महक से आएगी किसानों के जीवन में क्रांति, सालाना टर्नओवर 1000 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य
उत्तराखंड सरकार राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सुगंधित पौधों की खेती पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसका लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करना और इस क्षेत्र का सालाना कारोबार 1000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। सरकार इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है, जिससे किसानों के जीवन में खुशहाली आ सके।

राज्य में महक क्रांति नीति के तहत 22750 हेक्टेयर में होगी सगंध खेती
केदार दत्त, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में कृषि के सम्मुख खड़ी चुनौतियों से पार पाने के लिए सगंध पादपों की खेती एक बड़े विकल्प के रूप में उभरी है। इस कड़ी में अब महक क्रांति नीति के माध्यम से किसानों के जीवन में खुशहाली लाने की तैयारी है।
इसके तहत राज्य में 22750 हेक्टेयर क्षेत्र में संगध फसलें लहलहाएंगी, जिससे 91 हजार किसान जुड़ेेंगे। सरकार का लक्ष्य राज्य में सगंध खेती का सालाना टर्नओवर 1000 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में यह टर्न ओवर 100 करोड़ रुपये सालाना है।
आर्थिकी व पारिथितिकी के मध्य समन्वय
राज्य में आर्थिकी व पारिस्थितिकी के मध्य बेहतर समन्वय पर सरकार जोर दे रही है। खेती के दृष्टिकोण से सगंध फसलें इस कसौटी पर एकदम खरी उतरती हैं। असल में खेती के सम्मुख चुनौतियों की भरमार है। पलायन के कारण खाली होते गांव, वन्यजीवों से फसल क्षति, मौसम की बेरुखी जैसे कारणों से खेती का रकबा घट रहा है। ऐसे में सगंध फसलों की ओर ध्यान गया। यह ऐसी फसलें हैं, जो स्वयं को मौसम के अनुरूप ढाल लेती हैं और वन्यजीव भी इसे क्षति नहीं पहुंचाते। साथ ही आय भी बेहतर होती है।
25 साल में नई ऊंचाइयों को छुआ
वर्ष 2002 में सरकार ने सगंध खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सगंध पौधा केंद्र की स्थापना की। तब राज्य में ऊधम सिंह नगर जिले में लगभग 200 हेक्टेयर में मेंथा समेत अन्य सगंध फसलें होती थीं और सालाना टर्नओवर मात्र दो करोड़ रुपये था। केंद्र की स्थापना के बाद देहरादून में राजावाला में स्थापित किए गए क्लस्टर में लैमनग्रास, तुलसी की खेती की गई। पहले वर्ष अपेक्षानुरूप परिणाम नहीं आए, लेकिन अगले वर्ष 2003 में अच्छी फसल ने किसानों के चेहरे खिला दिए। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य सगंध फसलों को भी राज्यभर में बढ़ावा दिया गया। वर्तमान में 109 क्लस्टर के 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 30 हजार सगंध खेती कर रहे हैं। सालाना टर्नओवर है 100 करोड़ रुपये।
अब महक क्रांति नीति से गढ़ेंगे प्रतिमान
सगंध फसलों में किसानों की रुचि को देखते हुए सरकार महक क्रांति नीति लेकर आई है। इसके तहत पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर जिलों में सात अरोमा वैली विकसित की जाएंगी। सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डा नृपेंद्र चौहान के अनुसार इन जिलों में लैमनग्रास, मिंट, डेमस्क रोज, टिमरू, तेजपात जैसी सगंध फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्य में खेती-किसानी की तस्वीर संवारने को सरकार गंभीरता से कदम उठा रही है। इसी कड़ी में सगंध सेक्टर को शिखर तक ले जाने की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। इससे किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
- गणेश जोशी, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री

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