UKPSC PCS Toppers: किसी ने मसूरी की पगडंडियों से निकाली सफलता की राह, तो किसी ने यूपी के बाद उत्तराखंड में भी पाई चौथी रैंक
UKPSC PCS Toppers मसूरी के एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुख रखने वाले अनिल सिंह रावत ने अपने सपने की ओर कदम बढ़ाए हैं। वहीं उत्तराखंड पीसीएस में दूसरा स्थान हासिल करने वाले वैभव कांडपाल ने तीन माह के भीतर यह दूसरी बड़ी सफलता हासिल की है। यूपीपीएससी के पीसीएस-2022 के परिणाम में चौथे स्थान पर रहीं आकांक्षा गुप्ता ने यूपीएससी के परिणाम में भी चौथा स्थान हासिल किया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। UKPSC PCS Toppers: मसूरी के एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुख रखने वाले अनिल सिंह रावत ने भी अपने सपने की ओर कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने पीसीएस परीक्षा में पांचवीं रैंक हासिल की है। अनिल की प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय पौखाल से ग्रहण की।
2014 में उन्होंने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुड़दौड़ी से बीटेक किया। इसके बाद एक निजी कंपनी में नौकरी की। जहां उनका मन नहीं लगा। क्योंकि सपना कुछ और ही था। जी जान से तैयारी की और अपनी लगन के चलते पीसीएस परीक्षा में सफलता हासिल की।
उनके पिता चंद्र सिंह नगर पालिका मसूरी में ग्रुप-डी कर्मचारी हैं। मां लीला देवी गृहणी हैं। अनिल ने बताया कि वह तीन भाई-बहन हैं। बहन प्रिया दून में एक निजी अस्पताल में फार्मेसिस्ट है, जबकि भाई रोहित दिल्ली विवि से बीकाम आनर्स कर रहे हैं।
वैभव कांडपाल को तीन माह के भीतर मिली दूसरी बड़ी सफलता
उत्तराखंड पीसीएस में दूसरा स्थान हासिल करने वाले वैभव कांडपाल ने तीन माह के भीतर यह दूसरी बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने अधिशासी अधिकारी परीक्षा में भी प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया था। फिलहाल वह उत्तराखंड प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान नैनीताल में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
अल्मोड़ा निवासी वैभव शुरू से ही होनहार छात्र रहे हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा विवेकानंद विद्या मंदिर लोहाघाट से ग्रहण की। इंटरमीडिएट में उन्होंने प्रदेश की वरीयता सूची में स्थान बनाया था। इसके बाद वैभव ने वर्ष 2017 में पंतनगर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन में बी-टेक किया। इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी में नौकरी की। इसी दौरान वह अपनी तैयारी भी करते रहे।
पहले अधिशासी अधिकारी परीक्षा और अब पीसीएस में सफलता हासिल कर एक नई मिसाल पेश की है। वैभव की मां लीला कांडपाल जीजीआइसी लोहाघाट में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं और उनके पिता राजेंद्र प्रसाद कांडपाल कुमाऊं मंडल विकास निगम में प्रबंधक रह चुके हैं। वैभव ने अपनी तैयारी दून स्थित प्रयाग कोचिंग एकेडमी से की है।
पंख फैला परवाज भर रही बेटियां
बेटियां आज अपने पंख फैलाकर खुले आसमान में परवाज भर रही हैं। वह अपने सपनों को हकीकत में बदलना जानती हैं। काशीपुर की रहने वाली सामान्य परिवार की लड़की यक्षी अरोड़ा भी उन्हीं में एक है। उन्होंने पीसीएस परीक्षा में अपने पहले ही प्रयास में सातवीं रैंक हासिल की है।
यक्षी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर से प्राप्त की। वर्ष 2013 में बारहवीं और फिर कुमाऊं विवि से बीएससी की पढ़ाई की। बीएससी में वह गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। इसके बाद दून के डीबीएस कालेज से एमएससी की। इस बार भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
वह बताती हैं कि बारहवीं में वह उत्तराखंड बोर्ड की वरियता सूची में थी। मेधावी छात्रा के तौर पर उन्हें सरकार की ओर से टैबलेट प्रदान किया गया। यह टैबलेट उन्हें तत्कालीन एसडीएम ने दिया। उन्हें देखकर ही मन में प्रशासनिक सेवा में जाने का ख्याल आया।
एक सपना देखा था, जो अब पूरा होने वाला है। उनके पिता सुशील कुमार खुद का व्यवसाय करते हैं। वहीं मां गृहिणी हैं। उन्होंने पीसीएस की तैयारी दून के प्रयाग आइएएस अकादमी से की। संस्थान के निदेशक आरए खान ने उनकी इस सफलता की बधाई दी है।
यूपी के बाद आकांक्षा ने उत्तराखंड में भी पाई चौथी रैंक
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पीसीएस-2022 के परिणाम में चौथे स्थान पर रहीं देहरादून की आकांक्षा गुप्ता ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के परिणाम में भी शीर्ष सूची में चौथा स्थान हासिल किया। वर्तमान में बिजनौर, उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षु एसडीएम के पद पर तैनात आकांक्षा और उनके स्वजन इस दोहरी सफलता से प्रफुल्लित हैं।
उत्तराखंड पीसीएस में सफल रहने के बाद उत्तर प्रदेश की नियुक्ति छोड़ने के सवाल पर आकांक्षा ने बताया कि अभी उन्होंने इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। वह अपने स्वजन से विचार-विमर्श के बाद इस पर निर्णय लेंगी। दैनिक जागरण से बातचीत में आकांक्षा गुप्ता ने बताया कि वह पिछले छह सालों से सिविल सेवा की तैयारी कर रही थीं और उत्तराखंड में उन्हें पहले ही प्रयास में यह सफलता मिल गई है।
उत्तर प्रदेश पीसीएस में उन्हें यह सफलता पांचवें प्रयास में मिली थी। आकांक्षा ने बताया कि बचपन से उनका सपना सिविल सेवा में जाने का था, यह उनके माता-पिता के कारण पूरा हुआ है। आकांक्षा का परिवार देहरादून में पाश इलाके मोहितनगर में रहता है। उनके पिता नरेंद्र गुप्ता टाइल्स कारोबारी हैं, जबकि मां सपना गुप्ता गृहणी हैं।
दो भाई-बहनों में आकांक्षा बड़ी हैं जबकि उनका छोटा भाई आकाश गुप्ता आइआइटी गांधीनगर में पढ़ रहा है। आकांक्षा की प्रारंभिक शिक्षा सेंट ज्यूड्स स्कूल से हुई है। इसके बाद आकांक्षा ने मसूरी रोड स्थित डीआइटी यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। बीटेक के बाद उन्हें इंफोसिस में नौकरी करने का अवसर मिला, लेकिन नौकरी करने के बजाय उन्होंने मां का उन्हें सिविल सेवा में भेजने का सपना पूरा करने की ठानी।
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