर क्षेत्रफल को 33 प्रतिशत से कम क्षति।
    • 40.58 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान।
    • 27.87 हेक्टेयर कृषि भूमि मलबे से अटी।
    • 35.17 हेक्टेयर कृषि भूमि भूस्खलन से तबाह।

    औद्यानिकी

    • 11271.68 हेक्टेयर क्षेत्र में औद्यानिक फसलों को पहुंच चुकी क्षति।
    • 4797.49 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान।
    • 6475.19 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को 33 प्रतिशत से कम क्षति।

    ‘आपदा राहत के एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के मानक केंद्र से तय हैं। इसी आधार पर प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाती है। जो किसान इस दायरे में नहीं आ रहे हैं, उन्हें राहत देने के दृष्टिगत मंथन किया जा रहा है। जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा।’ - गणेश जोशी, कृषि एवं उद्यान मंत्री

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