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    Uttarakhand Black Fungus Cases: एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस से अब तक सात की मौत, 15 नए मरीज भर्ती

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Tue, 25 May 2021 10:41 PM (IST)

    Uttarakhand Black Fungus Cases अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के कुल 92 मरीज आ चुके हैं। मंगलवार को उपचार के दौरान एक 68 वर्षीय पुरुष की मृत्यु हो गई। एम्स में उपचार के लिए भर्ती अब तक सात मरीजों की मौत हो चुकी है।

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    एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस से अब तक सात की मौत, 15 नए मरीज भर्ती।

    जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Uttarakhand Black Fungus Cases अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के कुल 92 मरीज आ चुके हैं। मंगलवार को उपचार के दौरान एक 68 वर्षीय पुरुष की मृत्यु हो गई। एम्स में उपचार के लिए भर्ती अब तक सात मरीजों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को यहां 15 नए मरीज भर्ती किए गए।

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    एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि मंगलवार को माजरा देहरादून उत्तराखंड निवासी एक 68 वर्षीय पुरुष की उपचार के दौरान मृत्यु हो गयी। अभी तक दो मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है।अब एम्स में म्यूकोर माइकोसिस के 83 रोगी भर्ती हैं। उधर, हिमालयन हॉस्पिटल जौली ग्रांट में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 18 मामले आ चुके हैं। नोडल अधिकारी डॉ. संजॉय दास ने बताया कि पूर्व में दो गंभीर मरीजों की मृत्यु हो गई थी। छह मरीजों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी। वर्तमान में यहां 10 मरीज भर्ती हैं।

    एक आंख की रोशनी जाने के बावजूद मरीज को बचाया

    अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती म्यूकर माइकोसिस के एक रोगी को डिस्चार्ज कर दिया गया। देहरादून निवासी कोविड पॉजिटिव 59 वर्षीय शख्स बीते माह 16 अप्रैल को कोविड संक्रमित हो गया था। इस बीच ब्लैक फंगस संक्रमित होने के कारण इस मरीज को 30 अप्रैल को एम्स ऋषिकेश में भर्ती किया गया था। एम्स में म्यूकर माइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड और इएनटी सर्जन डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि इस मरीज को डायबिटीज की शिकायत थी और इसकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। इसके अलावा मरीज की नाक भी बंद हो चुकी थी। 

    डॉ. त्यागी ने बताया कि मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए इसकी सर्जरी भी की गई। मरीज की नाक और ऊपरी जबड़े में संक्रमण पूरी तरह फैल चुका था। इन हालातों में समय पर सर्जरी होने के कारण उसके शरीर के अन्य अंग फंगस की चपेट में आने से बच गए। उन्होंने बताया कि उचित मात्रा में एम्पोटेरेसिन इंजेक्शन देने और अन्य दवाओं की उपलब्धता की वजह से रोगी की हालत में सुधार हुआ, जिसे डिस्चार्ज कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि रोगी की स्थिति अब स्थिर है। सर्जरी करने वाली टीम में डा. अमित त्यागी के अलावा डॉ. अमित कुमार और डॉ. भियांराम आदि शामिल थे। 

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