Move to Jagran APP

UCC को मिल गई राष्ट्रपति की मंजूरी, लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड; सीएम धामी ने दी बधाई

UCC in Uttarakhand समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। बुधवार को राष्ट्रपति ने नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बात की जानकारी दी है। सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई भी दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करेगा यूसीसी।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Published: Wed, 13 Mar 2024 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2024 03:22 PM (IST)
UCC को मिल गई राष्ट्रपति की मंजूरी, लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड;

डिजिटल डेस्क, देहरादून। समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। बुधवार को राष्ट्रपति ने नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बात की जानकारी दी है।

loksabha election banner

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके सीएम धामी ने इस बात की जानकारी दी। सीएम धामी ने लिखा कि हम सभी प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि हमारी सरकार द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को आदरणीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।

यूसीसी से बदलेगी महिलाओं की स्थिति

सीएम धामी ने आगे लिखा कि निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर भी लगाम लगेगी। प्रदेश में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करते हुए समरसता को बढ़ावा देने में #UniformCivilCode अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री जी के विजन के अनुरूप हमारी सरकार नागरिकों के हितों के संरक्षण और उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है।

6 फरवरी को सीएम धामी ने पेश किया था विधेयक

बता दें कि 6 फरवरी 2024 को विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक पेश कर दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सदन में पेश किए गए विधेयक में 392 धाराएं थीं, जिनमें से केवल उत्तराधिकार से संबंधित धाराओं की संख्या 328 थी।

महिला अधिकारों पर केंद्रित था विधेयक

इस विधेयक में मुख्य रूप से महिला अधिकारों के संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। कुल 192 पृष्ठों के विधेयक को चार खंडों विवाह और विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) और विविध में विभाजित किया गया है।

यह भी पढ़ें: Uniform Civil Code: क्या है यूनिफार्म सिविल कोड बिल, बाल विवाह-हलाला और महिलाओं को...; पढ़ें विधेयक की बड़ी बातें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.