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    आखिर क्यों बोल पड़े भाजपा विधायक, मेरे लिए पार्टी, विस सीट और पत्नी का एक ही विकल्प; इस बात से हैं बेचैन

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 11:22 AM (IST)

    लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2012 से लैंसडौन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक महंत दिलीप ...और पढ़ें

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    आखिर क्यों बोल पड़े भाजपा विधायक, मेरे लिए पार्टी। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Chunav 2022 उत्तराखंड भाजपा जहां प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची में जुटी है। वहीं लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2012 से लैंसडौन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक महंत दिलीप रावत ने स्पष्ट किया कि उनके लिए पार्टी के रूप में भाजपा और सीट के तौर पर लैंसडौन ही एकमात्र विकल्प है। साथ ही आगे जोड़ा, 'मेरे पास पत्नी का एक ही विकल्प है, जो मेरी पत्नी ही है। बहुतों के पास बहुत सारे विकल्प हो सकते हैं।'

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    लैंसडौन क्षेत्र में कोटद्वार से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी पिछले कुछ समय से सक्रिय हैं। हरक सिंह लैंसडौन सीट से अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए पार्टी से टिकट मांग रहे हैं। यही नहीं, लंबे समय से अनुकृति ने भी लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाई हुई है। इससे वर्तमान में लैंसडौन का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक दिलीप रावत की बेचैनी बढ़ गई है।

    पिछले कुछ दिनों से विधायक दिलीप रावत, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए हैं। इस बीच दिलीप के कांग्रेस नेताओं के संपर्क में होने की चर्चा चली, जिसे बीते दिवस ही उन्होंने सिरे से नकारते हुए इसे विरोधियों की साजिश बताया। विधायक दिलीप रावत ने शनिवार को देहरादून में भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में इशारों ही इशारों में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि भाजपा उनका अकेला परिवार है, उनके पास एक ही विकल्प है भाजपा। कहीं और जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। साथ ही कहा कि जहां तक उनकी दावेदारी का प्रश्न है तो इसका भी एकमात्र विकल्प लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र ही है।

    केवल परिवार के आधार पर टिकट देना ठीक नहीं

    विधायक रावत ने एक प्रश्न पर कहा कि वह राजनीति में परिवारवाद के विरुद्ध नहीं हैं। इसमें यह देखा जाना चाहिए कि जिसे टिकट दिया जा रहा है, राजनीति में उसकी पृष्ठभूमि व योगदान क्या है। उसने पार्टी और समाज के लिए क्या-क्या काम किए हैं, इसका भी आकलन होना चाहिए। केवल और केवल परिवार के आधार पर ही टिकट देना राजनीति के लिए किसी भी दशा में अच्छा नहीं कहा जा सकता।

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