UKSSSC Paper Leak: वर्षों की मेहनत से परीक्षा की पास, अब नौकरी हाथ से जाने का खतरा
UKSSSC Paper Leak Case उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के मामले में अभ्यर्थी बोले कि पेपर लीक हुआ है तो इसके लिए आयोग जिम्मेदार है। उन्हें इसकी सजा नहीं मिलनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, देहरादून : UKSSSC paper leak Case बेरोजगारी की मार झेल रहे उत्तराखंड के नौजवानों का किसी सरकारी नौकरी में चयन होना युद्ध जीतने से कम नहीं है। लेकिन अगर चयन के बाद हाथ लगी नौकरी पर संकट के बादल घिर जाएं तो इससे भयावह कुछ और नहीं हो सकता। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने के बाद आज कुछ ऐसी ही परिस्थिति से राज्य के युवा गुजर रहे हैं।
प्रदेश में पिछले कुछ सालों से हाकम सिंह रावत जैसे माफिया सरगर्म हैं, जिसके कारण नौकरियां बिकने लगी हैं। प्रधान व जिला पंचायत सदस्य लाखों रुपये देकर नौकरी पा गए जबकि वर्षों से मेहनत करने वाले नौजवान अब भी धक्के खा रहे हैं।
भूतपूर्व सैनिक कोटे से स्नातक की परीक्षा पास करने वाले प्रवीन असवाल ने कहा कि उन्होंने मेहनत से नौकरी हासिल की है, यदि पेपर लीक हुआ है तो इसके लिए आयोग जिम्मेदार है।
यदि सरकार इस भर्ती को रद करने का निर्णय लेती है तो इससे पहले पूर्व में हुई भर्तियां रद हो, क्योंकि नकल माफिया आज से नहीं पुरानी भर्तियों से ही नकल करवाकर परीक्षा पास करवा रहे हैं। परीक्षा पास करने वाले कुछ अभ्यर्थियों ने मंगलवार को बातचीत कर अपनी बात रखी।
नकल करवाने वालों को मिले सजा
चिन्यालीसौड उत्तरकाशी निवासी आनंद पाल ने बताया कि उन्होंने देहरादून में किराए पर कमरा लेकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। नौकरी पाने के लिए उन्हें नौ साल लग गए। स्नातक परीक्षा में उनकी आरक्षित कोटे में चौथी रैंक आई है, लेकिन अब जब नौकरी मिली है तो उस पर विवाद हो गया है। सरकार को चाहिए कि नकल करने वालों की पहचान कर उन्हें सजा दी जाए।
परीक्षा पास करने को मैंने वर्षों मेहनत की
सतपुली पौड़ी गढ़वाल निवासी अजय सिंह ने बताया कि स्नातक परीक्षा ( UKSSSC) में उन्होंने 21वीं रैंक हासिल की है। इसके लिए उन्होंने वर्षों मेहनत की। अब यदि पेपर लीक का मामला सामने आ रहा है तो इसमें उनका क्या कसूर है। बीपीडीओ, सचिवालय व कनिष्ठ सहायक की परीक्षा पास करने के बावजूद भी नौकरी नहीं मिल पा रही है।
ट्यूशन पढ़ाकर उन्होंने खुद की भी तैयारी की
थराली चमोली निवासी महेशानंद जोशी ने बताया कि उन्होंने मेहनत के बल पर परीक्षा में 38वीं रैंक हासिल की। ट्यूशन पढ़ाकर उन्होंने खुद की भी तैयारी की। अब स्वजनों का सपना साकार हुआ तो भर्ती विवादों में आ गई है। यदि सरकार को कार्रवाई करनी है तो शुरू से हुई भर्तियों को रद्द किया जाए, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब कुछ व्यक्तियों ने नौकरी बेचने का काम किया।
मेहनत से परीक्षा पास करने वालों के साथ न हो अन्याय
बीपीडीओ परीक्षा में 150वीं रैंक हासिल करने वाले पुरोला उत्तरकाशी निवासी अंकित सिंह ने बताया कि उसने अपनी मेहनत से परीक्षा पास की है। वह कनिष्क सहायक, डीएलएड व अन्य परीक्षाएं भी पास कर चुका है, लेकिन बीपीडीओ में नंबर आने के बाद उन्होंने अन्य नौकरियां ज्वाइन नहीं की। सरकार इस मामले में गंभीरता से जांच करवाएं, और मेहनत से परीक्षा पास करने वालों के साथ अन्याय न करें।
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