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    Uttarakhand assembly session: कांग्रेस ने सत्र पर असमंजस के लिए सरकार को घेरा, जानें- नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह क्या बोले

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sat, 27 Nov 2021 02:23 PM (IST)

    Uttarakhand Assembly Winter Session 2021 शीतकालीन सत्र की तिथियों पर असमंजस को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं में गैरसैंण में विधानसभा सत्र कराने से पीछे हटने को लेकर अंतर्विरोध भी सामने आया है।

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    Uttarakhand assembly session: कांग्रेस ने सत्र पर असमंजस के लिए सरकार को घेरा।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Winter Session 2021 विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तिथियों पर असमंजस को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं में गैरसैंण में विधानसभा सत्र कराने से पीछे हटने को लेकर अंतर्विरोध भी सामने आया है।

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    नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार शीतकालीन सत्र के आयोजन को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही है। कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाने के साथ ही सत्र की तिथि भी सुनिश्चित की जाए। उधर, गैरसैंण में विधानसभा सत्र को लेकर सरकार के पीछे हटने की चर्चाओं को लेकर कांग्रेस में अंतद्र्वंद्व दिखाई पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह बीते रोज विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से मुलाकात कर गैरसैंण के स्थान पर देहरादून में ही सत्र के आयोजन पर जोर दे चुके हैं। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने गैरसैंण में सत्र से पीछे कदम खींचने की चर्चाओं पर आपत्ति प्रकट की है।

    पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने गैरसैंण में सत्र नहीं कराने की चर्चा को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर भराड़ीसैंण का नाम बदलकर इंद्रमणि बडोनीपुरम किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन प्रणेता इंद्रमणि बडोनी की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखने के लिए अभी तक गंभीर प्रयास नहीं किए गए हैं।

    प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि गैरसैंण में विधानसभा सत्र नहीं कराने को लेकर चर्चा पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण में स्थायी राजधानी की मांग को लेकर लंबा संघर्ष किया था। राज्य सरकार दो दिन के लिए भी सत्र कराने को तैयार नहीं होती है तो यह पर्वतीय अंचलों की उपेक्षा है।

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