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पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं पहाड़ की बेटियां, खेतों में हल चलाकर तोड़ी रूढ़ियां

एकबार फिर बेटियों ने रूढ़वादी सोच को पीछे छोड़ दिया है। टिहरी जिले की कक्षा दस की छात्रा प्रिया पंवार और 36 वर्षीय मीरा रावत इन दिनों हल चलाने को लेकर चर्चा में हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 04:46 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 04:46 PM (IST)
पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं पहाड़ की बेटियां, खेतों में हल चलाकर तोड़ी रूढ़ियां
पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं पहाड़ की बेटियां, खेतों में हल चलाकर तोड़ी रूढ़ियां

मसूरी, जेएनएन। पहाड़ में एकबार फिर बेटियों ने रूढ़वादी सोच को पीछे छोड़ दिया है। टिहरी जिले की कक्षा दस की छात्रा प्रिया पंवार और 36 वर्षीय मीरा रावत इन दिनों हल चलाने को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल, पहाड़ों में हल चलाने पर पुरुषों का ही एकाधिकार माना जाता है, यहां हल चलाते हुए कम ही महिलाएं देखी जा सकती है।  

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पूरी दुनिया में बेटियां अपनी प्रतिभा के लिए किसी की मोहताज नहीं है। बेटियों ने समाज के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आज से कुछ दशकों पहले तक महिलाएं घर, गृहस्थी तक ही सीमित हुआ करती थीं। पर आज नारी शक्ति सेना और सुरक्षा बलों, अंतरिक्ष विज्ञान, पर्वतारोहण, बागवानी, प्रशासनिक, राजनैतिक, काश्तकारी, व्यापार क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है। पहाड़ की बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं और आज अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहीं हैं। साथ ही बछेंद्री पाल, तीलू रौतेली, चंद्रप्रभा अटवाल, गौरा देवी की परंपरा को आगे बढा रही हैं।

मसूरी से लगभग पचास किमी दूर टिहरी गढवाल जिले के जौनपुर विकासखंड के गैड गांव निवासी कक्षा दस की छात्रा प्रिया पंवार इन दिनों चर्चा में है। वो लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद होने पर अपने घर में है और काश्तकारी में अपने माता पिता का नाम भरपूर सहयोग कर रही है। प्रिया खेतों में हल जोत रही है, फसलों की बुआई कर रही है। प्रिया पंवार को अपने खेतों में एक मंझे हुए काश्तकार की तरह से हल चलाकर खेतों की जुताई करते हुए देखा जा सकता है। क्षेत्र में इस काम पर अब भी पुरूषों का एक प्रकार से एकाधिकार रहा है और महिलाएं हल नहीं चलाती थीं। प्रिया के पिता सूर्यासिंह पंवार अपने गांव के समीप राजकीय प्राथमिक विद्यालय थापला में अध्यापक हैं, जिन्होंने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ अपनी संस्कृति के प्रति बच्चों और अपने गांव की महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया है।

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पति के साथ हल चलाती है मीरा 

इसी तरह द्वारगढ गांव की 36 वर्षीय मीरा रावत भी अपने पति त्रेपन सिंह रावत के साथ हल चलाते और फसलों की बुआई करते देखा जा सकता है। पांच बच्चों की मां मीरा रावत घर भी संभालती है। रसोई से निपटने के बाद और बच्चों को स्कूल भेजने के बाद जंगल में घास काटकर लाती हैं और जानवरों की देखभाल भी स्वयं करती है। इसके साथ ही खेतों में पति के साथ काश्तकारी भी करती है। मीरा रावत और प्रिया पंवार आज जौनपुर विकासखंड में महिलाओं के लिए प्रेरणादायक काम कर रही हैं। 

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