UPCL Update: मिड टर्म पर सवालों के जवाब देगा यूपीसीएल, बताएगा कैसे उपभोक्ता हित में करार
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) 500 मेगावाट मिड टर्म बिजली खरीदने की तैयारी में है। इस पर उठ रहे सवालों के जवाब यूपीसीएल विद्युत नियामक आयोग को देगा। यूपीसीएल का कहना है कि इससे बिजली आपूर्ति स्थिर होगी। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि राज्य के पास पहले से ही पर्याप्त ऊर्जा स्रोत हैं, जिससे यह करार उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा सकता है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड पावर कारपेारेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) राज्य में 500 मेगावाट मध्यम अवधि (मिड टर्म) बिजली राउंड द क्लाक खरीदने की तैयारी में है, इसे लेकर कई तरह के सवाल हैं, जिनके जवाब यूपीसीएल की ओर से आज उत्तराखंड विद्युत नियामक आयाेग के समक्ष दिए जाएंगे। यूपीसीएल यह बताएगा कि कैसे बिजली की मिड टर्म खरीद उपभोक्ताओं के हित में है।
दरअसल यूपीसीएल करीब 500 मेगावाट बिजली मिड टर्म के लिए खरीदने की तैयारी में है। अगर यह करार होता है तो चार से पांच साल के लिए निर्धारित दरों पर यूपीसीएल बिजली खरीद सकेगा। यूपीसीएल का तर्क है कि इस करार से बिजली आपूर्ति की स्थिरता और विश्वसनीयता बढ़ेगी, खासकर उन महीनों में जब मांग चरम पर रहती है।
इसे लेकर दो तरह की राय हैं। एक पक्ष के अनुसार राज्य के पास पहले से पर्याप्त हाइड्रो और सौर ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हैं, ऐसे में महंगे मिड टर्म करार से उपभोक्ताओं पर बोझ भी बढ़ सकता है।
वहीं यह भी कहना है कि अगर खरीदी गई 15 प्रतिशत बिजली भी उपयोग में नहीं लाई गई तो संभावित लागत और हानि मिलाकर करोड़ों में होगी।
बताया जा रहा है कि 500 मेगावाट की बिजली खरीद हर दिन या माह के लिहाज से उपयोगी नहीं। कई ऐसे महीने होते हैं जब बिजली का उत्पादन और जरूरत लगभग एक समान होते हैं ऐसे में 500 मेगावाट की बिजली खरीद राज्य पर भार बढ़ाने जैसी होगी।
यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव के अनुसार मिड टर्म करार बिजली की जरूरत के लिहाज से उपयोगी है। उन्होंने कहा अभी बाहर से बिजली खरीदने पर कई बार मनमानी कीमत देकर भी बिजली नहीं मिलती। इसलिए बिजली की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए यह करार जरूरी है। बिजली मिलेगी तभी उद्योगों को दी जा सकेगी। इसलिए इस करार की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है।

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