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    छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून में भी दर्ज होंगे मुकदमे

    By Edited By:
    Updated: Sat, 12 Jan 2019 02:52 PM (IST)

    दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में करोड़ों के घोटाले के आरोप में एसआइटी दून में भी दो मुकदमे दर्ज करेगी। इसके लिए एसआइटी ने एफआइआर तैयार कर दी है। ...और पढ़ें

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    छात्रवृत्ति घोटाले में देहरादून में भी दर्ज होंगे मुकदमे

    देहरादून, जेएनएन। दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में करोड़ों के घोटाले के आरोप में एसआइटी दून में भी दो मुकदमे दर्ज करेगी। इसके लिए एसआइटी ने एफआइआर तैयार कर दी है। एफआइआर में दून के बड़े संस्थानों के नाम शामिल हैं। इधर, फर्जी दस्तावेजों से 10 लाख की छात्रवृत्ति हासिल करने वाले एक युवक पर भी मुकदमा होगा। एसआइटी जल्द जिला पुलिस को एफआइआर की कॉपी सौंप सकती है।

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    प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्र-छात्राओं को मिलने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इसकी जांच आइपीएस मंजूनाथ टीसी के नेतृत्व वाली एसआइटी कर रही है। जांच में एसआइटी को हरिद्वार, देहरादून और सहारनपुर में स्थित शिक्षण संस्थानों में बड़े फर्जीवाड़े के सबूत मिले हैं। इसमें आइटीआइ, पॉलीटेक्निक संस्थान और बीटेक कराने वाले संस्थान शामिल हैं।

    तीन दिसंबर 2018 को इस मामले में एसआइटी के इंस्पेक्टर जवाहरलाल की तरफ से सिडकुल थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया गया। इसमें करीब 24 संस्थान शामिल बताए गए। इस मामले की जांच अभी जारी है। जांच को आगे बढ़ाते हुए एसआइटी ने देहरादून जनपद के दस बड़े संस्थानों को रडार पर लिया है। इनमें भी लाखों रुपये की छात्रवृत्ति वितरण में गड़बड़ी हुई है। इस संबंध में एसआइटी ने दून में एक मुकदमा दर्ज करने की पूरी तैयार कर दी है। 

    एफआइआर में बड़े संस्थानों के नाम खोलने या फिर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा होना, इस पर निर्णय होने की देरी है। शासन और उच्चाधिकारियों की हरी झंडी मिलते ही एसआइटी इस मामले में मुकदमा दर्ज कर देगी। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि पहला मुकदमा डालनवाला, राजपुर थाना क्षेत्र में हो सकता है। जबकि दूसरा मुकदमा किसी मयंक नौटियाल के खिलाफ होगा। इसमें मयंक नौटियाल पर फर्जी दस्तावेजों से 10 लाख की छात्रवृत्ति हासिल करने के आरोप है।

    सत्यापन करने वाले अफसरों की बढ़ी 

    मुश्किलें 2011 के बाद छात्रवृत्ति वितरण में घपले की पुष्टि पर शासन ने संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारियों से जांच कराई थी। जांच के दौरान कई अधिकारियों ने जारी की गई छात्रवृत्ति का सही सत्यापन किए बगैर ही रिपोर्ट दे दी। खासकर 2011 से 2016 के बीच दी गई छात्रवृत्ति का सत्यापन कराने वाले अफसर भी एसआइटी की जांच के दायरे में आ गए हैं। एसआइटी इन अफसरों की भी सूची तैयार कर रही है।

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