Updated: Sun, 05 Oct 2025 10:00 AM (IST)
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए बाहरी राज्यों से सस्ती बिजली खरीदने वाली औद्योगिक इकाइयों पर 1.09 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह शुल्क अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 तक लागू रहेगा जिससे यूपीसीएल को लगभग 67 करोड़ रुपये मिलेंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। एक निश्चित समयावधि में बाहरी राज्यों से सस्ती बिजली खरीदने वाली औद्योगिक इकाइयों को अब 1.09 रुपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त शुल्क देना होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
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यह अतिरिक्त शुल्क एक अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए निर्धारित किया गया है। इस शुल्क से यूपीसीएल को करीब 67 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। दरअसल, यूपीसीएल ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर कर अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 तक अपने फिक्स्ड कास्ट की वसूली के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने की अनुमति मांगी थी।
याचिका में कहा गया कि कुछ उपभोक्ताओं ने आर्थिक लाभ के लिए कुछ घंटों में ओपन एक्सेस के माध्यम से अन्य राज्यों से अपेक्षाकृत सस्ती बिजली ली। इससे यूपीसीएल की पहले से खरीदी गई बिजली फंस गई और तय खर्च भी नहीं वसूला जा सका।
यूपीसीएल ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक बाहरी राज्यों की बिजली के उपयोग और उससे परिचालन खर्च फंसने का डेटा प्रस्तुत किया। अतिरिक्त शुल्क लगाने की मांग पर तीन प्रमुख हितधारकों ने आपत्ति भी जताई। इस पर यूपीसीएल ने कहा कि उसे सभी ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क वसूली का अधिकार है।
आयोग ने आपत्तियों पर विचार करते हुए कहा कि यह मामला पहले भी उठाया जा चुका है। नियमों के अनुसार अतिरिक्त शुल्क वसूलना सही है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि आयोग ने अतिरिक्त शुल्क 1.09 रुपये प्रति यूनिट तय किया है, जो एक अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए लागू रहेगा।
विवरण | मात्रा |
अतिरिक्त शुल्क | 1.09 रुपये/यूनिट |
फंसी बिजली | 111.68 मिलियन यूनिट |
बाहरी राज्यों से बिजली उपभोग | 613.95 मिलियन यूनिट |
बिल्ड फिक्स्ड कास्ट | 66.78 करोड़ रुपये |
यह है नियम
ओपन एक्सेस के तहत बड़े उपभोक्ता राज्य के बाहर से बिजली खरीद सकते हैं। इसके लिए उन्हें यूपीसीएल-लोकल डिस्काम से अनुमति लेनी होती है। ओपन एक्सेस में ट्रांसमिशन चार्ज और अन्य टैक्स भी जोड़े जाते हैं। छोटे या घरेलू उपभोक्ता सीधे अन्य राज्यों से सस्ती बिजली नहीं खरीद सकते। खरीदी जाने वाली बिजली का समय और मात्रा निर्धारित होती है। राज्य की नियामक समिति इसकी निगरानी करती है।
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