UKSSSC Paper Leak : एसटीएफ ने एक और आरोपित दबोचा, वीडीओ भर्ती परीक्षा की जांच एसटीएफ को ट्रांसफर
UKSSSC Paper Leak आरोपित को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। हालांकि पुलिस ने गिरफ्तारी संबंधी आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। वहीं वर्ष 2016 में हुई वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) की परीक्षा में धांधली की जांच विजिलेंस से एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स ) को ट्रांसफर कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : UKSSSC Paper Leak : यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण में एसटीएफ ने एक और आरोपित को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा कि आरोपित को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, पुलिस ने गिरफ्तारी संबंधी आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।
सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार किया गया आरोपित उत्तर प्रदेश के नकल माफिया सैयद सादिक मूसा का गुर्गा है। आरोपित ने अपने गाजियाबाद स्थित एक फ्लैट में अभ्यर्थियों को पेपर हल कराया था। पेपर लीक मामले में एसटीएफ अब तक 37 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है।
हालांकि, इनमें से दो गिरफ्तारियों की पुष्टि अब तक एसटीएफ ने नहीं की है। दूसरी तरफ, हाकम सिंह रावत की संपत्तियों की पड़ताल में एसटीएफ की टीम ने सांकरी स्थित उसके रिजार्ट में डेरा डाला हुआ है। उसकी सं त्तियों का आकलन किया जा रहा है।
सीएम के आदेश पर जांच विजिलेंस से एसटीएफ को ट्रांसफर
वर्ष 2016 में हुई वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) की परीक्षा में धांधली की जांच विजिलेंस से एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स ) को ट्रांसफर कर दी गई है। विजिलेंस ने प्रकरण में अब तक की गई जांच की रिपोर्ट भी एसटीएफ को सौंपी दी है। इस परीक्षा में ओएमआर सीट से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था, जिसके बाद परीक्षा दोबारा हुई।
इसमें सामने आया कि जो अभ्यर्थी पहले हुई परीक्षा की चयन सूची में टापर था वह दूसरी बार हुई परीक्षा में सबसे नीचे आ गया। इस प्रकरण में वर्ष 2020 में विजिलेंस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। विजिलेंस की जांच धीमी पड़ने के कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने जांच एसटीएफ को सौंप दी है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वर्ष 2016 में ग्राम विकास अधिकारी के 197 पदों के लिए परीक्षा कराई थी। परीक्षा में एक लाख से अधिक युवा शामिल हुए थे, लेकिन धांधली की बात सामने आने पर परीक्षा रद कर दी गई। इसके बाद वर्ष 2017 में परीक्षा दोबारा कराई गई।
इस बार वर्ष 2016 में हुई परीक्षा में टापर रहे छात्र एकाएक चयन सूची में सबसे नीचे आ गए। इससे वर्ष 2016 में हुई परीक्षा में धांधली की पुष्टि हुई थी। प्राथमिक जांच के बाद विजिलेंस ने मामले में जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज कर लिया था।
ओएमआर शीटों से की गई थी छेड़छाड़
विजिलेंस की जांच में सामने आया कि परीक्षा की ओएमआर सीट में छेड़छाड़ की गई थी। इसकी पुष्टि फोरेंसिक जांच में भी हुई है। छेड़छाड़ किसने की इसकी अभी जांच चल रही है। इसी कारण मुकदमे में किसी को भी नामजद नहीं किया गया। ढाई सालों में विजिलेंस की जांच बेहद धामी रही।