Move to Jagran APP

गन्ना किसानों के बहाने दो दर्जन सीटों पर भाजपा की निगाह, सीएम ने मझे खिलाड़ी की तरह खेल विपक्ष को चौंकाया

केंद्र सरकार के फैसले के बाद सत्ताधारी दल भाजपा फ्रंटफुट पर है। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंझे हुए खिलाड़ी के रूप में गन्ना किसानों के बहाने कई दांव एक साथ चलकर विपक्ष को भी चौंका दिया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 09:23 AM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 09:23 AM (IST)
गन्ना किसानों के बहाने दो दर्जन सीटों पर भाजपा की निगाह, सीएम ने मझे खिलाड़ी की तरह खेल विपक्ष को चौंकाया
गन्ना किसानों के बहाने दो दर्जन सीटों पर भाजपा की निगाह।

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। कृषि कानूनों को लेकर बैकफुट पर आने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद सत्ताधारी दल भाजपा फ्रंटफुट पर है। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंझे हुए खिलाड़ी के रूप में गन्ना किसानों के बहाने कई दांव एक साथ चलकर विपक्ष को भी चौंका दिया। गन्ना मूल्य में इस तरह वृद्धि की गई कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश भी काफी पीछे छूटा हुआ दिख रहा है। सात लाख से ज्यादा गन्ना किसानों और उनके परिवारों के दिलों में दस्तक देने के लिए गन्ना मूल्य ज्यादा तय करने के साथ ढुलान भाड़े में राहत दी गई है। हरिद्वार व ऊधसिंह नगर जिलों समेत चार जिलों की दो दर्जन विधानसभा सीटों पर किसानों का प्रभाव देखते हुए की गई सरकार की इस पहल ने गिरते पारे के बीच उत्तराखंड में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है।

loksabha election banner

प्रदेश में भी कृषि कानून वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का असर देखा जा रहा है तो इसकी बड़ी वजह विधानसभा सीटों के लिहाज से दो बड़े जिले हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर हैं। साथ ही देहरादून व नैनीताल की कुछ विधानसभा सीटों पर भी किसानों के मुद्दे असर छोड़ते रहे हैं। किसानों को लेकर प्रदेश में तकरीबन एक साल से आक्रामक राजनीति हो रही है। बदली परिस्थितियों में किसानों की नाराजगी दूर होने की आस सबसे ज्यादा भाजपा को ही बंधी है। पार्टी मान रही है कि कृषि कानून रद होने से चुनाव से पहले ही विपक्ष के हाथ से मुख्य हथियार छिन गया है। सरकार और संगठन अब बढ़े आत्मविश्वास और उत्साह के साथ किसानों के बीच पहुंच रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने केंद्र के साथ मिलाई ताल

मुख्यमंत्री धामी के तेवर महीने-दर-महीने धार पकड़ रहे हैं। गन्ना किसानों के मामले में धामी ने यह साबित कर दिखाया है। किसानों को तोहफा और संदेश देने के लिए धामी ने वही दिन चुना, जिस दिन संसद ने कृषि कानून वापस लेने पर मुहर लगाई। किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर उत्तराखंड में ऊधमङ्क्षसहनगर जिले में ही देखा गया है। धामी ने जिले की ही बंद पड़ी सितारगंज चीनी मिल में पेराई सत्र शुरू कर आसपास के तकरीबन 25 हजार किसानों तक सरकार का संदेश भी पहुंचा दिया। चीनी मिल शुरू होने से रोजगार के बंद पड़े अवसरों में भी नई जान फूंकी गई। इस पेराई सत्र में बंद पड़ी एक और चीनी मिल को भी प्रारंभ करने की जोरशोर से तैयारी है। बीमारू करार देकर इन मिलों को बंद करने का निर्णय पहले लिया जा चुका है। मिलों की हालत सुधारने के कदम को सरकार किसानों के हित में बताने के साथ इस मौके का उपयोग विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस पर पलटवार के लिए भी कर रही है।

कांग्रेस के काल में चीनी मिलों की दुर्दशा: यतीश्वरानंद

मुख्यमंत्री ने बीते सोमवार को जिसवक्त सितारगंज में गन्ना किसानों के लिए नई घोषणा की, ठीक उसी वक्त देहरादून में गन्ना व चीनी मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद चीनी मिलों की दशा के लिए पिछली कांग्रेस सरकार पर ठीकरा फोड़ा। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को मुख्यमंत्री धामी का करीबी माना जाता है। हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण सीट से विधायक यतीश्वरानंद पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री हरीश रावत को पटखनी दे चुके हैं। विभागीय मंत्री के रूप में यतीश्वरानंद गन्ना किसानों को समय पर भुगतान को लेकर भी सक्रिय हैं। उन्होंने दावा किया कि गन्ना किसानों को पिछले करीब 40 सालों में पहली दफा तेजी से गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी देवभूमि में भरेंगे हुंकार, दिसंबर शुरुआत में दून तो अंतिम सप्ताह में कुमाऊं में होगी रैली

गेहूं और धान मूल्य का भी हुआ रिकार्ड भुगतान: बंशीधर भगत

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन के दौर में भी भाजपा सरकार ने किसानों के भुगतान को सधे अंदाज में अंजाम दिया है। पहले गेहूं और फिर धान की खरीद का भुगतान किसानों के खाते में हुआ। खाद्य मंत्री बंशीधर भगत का कहना है कि पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में किसानों को गेहूं और धान मूल्य का रिकार्ड भुगतान पारदर्शिता के साथ किया गया है। कोरोना संकट के बावजूद सरकार ने किसानों के हित का ध्यान रखा। अब गन्ना किसानों को भी इसी तर्ज पर भुगतान किया जाएगा।

यह भी पढ़ें- Uttarakhand Devasthanam Board: विपक्ष के हाथ से फिसला एक और मुद्दा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.