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    पहाड़ों में कोरोना से निपटने की तैयारी हवा-हवाई, इन जिलों में लाखों रुपये से बने ऑक्सीजन प्लांट नहीं हो सके शुरू

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Wed, 21 Apr 2021 10:07 AM (IST)

    पहाड़ों में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के बीच कोरोना महामारी से लड़ने की तैयारी भी अपर्याप्त है। एक साल का समय मिलने के बावजूद सभी अस्पतालों में माकूल इंतजाम नहीं हो पाए हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जिस तेजी के साथ फैल रही है।

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    पहाड़ों में कोरोना से निपटने की तैयारी हवा-हवाई।

    जागरण टीम, देहरादून। पहाड़ों में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के बीच कोरोना महामारी से लड़ने की तैयारी भी अपर्याप्त है। एक साल का समय मिलने के बावजूद सभी अस्पतालों में माकूल इंतजाम नहीं हो पाए हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जिस तेजी के साथ फैल रही है, उस तेजी से टेस्ट और ट्रेसिंग होगी तो कोरोना संक्रमितों का भयावह आंकड़ा सामने आएगा। वर्तमान में चल रही सैंपलिंग के अनुपात में औसतन 10 फीसद व्यक्ति संक्रमित मिल रहे हैं। गढ़वाल मंडल के पांच पहाड़ी जिलों में अस्पतालों के पास ऑक्सीजन प्लांट तो हैं, लेकिन अभी ये संचालित नहीं हो रहे। ऑक्सीजन के लिए दून की एजेंसियों पर निर्भरता है।

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    टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी और उत्तरकाशी के जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड के लिए बीते वर्ष 60-60 लाख के ऑक्सीजन प्लांट लगे थे। अस्पताल में सभी बेड तक ऑक्सीजन की लाइन भी बिछी हुई है, लेकिन ये प्लांट अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्लांट लगाने वाली कंपनी के कर्मचारी अन्य राज्यों के जनपदों में व्यस्त हैं। उत्तरकाशी जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. एसडी सकलानी कहते हैं कि कंपनी संचालक से उन्होंने बात की है। साथ ही जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने भी जल्द से जल्द ऑक्सीजन प्लांट संचालित करने के निर्देश कंपनी के अधिकारियों को दिए हैं। 

    किसी भी अस्पताल में नहीं रेमडेसिविर 

    गढ़वाल मंडल में पहाड़ के पांच जनपदों में से किसी भी अस्पताल के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति पिछले 15 दिन से है, जबकि सभी अस्पतालों की ओर से इसकी मांग भी की गई है। यह भी पता नहीं चल पाया कि इसकी आपूर्ति कब तक हो पाएगी।  

    आइसीयू बेड की नहीं अच्छी स्थिति 

    देहरादून और हरिद्वार को छोड़कर गढ़वाल मंडल के पांच जनपदों में वेंटिलेटर की तरह ही आइसीयू बेड की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। चमोली जनपद में केवल छह आइसीयू बेड हैं। ये सभी बेड अभी खाली हैं। उत्तरकाशी में स्वास्थ्य विभाग ने आइसीयू बेड की संख्या बढ़ाई है। वर्तमान में यहां 25 आइसीयू बेड हैं। इनमें से दस बेड पर कोरोना संक्रमितों का उपचार चल रहा है। 

    होम आइसोलेशन को सुदृढ़ करने की जरूरत 

    पहाड़ों में जो कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं, उनमें अधिकांश को सामान्य खांसी-बुखार के लक्षण हैं। इस कारण प्रशासन ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन पर भेज रहा है। टिहरी में 193, चमोली में 105 और उत्तरकाशी में 110 व्यक्तियों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। लेकिन, होम आइसोलेशन की व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है, जिससे कोरोना संक्रमित व्यक्ति की समय-समय पर निगरानी भी की जा सके। 

    सैंपलिंग की रफ्तार धीमी

    पहाड़ों में सैंपलिंग की रफ्तार अभी बेहद धीमी है, जबकि यहां सैंपलिंग के अनुपात में पॉजिटिव आने वालों का आंकड़ा 10 फीसद से अधिक है। आबादी के अनुरूप सबसे कम सैंपलिंग टिहरी में हो रही है। उत्तरकाशी में सैंपलिंग की रफ्तार अच्छी है। 

    हरिद्वार में कहीं नहीं मिल रहा रेमडेसिविर

    कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए हरिद्वार के जिला कोविड अस्पताल, कोविड हेल्थ सेंटर और कोविड केयर सेंटर में 10,381 बेड की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में यहां 661 व्यक्ति भर्ती हैं। 1166 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। इसके अलावा कोविड हेल्थ सेंटर जया मैक्सवेल हरिद्वार, विनय विशाल रुड़की और मिलिट्री हॉस्पिटल रुड़की में अति गंभीर कोविड मरीजों को भर्ती करने के लिए 210 बेड की व्यवस्था है।

    मेला अस्पताल, बाबा बर्फानी, मेट्रो, भूमानंद और आरोग्यम में 455 बेड आरक्षित हैं। यहां प्रत्येक बेड पर मेडिकल ऑक्सीजन की भी उपलब्धता है। वहीं, होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला और छात्रावास आदि में बनाए गए कोविड केयर सेंटर की संख्या 208 है। यहां 9716 बेड की व्यवस्था है। हालांकि, अभी नौ कोविड केयर सेंटर में ही मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन यहां उपलब्ध नहीं है। 

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