सेवानिवृत्त शिक्षिका से ठगी का आरोपित बिहार से गिरफ्तार Dehradun News
पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड में एसएमएस जॉब वर्क दिलाने के नाम पर सेवानिवृत्त शिक्षिका से हुई 27 लाख रुपये की ठगी के मास्टरमाइंड को पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार कर लिया।
हरादून, जेएनएन। पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड में एसएमएस जॉब वर्क दिलाने के नाम पर सेवानिवृत्त शिक्षिका से हुई 27 लाख रुपये की ठगी की वारदात को बिहार के नालंदा में बैठे जालसाजों के गैंग ने अंजाम दिया था। जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य के देश भर में फैले हुए हैं। फिलहाल गिरोह का मास्टरमाइंड ही गिरफ्तार हुआ है। उसे नेहरू कॉलोनी पुलिस नालंदा से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर देहरादून पहुंची।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि ठगी के 25 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में मिले हैं, जिन्हें फ्रीज करा दिया गया है। गिरोह के बाकी के सदस्यों की तलाश की जा रही है।
बता दें, सेवानिवृत्त शिक्षिका सरोज शर्मा निवासी शास्त्रीनगर से बीते दिनों पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में एसएमएस जॉब वर्क दिलाने के नाम पर 27 लाख रुपये की ठगी कर ली गई थी। मामले में नेहरू कॉलोनी पुलिस ने 22 जून को मुकदमा दर्ज किया था। जिन मोबाइल नंबरों से सरोज शर्मा को फोन आए थे, पुलिस ने उनकी लोकेशन ट्रेस की तो उनमें से कई की लोकेशन बिहार के नालंदा में मिली। वहीं जिन खातों में रकम जमा कराई गई थी, वे बैंक खाते नालंदा, नोएडा और हरियाणा से ऑपरेट हुए थे।
इस सुराग के बाद पुलिस ने मोबाइल नंबरों की सीडीआर और बैंक खातों का स्टेटमेंट निकलवाया तो पुलिस को कई अहम सुराग मिले। पता चला कि जालसाजी बिहार के नालंदा जिले से की गई है। हालांकि सभी मोबाइल नंबर और बैंक खाते फर्जी आइडी पर खोले गए थे, लेकिन मोबाइल के एक्टिव एरिया का पता चल गया कि ठग अभी भी नालंदा में सक्रिय हैं।
एसएसआई नेहरू कॉलोनी राकेश शाह की अगुवाई में गई टीम ने काफी खोजबीन के बाद बीते सोमवार को विक्की पुत्र सुरेश निवासी ग्राम बरांडे थाना सराय, जिला नालंदा, बिहार को गिरफ्तार कर लिया गया। एसओ दिलबर नेगी ने बताया कि सरोज शर्मा से रकम नौ बैंक खातों में ट्रांसफर कराई गई थी, जिसमें से 25 लाख अभी जमा हैं। इन खातों को फ्रीज करा दिया गया है।
भाई के साथ चलाता है गैंग
विक्की काफी शातिर है। उसका सगा भाई संजीव भी उसके साथ तकरीबन हर वारदात में साझेदार है। पूछताछ में सामने आया कि उसने गांव के कई लड़कों को गैंग से जोड़ रखा था। सबको अलग-अलग काम बांट रखे थे। कुछ देश के दूरस्थ इलाकों में जाकर समाचार पत्रों में लुभावने विज्ञापन देते हैं। इनमें जो नंबर दिए जाते थे, वह विक्की के पास होते।
फोन करने वाला कोई शख्स जब झांसे में आ जाता तो वह भाई संजीव को आगे की जिम्मेदारी देता। इसके बाद अलग-अलग लोग फोन पर आगे की बात करते और रकम जमा कराते। बाद में फोन नंबर बंद कर दिए जाते।
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