यहां सिग्नल ऐसे कि दिखते ही नहीं, वाहन सवार अपनी मर्जी से करते हैं आवाजाही; सुबह-शाम लगता है जाम
लालपुल तिराहा भी अनियोजित व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण है। यहां सड़कों की हालत संतोषजनक है लेकिन अव्यवस्थित यातायात की स्थिति हमेशा ही रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है ट्रैफिक सिग्नल जो अजीबो-गरीब ढंग से लगा होना।

जागरण संवाददाता, देहरादून। लालपुल तिराहा भी अनियोजित व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण है। यहां सड़कों की हालत संतोषजनक है, लेकिन अव्यवस्थित यातायात की स्थिति हमेशा ही रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है ट्रैफिक सिग्नल, जो अजीबो-गरीब ढंग से लगा होना। बीच चौक पर खड़ा पुलिस बूथ ट्रैफिक सिग्नल को ढक देता है और वाहन सवार अपनी मर्जी से आवाजाही करते हैं।
दून के चौराहों और तिराहों की बदहाल स्थिति की शृंखला में आज बारी है लालपुल की। यहां सुबह और शाम को जाम की स्थिति रहती है। स्थान पर्याप्त है, सड़कों की स्थिति भी ठीकठाक है। पर बात करें यातायात नियंत्रण की तो यहां सिस्टम की पोल खुल जाती है। लालपुल में बीच चौक पर पुलिस बूथ स्थापित है। हालांकि, इस बूथ का कोई उपयोग नहीं, यहां न तो पुलिसकर्मी बैठते हैं और न ही यहां से यातायात नियंत्रण किया जाता है।
हां यह बूथ ट्रैफिक लाइट को जरूर ढक देता है। मुख्य मार्ग पर दोनों ही छोर से आने वाले वाहनों को सामने ट्रैफिक सिग्नल स्पष्ट नजर नहीं आता। ऐसे में बिना सिग्नल देखे वाहन आवाजाही करते हैं। यही नहीं पुलिस कर्मियों की तैनाती के बावजूद यहां वाहनों की आवाजाही बेरोकटोक है। कभी-कभार कोई पुलिस कर्मी चौक के बीच खड़ा होकर वाहनों को नियंत्रित करता है, लेकिन ज्यादातर समय यहां हाल चिंताजनक हैं।
सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक लालपुल पर जाम की समस्या सबसे ज्यादा रहती है। यही नहीं तीन ओर से वाहनों के एक साथ क्रॉस करने पर दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है। लालपुल पर कहीं भी खड़े होकर सवारी उतारते-बैठाते बिक्रम भी व्यवस्था की हवा निकाल रहे हैं। साथ ही पुल पर सजी दुकानें और मजदूरों का जमावड़ा पैदल राहगीरों के लिए चलने की जगह तक नहीं छोड़ता। इस सब के बावजूद हमारा सिस्टम यहां व्यवस्था बनाने की जहमत नहीं उठाता।
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