UKSSSC Exam Cancelation: धामी सरकार ने एक बार फिर दिखाया दम, जीता युवाओं का विश्वास
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेपर लीक मामले में स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द करने की मंजूरी दी। सरकार ने सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया जिससे युवाओं का विश्वास बढ़ा। गड़बड़ी सामने आने पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई और छात्रों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा हुई। जांच आयोग की सिफारिश पर परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया, जिससे युवाओं की मांग पूरी हुई।

मुख्यमंत्री ने किया साफ जनहित में बड़ा निर्णय लेने से नहीं हटेंगे पीछे। आर्काइव
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेपरलीक प्रकरण पर एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट मिलते ही स्नातक स्तरीय परीक्षा निरस्त करने का अनुमोदन दिया। यह आसान कदम नहीं था। इस त्वरित व दो टूक निर्णय से धामी सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जनहित से जुड़े विषय पर वह बड़े से बड़ा निर्णय लेने से पीछे नहीं रहेगी। सरकार के इस निर्णय से युवाओं में सरकार के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।
प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं को लेकर पूर्व में उठते रहे सवालों को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया। इस निर्णय ने प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर युवाओं के मन में उठ रहे संशयों को दूर करने का काम किया। नतीजतन इसके बाद हुई 13 परीक्षाएं निर्विघ्न व शांतिपूर्ण संपन्न हुई। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई होनहार छात्रों ने एक से अधिक परीक्षाओं को पास किया। हाल ही में हुई अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की परीक्षा में प्रश्नपत्र के कुछ अंश बाहर आए तो प्रदेश सरकार ने इसमें भी त्वरित कदम उठाए।
यह प्रकरण सामने आने पर मुख्यमंत्री धामी लगातार स्थिति पर नजर बनाए रहे। साथ ही ये भी आश्वस्त किया कि युवाओं के हितों पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी। बड़ा दिल दिखाते हुए मुख्यमंत्री धामी स्वयं ही देहरादून में आंदोलनरत युवाओं के बीच गए। साथ ही उनकी भावनाओं से स्वयं को जोड़ते हुए प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने की संस्तुति की घोषणा की। यह भी साफ किया कि आंदोलन के दौरान छात्रों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इसके अलावा ये भी कहा था कि यदि छात्र हित में इससे भी आगे निर्णय लेना होगा तो सरकार पीछे नहीं हटेगी। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह युवाओं के लिए सिर झुका भी सकते हैं और सिर कटा भी सकते हैं।
इधर, सरकार की ओर से गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग की ओर से आयोजित जनसंवाद के दौरान युवाओं ने परीक्षा व्यवस्था से जुड़ी व्यवस्थागत खामियों को इंगित किया। आयोग की रिपोर्ट में भर्ती परीक्षा को निरस्त करने की संस्तुति की गई, जिस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल अनुमोदन दे दिया। साथ ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भी इस संबंध में निर्णय लेने में देर नहीं लगाई। जाहिर है कि, मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं की मांग के अनुरूप निर्णय लेकर दम दिखाया है।
विपक्ष की धार की कुंद
भर्ती परीक्षा के प्रकरण को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच भाजपा के भीतर भी कुछ सुगबुगाहट थी। यही नहीं, युवाओं के आंदोलन को विपक्ष के आरोपों ने भी हवा देने का काम किया। कारण यह कि विपक्ष इसे बड़े मुद्दे के रूप में देख रहा था और सरकार के विरुद्ध हमलावर था। यद्यपि, पिछले चार साल में जब भी ऐसे अवसर आए, तब मुख्यमंत्री ने विपक्ष को उसी के हथियार में मात देने का प्रयास किया। ताजा मामले में भी ऐसा ही हुआ। विपक्ष ने प्रकरण की सीबीआइ जांच की मांग पर जोर दिया। जब मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की तो विपक्ष परीक्षा निरस्त करने की मांग पर अड़ गया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक व रणनीतिक कौशल से परीक्षा निरस्त करने का निर्णय भी ले लिया।
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