Uttarakhand Disaster: पहाड़ में बादल फटना तो मैदानी क्षेत्र में बाढ़, डेढ़ माह में ही आपदा ने लील ली 25 जिंदगियां
उत्तराखंड में आपदा ने बढ़ाई चिंता। वर्षाकाल में बादल फटने भूस्खलन और बाढ़ से 25 लोगों की मौत हो गई 18 घायल और 8 लापता हैं। घरों कृषि भूमि और सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। पिछले साल आपदा से 1100 करोड़ रुपये की क्षति हुई थी इस बार और भी अधिक होने की आशंका है। सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए जिलों को निर्देश दिए हैं।

केदार दत्त, देहरादून। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में आपदाएं जिंदगी की डोर पर भारी पड़ रही हैं। इस वर्षाकाल में भी आपदा ने चिंता और चुनौती दोनों बढ़ा दी हैं। पहाड़ में बादल फटना, भूस्खलन तो मैदानी क्षेत्रों में बाढ़, जलभराव की दिक्कत सांसें अटका रही है।
आंकड़े देखें तो डेढ़ माह के वक्फे में ही आपदा ने 25 जिंदगियां लील ली, जबकि 18 लोग घायल हुए और आठ लापता हैं। इसके अलावा मवेशियों, घरों, कृषि भूमि के साथ ही सड़कों, पेयजल व विद्युत योजनाओं और सार्वजनिक परिसंपत्तियों को काफी क्षति पहुंची है। यही नहीं, सड़क हादसे भी भारी पड़ रहे हैं।
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में चौमासा यानी वर्षाकाल के चार माह भारी गुजरते हैं। इस दौरान जनजीवन अस्त-व्यस्त रहता है। पर्वतीय क्षेत्रों में अतिवृष्टि, बादल फटना, भूस्खलन, आकाशीय बिजली जैसी आपदाएं चौमासे में भयभीत करती हैं, जबकि मैदानी क्षेत्रों में नदियों के उफान पर रहने के कारण बाढ़ और जलभराव मुसीबत का सबब बनते हैं।
इस बार का परिदृश्य भी इससे जुदा नहीं है। विभिन्न जिलों में एक के बाद एक आपदाएं जान-माल के नुकसान का सबब बन रही हैं। एक जून से अब तक की तस्वीर देखें तो इस अवधि में राज्य में आपदा ने 270 घरों की नींव हिलाई है, जबकि 79 छोटे-बड़े मवेशी काल कवलित हुए हैं।
पिछले वर्षाकाल को लें तो तब आपदा में 90 व्यक्तियों की जान गई, जबकि 91 घायल हुए। 28 व्यक्तियों का कोई पता नहीं चल पाया। यही नहीं, घरों, मवेशियों, कृषि भूमि के साथ ही परिसंपत्तियों को भारी क्षति पहुंची। तब आपदा से 1100 करोड़ रुपये की क्षति का आकलन किया गया था।
इस बार वर्षाकाल के डेढ़ माह में ही मौसम ने जैसे तेवर दिखाए हैं और आगे जैसी संभावना है, उससे क्षति भी अधिक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस सबको देखते हुए शासन ने क्षति के आकलन के लिए जिलों को निर्देश जारी किए हैं।
‘वर्षाकाल में आपदा के चलते कितनी क्षति हुई है, इसके आकलन के लिए सभी जिलों के डीएम के साथ ही विभागों को निर्देशित किया गया है। क्षति का ब्योरा मिलने के बाद ही सही तस्वीर सामने आएगी। आपदा से क्षति के अलावा जिलों से सड़क दुर्घटनाओं का ब्योरा भी मांगा गया है।’ - विनोद कुमार सुमन, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास, उत्तराखंड
| जिला | मृतक | घायल | लापता |
|---|---|---|---|
| उत्तरकाशी | 10 | 02 | 08 |
| चमोली | 04 | 02 | 00 |
| देहरादून | 03 | 03 | 00 |
| रुद्रप्रयाग | 03 | 08 | 00 |
| टिहरी | 02 | 00 | 00 |
| चंपावत | 01 | 00 | 00 |
| हरिद्वार | 01 | 00 | 00 |
| ऊधम सिंह नगर | 01 | 00 | 00 |
| बागेश्वर | 00 | 01 | 00 |
| पौड़ी | 00 | 02 | 00 |
| जिला | मृतक | घायल | लापता |
|---|---|---|---|
| देहरादून | 10 | 08 | 00 |
| रुद्रप्रयाग | 09 | 14 | 05 |
| टिहरी | 07 | 68 | 00 |
| नैनीताल | 07 | 10 | 00 |
| पिथौरागढ़ | 14 | 13 | 00 |
| पौड़ी | 05 | 02 | 00 |
| चमोली | 04 | 28 | 00 |
| उत्तरकाशी | 03 | 11 | 00 |
| अल्मोड़ा | 02 | 05 | 00 |
| चंपावत | 02 | 06 | 00 |
| ऊधम सिंह नगर | 00 | 18 | 00 |
| बागेश्वर | 00 | 04 | 00 |

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