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Uttarakhand Chamoli Glacier Burst: आधा किमी लंबा हैंगिंग ग्लेशियर बना तबाही का कारण, ऐसे सामने आई असल वजह

Uttarakhand Chamoli Glacier Burst रविवार सात फरवरी की सुबह ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र में आई जलप्रलय का कारण रौंथी पर्वत का एक हैंगिंग ग्लेशियर (सर्प ग्लेशियर) बना। इस बात की पुष्टि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने की।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 09:24 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 02:57 PM (IST)
आधा किमी लंबा हैंगिंग ग्लेशियर बना तबाही का कारण।

सुमन सेमवाल, देहरादून। Uttarakhand Chamoli Glacier Burst रविवार सात फरवरी की सुबह ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र में आई जलप्रलय का कारण रौंथी पर्वत का एक हैंगिंग ग्लेशियर (सर्प ग्लेशियर) बना। इस बात की पुष्टि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने की। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए उन्होंने डॉ. बिष्ट के सैन फ्रांसिस्को की एजेंसी 'प्लेनेट' के सेटेलाइट डेटा का सहारा लिया। तबाही की असल वजह पुष्ट हो जाने के बाद इसकी जानकारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व मुख्य सचिव ओम प्रकाश को भी दी गई है। नई जानकारी सामने आने के बाद सरकार ने यूसैक को रौंथी पर्वत पर सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।

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यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, ऋषिगंगा नदी के बायें छोर पर रौंथी गदेरा मिलता है, जो रौंथी पर्वत से आता है और इसका स्रोत रौंथी ग्लेशियर ही है। इस पर्वत पर करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर करीब आधा किलोमीटर लंबा हैंगिंग ग्लेशियर था। जो एक चट्टान पर स्थित था और 82 से 85 डिग्री का कोण लेकर नीचे की तरफ लटका हुआ था।

डॉ. बिष्ट ने बताया कि छह फरवरी की रात को हैंगिंग ग्लेशियर वाली भारी-भरकम चट्टान नीचे खिसक गई और उसके साथ ग्लेशियर का अधिकांश हिस्सा भी नीचे आ गिरा। रौंथी गदेरे से भारी मात्रा में मलबा लेकर यह ग्लेशियर व बोल्डर करीब 11 किलोमीटर की दूरी तय कर 3800 मीटर की ऊंचाई पर ऋषिगंगा नदी में जा गिरे। यहां पर बर्फ व मलबा जमा हो गए और एक कृत्रिम झील का निर्माण हो गया। सात फरवरी की सुबह भारी दबाव के चलते यह झील टूट गई और मलबे सहित निचले क्षेत्रों में तबाही बरपाते हुए आगे बढ़ने लगी।

चट्टान के साथ ग्लेशियर टूटने से भारी कंपन्न उत्पन्न हुआ

यूसैक निदेशक ने यह भी आकल किया कि रौंथी पर्वत की चट्टान टूटने के साथ गिरे हैंगिंग ग्लेशियर से क्षेत्र में भारी कंपन्न उत्पन्न हुआ। इसके चलते रौंथी गदेरे के दोनों छोर पर जो ताजा बर्फ जमी थी, वह भी नीचे खिसकी और ऋषिगंगा में जा मिली। इससे नदी में बड़े बोल्डर के साथ अतिरिक्त पानी आ गया था।

वाडिया ने भी हैंगिंग ग्लेशियर को माना वजह

ऋषिगंगा क्षेत्र में पहुंची वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की टीम ने मंगलवार को आपदाग्रस्त क्षेत्रों का जमीनी सर्वे करने के साथ हैली सर्वे भी किया। वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं के मुताबिक, टीम में शामिल विज्ञानी डॉ. समीर तिवारी, डॉ. मनीष मेहता आदि ने सर्वे के बाद प्रारंभिक जानकारी भेजी है। जानकारी के मुताबिक जलप्रलय का कारण रौंथी पर्वत का हैंगिंग ग्लेशियर ही बना है। उन्होंने बताया कि आधा किलोमीटर तक लंबाई के साथ ही इसकी मोटाई करीब 50 मीटर थी। अध्ययन अभी जारी है, जल्द कुछ और प्रमाण भी खोजे जाएंगे। वहीं, इससे पहले इसरो के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आइआइआरएस) ने एवलांच को जलप्रलय की वजह बताया था। हालांकि, उस जानकारी में स्पष्ट नहीं किया गया था कि किस ग्लेशियर से हिमस्खलन हुआ है।

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