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    देहरादून के एक प्रकृति प्रेमी ने देशभर में पेड़ों को ट्री गार्ड की जकड़न से दिलाई आजादी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:40 AM (IST)

    देहरादून के प्रकृति प्रेमी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर महेश चंद्र ने ट्री गार्ड के रूप में पेड़ों की पीड़ा को महसूस किया। इसके बारे में उन्‍होंने पीएमओ को बताया। जिस पर पीएमओ ने देशभर में उन पेड़ों को आजाद कराने के निर्देश दिए जो लोहे के ट्री-गार्ड में जकड़े हुए हैं।

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    देहरादून में ट्री गार्ड की जकड़न से मुक्त किया गया पेड़।

    केदार दत्त, देहरादून। जरा सोचिये, धरती को प्राणवायु देने वाले पेड़ अगर बेड़ि‍यों में जकड़े रहेंगे तो वे कैसा महसूस करते होंगे। देहरादून के प्रकृति प्रेमी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर महेश चंद्र ने पेड़ों की इस पीड़ा को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी इसका एहसास कराया। इस पर पीएमओ ने देशभर में उन पेड़ों को आजाद कराने के निर्देश दिए, जो लोहे के ट्री-गार्ड में जकड़े हुए हैं। नतीजतन केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में तो इस पर अमल भी शुरू हो गया है।

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    पीएमओ के समक्ष रखी पेड़ों की व्यथा

    देहरादून में तमाम स्थानों पर ट्री गार्ड में जकड़े पेड़ों को देख रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर महेश चंद्र इतने द्रवित हुए कि उन्होंने पेड़ों को इससे आजादी दिलाने का संकल्प लिया। इस संबंध में उन्होंने पहले मुख्य सचिव और फिर राज्यपाल को पत्र भेजे, लेकिन बात नहीं बनी। फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में यह मसला रखने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने इसी साल जुलाई में पीएमओ को पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि देहरादून में 15-20 साल पहले शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए उन पर ट्री गार्ड लगाए गए। अब ये पौधे युवा पेड़ बन चुके हैं, लेकिन इनसे ट्री गार्ड नहीं हटाए गए। इनमें से ज्यादातर ट्री गार्ड पेड़ों के मुख्य तनों में बेड़ि‍यों की तरह फंस गए हैं। पेड़ों के बेहतर विकास के लिए इन्हें हटाया जाना चाहिए।

    पीएमओ ने लिया संज्ञान

    पीएमओ ने इस पर संज्ञान लेकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके बाद मंत्रालय ने 16 अगस्त को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वन महकमों को आदेश जारी किए वे जवां हो चुके पेड़ों को ट्री गार्ड की जकडऩ से मुक्त करने के लिए कार्रवाई करें। इस क्रम में 25 अगस्त को उत्तर प्रदेश में वहां के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुकेश कुमार ने मुख्य वन संरक्षकों, वन संरक्षकों व क्षेत्रीय निदेशकों को ऐसे पेड़ों को लोहे की जालियों की जकड़न से मुक्त करने के निर्देश जारी कर दिए। वहां यह मुहिम शुरू की जा चुकी है।

    (फोटो: प्रकृति प्रेमी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर महेश चंद्र।)

    उत्तराखंड में आजाद होने लगे पेड़

    उत्तराखंड में भी पेड़ों को जकड़न से मुक्त करने की शुरुआत हो चुकी है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने तब सभी डीएफओ और विकास प्राधिकरणों को इस बारे में पत्र लिखा था। इसके बाद देहरादून में पेड़ों से ट्री गार्ड हटाने की मुहिम तेज हुई। देहरादून के डीएफओ राजीव धीमान के अनुसार विभाग ने विभिन्न मार्गों पर खड़े करीब 600 पेड़ों से ट्री गार्ड हटाए हैं। इसके अलावा मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण भी लगातार पेड़ों से ट्री गार्ड हटाने में जुटा है। अब इस मुहिम में तेजी लाई जा रही है।

    जरूरत न होने पर हटाए जाते हैं ट्री गार्ड

    सड़क किनारे अथवा सार्वजनिक स्थलों पर रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए जाते हैं। अमूमन पेड़ के 12-15 साल का होने के बाद उसे ट्री गार्ड की जरूरत नहीं होती और इसे हटाना होता है। ऐसा न होने पर तना मोटा होने पर वह ट्री गार्ड में जकड़ जाता है।

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