Election 2022: यहां सिर्फ दो दलों के बीच ही सिमट जाता है मुकाबला, 21 साल तक भी नहीं सशक्त तीसरा विकल्प; और कितना इंतजार
Uttarakhand Assembly Elections 2022 21 साल बाद भी प्रदेश की जनता को अभी तक तीसरा सशक्त राजनीतिक विकल्प नहीं मिल पाया है। अभी तक हुए चार विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ही बारी-बारी सत्ता में आई हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन के 21 साल बाद भी प्रदेश की जनता को अभी तक तीसरा सशक्त राजनीतिक विकल्प नहीं मिल पाया है। अभी तक हुए चार विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ही बारी-बारी सत्ता में आई हैं। शुरुआती दौर में तीसरे विकल्प बनने की दिशा में आगे बढ़ने वाली बसपा और उक्रांद तो पिछले चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई। आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस बार उत्तराखंड को राजनीति में कोई तीसरा विकल्प सामने आएगा या फिर मुकाबला हमेशा की तरह दो दलों के बीच ही सिमट कर रह जाएगा।
उत्तराखंड में अभी तक दो दलीय व्यवस्था ही देखने को मिली है। प्रदेश में अभी तक हुए चुनावों पर नजर डालें तो दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस सत्ता में आई। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 36 सीट लेकर बहुमत के साथ सत्ता में आई। भाजपा को 19 सीटें मिली। बसपा सात सीटें लेकर तीसरे और चार सीटें लेकर उक्रांद चौथी बड़ी पार्टी बनीं। इस चुनाव से आस जगी कि प्रदेश में क्षेत्रीय दल भी अपनी पहचान बनाएंगे।
2007 के चुनाव में जनता ने भाजपा पर भरोसा जताते हुए सबसे अधिक 35 सीट दीं। भाजपा को सरकार बनाने के लिए उक्रांद का समर्थन प्राप्त हुआ। उक्रांद के तीन और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से भाजपा ने पूरे पांच साल सरकार चलाई। इस चुनाव में बसपा ने अपना प्रदर्शन और बेहतर करते हुए आठ सीटों पर जीत दर्ज की। लगातार दूसरे चुनाव में बसपा और उक्रांद के प्रदर्शन ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में तीसरी ताकत के रूप में पहचान दिलाने की होड़ में बनाए रखा। 2012 के चुनाव में स्थिति बदली हुई थी। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस 32 सीट पाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी तो भाजपा को 31 सीटों पर विजय मिली।
कांग्रेस ने बसपा के तीन, उक्रांद के एक और तीन निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई। इस चुनाव में बसपा और उक्रांद के प्रदर्शन में काफी गिरावट नजर आई। वर्ष 2017 के चुनाव में मोदी लहर के सामने सारी पार्टियां बिखर गईं। भाजपा 57 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। कांग्रेस को महज 11 सीटों पर संतोष करना पड़ा। मोदी लहर के बावजूद दो निर्दलीय विधायकों ने भी जीत दर्ज की।
अब 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। भाजपा व कांग्रेस के अलावा बसपा व उक्रांद भी अपने राजनीतिक धरातल को तलाशने में जुटी हैं। वहीं, इस बार आप ने भी प्रदेश की सभी 70 सीटों पर ताल ठोकने की बात कही है। इसके लिए दल ने प्रचार भी तेज किया हुआ है। नजर अब इस बात पर टिकी हुई है कि प्रदेश में इस बार कोई तीसरा कोण देखने को मिलेगा या फिर मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच में ही सिमट कर रह जाएगा।
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