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    समान नागरिक संहिता के तहत मैरिज रजिस्‍ट्रेशन के नियमों में बदलाव, मिली कुछ और मोहलत

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 07:21 PM (IST)

    उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण में तेजी आई है। सरकार ने पंजीकरण की समय सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक साल कर दी है। अब तक 304360 विवाह पंजीकृत हो चुके हैं और प्रतिदिन औसतन 1634 विवाह पंजीकृत हो रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कानून महिलाओं के हित में है।

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    समान नागरिक संहिता के तहत विवाह के एक वर्ष के भीतर करा सकेंगे पंजीकरण

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश में अब नागरिक विवाह करने के एक वर्ष के भीतर इसका अनिवार्य पंजीकरण करा सकेंगे। सरकार ने आमजन के सामने आ रही परेशानियों को देखते हुए इसकी समय सीमा छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी है। वहीं, समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण को लेकर आमजन में उत्साह नजर आ रहा है।

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    संहिता लागू होने के बाद अब तक 3,04,360 विवाह पंजीकृत हो चुके हैं। औसतन एक दिन में 1634 विवाह पंजीकृत हो रहे हैं। पोर्टल पर अब तक 42 जोड़ों ने लिव इन में रहने के लिए पंजीकरण कराया है। 239 विवाह-विच्छेद के आवेदन आए हैं तो 1750 पंजीकरण उत्तराधिकार के हुए हैं।

    प्रतिदिन औसतन 1600 से अधिक पंजीकरण

    प्रदेश में 27 जनवरी, 2025 से समान नागरिक संहिता कानून लागू किया गया है। इसमें विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। विवाह पंजीकरण के लिए पहले भी वर्ष 2010 में कानून बना था। इस कानून में 26 जनवरी, 2025 तक केवल 3,30,064 पंजीकरण ही हुए थे। यानी पुराने कानून में विवाह पंजीकरण के प्रतिदिन का औसत 67 था।

    समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद अब आमजन इसमें लगातार विवाह पंजीकरण करा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने आमजन की सहूलियत के लिए विवाह करने के बाद पंजीकरण कराने की समय सीमा छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी है।

    दरअसल, संहिता लागू होने के बाद भी विभिन्न कारणों से कई दंपति छह माह के भीतर इसका पंजीकरण नहीं करा पाए थे। ऐसे दंपति की समस्या को देखते हुए सरकार ने इसकी अवधि एक वर्ष कर दी है।

    ‘समान नागरिक संहिता के तहत होने वाले पंजीकरण की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। इससे कानून की व्यापकता और सार्थकता का पता चलता है। समान नागरिक संहिता के तहत होने वाला प्रत्येक विवाह पंजीकरण, एक मजबूत समाज की दिशा में ठोस कदम है। इससे विशेष रूप से महिलाओं के हित सुरक्षित हो रहे हैं।’ -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।