Uniform Civil Code: लिव इन में गर्भवती हुई महिला, तो देनी होगी रजिस्ट्रार को सूचना
Uniform Civil Code उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो गई है। इसमें लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी कई प्रावधान किए गए हैं। लिव इन कपल्स को अपना रिश्ता रजिस्टर कराना होगा और लिव इन के दौरान जन्मे बच्चे को भी सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे। जानिए समान नागरिक संहिता की नियमावली में लिव इन को लेकर क्या प्रावधान किए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। Uniform Civil Code: विगत 27 जनवरी को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू हो गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन का भी पंजीकरण कराना होगा। यह बताना होगा कि कब से लिव इन में रह रहे हैं।
साथ ही लिव इन के दौरान यदि महिला गर्भवती हो जाती है तो उसकी सूचना रजिस्ट्रार को देनी अनिवार्य होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इस सूचना को अपडेट भी करना होगा। इस बच्चे को सभी वे कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे, जो विवाह के बाद होने वाली संतान के होते हैं।
नियमावली में लिव इन को लेकर पंजीकरण का प्रविधान
- प्रदेश में समान नागरिक संहिता की नियमावली में लिव इन को लेकर पंजीकरण का प्रविधान किया गया है।
- लिव का पंजीकरण रजिस्ट्रार के ही सम्मुख होगा।
- जो पहले से लिव इन में रह रहे हैं, उन्हें संहिता लागू होने के एक माह के भीतर इसकी जानकारी देनी होगी।
- अन्य को लिव इन रिलेशन में आने के एक माह के भीतर इसकी जानकारी देते हुए पंजीकरण कराना होगा।
- लिव इन पंजीकरण अथवा लिव इन समाप्ति के पंजीकरण के लिए आवेदन पर यदि रजिस्ट्रार 30 दिन तक कार्यवाही नहीं करता तो मामला रजिस्ट्रार जनरल के पास चला जाएगा। वह इसकी आनलाइन अथवा आफलाइन सुनवाई कर मामले का निस्तारण करेंगे।
पंजीकरण के लिए लिए चार स्तरीय प्रक्रिया
लिव इन व विवाह के पंजीकरण के लिए लिए चार स्तरीय प्रक्रिया बनाई गई है। ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को सब रजिस्ट्रार और एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे। नगर पंचायत व नगर पालिका क्षेत्र में कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार और एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे। नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार तो कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे।
छावनी क्षेत्र में संबंधित सीईओ रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल आफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इन सभी के विरुद्ध की अपील के लिए रजिस्ट्रार जनरल होंगे जो सचिव स्तर के अधिकारी होंगे।
आधार नंबर से बनेगी आइडी
समान नागरिक संहिता पोर्टल पर आवेदन करने के लिए आवेदक आधार नंबर के जरिये अपनी आइडी बना सकेगा। इस आइडी के आधार पर वह पोर्टल में अपना पंजीकरण कर सकेगा।
आवेदन स्वीकृत न होने पर अपील की व्यवस्था
समान नागरिक संहिता पोर्टल पर पंजीकरण के लिए सब रजिस्ट्रार आवेदन का 15 दिन के भीतर दस्तावेज व सूचना की जांच करते हुए आवेदन को स्वीकृत या निरस्त करेंगे। अस्वीकृत करने की सूचना आवेदक को भी ई-मेल या वाट्स एप नंबर के माध्यम से दी जाएगी।
गलत सूचना देने अथवा नियमों का उल्लंघन करने पर वह इसकी सूचना पुलिस को देंगे और संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना भी लगा सकेंगे। विवाह की जानकारी सत्यापित न होने पर इसकी सूचना आवेदक के माता-पिता को भी दी जाएगी।
वहीं, रजिस्ट्रार सब रजिस्ट्रार के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला लेंगे। लिव इन का पंजीकरण करेंगे और लिव इन या विवाह के नियमों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे। रजिस्ट्रार जनरल रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के खिलाफ अपील की सुनवाई करेंगे। वह 60 दिन के भीतर इसका निस्तारण करेंगे।
विवाह का पंजीकरण 60 दिन में होगा करवाना
संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर करवाना होगा। 27 मार्च 2010 के बाद हुए ऐसे विवाह, जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है, उन्हें भी छह माह के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
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