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    उत्‍तराखंड के युवाओं के लिए कैबिनेट का अहम फैसला, सूचना प्रौद्योगिकी और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में खुलेंगे रोजगार के द्वार

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 07:51 PM (IST)

    उत्तराखंड कैबिनेट ने विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति को मंजूरी दी है। यह नीति राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग डेटा संकलन और पारिस्थितिकी संरक्षण को बढ़ावा देगी। इसका उद्देश्य उत्पादन और सेवा क्षेत्रों को तकनीक से जोड़ना कृषि और पर्यटन को मजबूत करना है। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी और राज्य तकनीकी नवाचार में आगे बढ़ेगा।

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    धामी कैबिनेट की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति को मंजूरी देने से मिलेंगे दूरगामी लाभ. Concept

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून । उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है यह नवीन तकनीकी राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के विज्ञानी एवं संतुलित उपयोग को बढ़ावा देती है, साथ ही डाटा संकलन, पारिस्थितिकी संरक्षण, आजीविका संवर्धन, नवाचारी योजनाओं को प्रोत्साहन और नई तकनीकों के उपयोग में भी सहायक है। धामी मंत्रिमंडल ने बुधवार को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति को मंजूरी दी।

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    इस नीति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के पीछे सरकार की मंशा उत्पादन क्षेत्र (प्रोडक्शन) और सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) को तकनीकी से जोड़कर आधुनिक कृषि, पर्यटन, के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। साथ में जैव प्रौद्योगिकी, स्किल डेवलपमेंट, पेटेंट / भौगोलिक संकेत (जीआइ), स्टेम एजुकेशन, राज्य में साइंस कारिडोर जैसे कदम भी बढ़ाए जा सकेंगे।

    देश में केवल कुछ ही राज्यों के पास अपनी विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति है। अब उत्तराखंड भी ऐसे राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। यह नीति एक ''छत्र नीति'' (अंब्रेला पालिसी) के रूप में कार्य करेगी, जो शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और सरकारी नीतियों को एकसमान दिशा में जोड़कर तालमेल स्थापित करेगी।

    साथ ही, यह राज्य के शीर्ष संस्थानों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग को बढ़ावा देगी, जिससे सतत विकास के लक्ष्यों को तेजी और प्रभावशीलता से हासिल किया जा सकेगा। इस नीति से मिलने वाले प्रमुख लाभों में आर्थिक सशक्तीकरण के तहत स्थानीय उद्योगों, स्टार्टअप और उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही रोजगार सृजन के माध्यम से युवाओं के लिए कौशल आधारित अवसर भी प्राप्त होंगे।

    हिमालयी क्षेत्र में भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं के लिए उन्नत तकनीकी समाधान, सटीक जानकारी के आधार पर प्रभावी नीतिगत निर्णय के लिए डेटा संकलन एवं विश्लेषण तैयार हो सकेगा। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता का संरक्षण, राज्य को तकनीकी प्रगति की दिशा में अग्रसर करने के लिए नवाचार एवं नई तकनीक का उपयोग करने का अवसर भी देगा।

    पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास का संतुलन और राज्य को तकनीकी नवाचार के मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाने के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त भी इस नीति में शामिल किया गया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति उत्तराखंड को एक ज्ञान-आधारित, आत्मनिर्भर और भविष्य-उन्मुख राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति बनने से प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार को नई दिशा मिलेगी, जिससे राज्य की युवा पीढ़ी को लाभ मिलेगा। इससे साइबर सुरक्षा और आइटी में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

    विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति के प्रमुख बिंदु

    • राज्य में विज्ञान और तकनीक आधारित शिक्षा को स्कूल स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक बढ़ावा मिलेगा, यह रोजगारपरक भी होगी।
    • स्कूल-कालेजों में एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स ) शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। इन चार प्रमुख विषयों पर आधारित शिक्षा से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र लाभान्वित होंगे।
    • डिजिटल शिक्षा के लिए आधुनिक आइटी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित होगा।
    • साइंस कारिडोर की स्थापना से शोध और नवाचार को गति मिलेगी। राज्य के अधिक से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान रिसर्च इकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में बढ़ेंगे।
    • उच्च शिक्षा संस्थानों में रिसर्च को इंडस्ट्री से जोड़ा जाएगा ताकि शोध का लाभ सीधे उद्योगों तक पहुंच सके। इससे उद्यमी भी शोध में निवेश करने में रुचि लेंगे।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसी उभरती तकनीकों पर ट्रेनिंग कार्यक्रम प्रारंभ होने से राज्य के युवा वैश्विक तकनीकी ज्ञान से लैस होंगे और इसका लाभ राज्य के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मिलेगा।
    • स्थानीय युवाओं को स्किल डेवलपमेंट से रोजगार के अवसर मिलेंगे। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के अलावा राज्य के अन्य उच्च शिक्षा संस्थान कौशल विकास को अपने संस्थान में प्रारंभ कर सकेंगे, जिससे अधिक से अधिक युवा दक्ष मानव संसाधन के रूप में तैयार हो सकेगा।
    • आइटी सेक्टर में स्टार्टअप को बढ़ावा देकर उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे युवाओं को नवाचार के अधिक अवसर मिलेंगे और प्रतिभान युवा नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले की भूमिका में आ सकेंगे।
    • डिजिटल डाटा सेंटर और क्लाउड टेक्नोलाजी का विकास होने से जहां राज्य की साइबर सिक्योरिटी की जिम्मेदारी खुद राज्य की युवा पीढ़ी के कंधों पर होगी। वहीं, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में भी वे अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
    • ई-गवर्नेंस और डिजिटल सर्विसेज को मजबूती मिलने से अधिक से अधिक युवा आनलाइन बैंकिंग से लेकर सभी प्रकार के आनलाइन प्लेटफार्म में दक्ष बनने की दिशा में अग्रसर होंगे।