Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    परिवहन विभाग को नहीं दिखता वाहनों का जहरीला धुआं Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 20 Dec 2019 12:52 PM (IST)

    पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की सतर्कता को परिवहन विभाग के आंकड़े ठेंगा दिखा रहे। वाहनों के धुएं को लेकर परिवहन विभाग कतई गंभीर नहीं है।

    परिवहन विभाग को नहीं दिखता वाहनों का जहरीला धुआं Dehradun News

    देहरादून, अंकुर अग्रवाल। पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की सतर्कता को परिवहन विभाग के आंकड़े ठेंगा दिखा रहे। शहर में प्रदूषण के सबसे बड़े कारक वाहनों के धुएं को लेकर परिवहन विभाग कतई गंभीर नहीं है। वाहनों के प्रदूषण ने सड़क पर आमजन का चलना ही मुश्किल नहीं किया हुआ है, बल्कि लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही, लेकिन परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल मौन साधे हुए हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आरटीओ कार्यालय देहरादून के आंकड़े बता रहे कि इस साल जनवरी से नवंबर तक विभाग को मानक से अधिक धुआं उगलते महज 1594 वाहन ही मिल पाए। जो शहर में पंजीकृत कुल वाहन संख्या का महज 0.18 फीसद है। शहर में वाहनों की रेलमपेल के बीच ऐसे हजारों वाहन मिल जाएंगे, जो तय मानक से अधिक धुआं उगलते हैं। 

    इसमें केवल सिटी बसों, विक्रम, लोडर, डंपरों व रोडवेज बसों को ही शामिल कर लिया जाए तो हर साल प्रदूषण पर चालान का आंकड़ा दस से बीस हजार तक पहुंच जाए, मगर इस साल धुआं उगलते वाहनों पर परिवहन विभाग की ओर से की गई कार्रवाई कहीं मेल नहीं खा रही। 

    यह स्थिति तब है जब तीन माह पहले केंद्र सरकार की ओर से प्रदूषण को लेकर सख्त नियम व जुर्माना लागू किया है। आंकड़े ये भी बता रहे कि बीते साल परिवहन विभाग ने 1946 वाहनों का चालान तय मानक से अधिक धुआं उगलने पर किया था। प्रदूषण को लेकर परिवहन विभाग की कार्रवाई इस बार कम नजर आई। 

    125 पहुंची जांच केंद्रों की संख्या

    संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने से पहले दून में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या महज 18 थी। मौजूदा समय में यह संख्या 125 पहुंच गई है। यह सभी जांच केंद्र ऑनलाइन हैं। इनकी रिपोर्ट विभाग को भी मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार नए नियम लागू होने के बाद महज 25 फीसद वाहनों के ही प्रदूषण संबंधी प्रमाण पत्र बनवाए गए हैं। विभाग की उदासीनता से शहर में ऐसे हजारों वाहन बेधड़क काला धुआं उगलकर दौड़ रहे हैं। 

    काले जहर पर कोई गंभीर नहीं

    सड़कों पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहनों के धुएं से निकल रही कार्बनडाई ऑक्साइड और सल्फरडाई ऑक्साइड समेत नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी घातक गैस के कारण शहर की हवा में हानिकारक कणों की मात्रा बेहद उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। हाल में जारी आंकड़ों पर गौर करें तो दून शहर की हवा खतरनाक स्तर के आंकड़े को पार कर गई है। 

    गंभीर बात यह है कि शहर की हवा को जहरीला बना रहे कंडम वाहनों पर रोक को लेकर आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस, प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कतई गंभीर नहीं। यह स्थिति तब है जब एनजीटी यहां दस साल से अधिक पुराने वाहनों को हटाने के निर्देश दे चुका है। 

    सिर्फ कागजों में होती है फिटनेस

    व्यवस्था तो बनी है वाहनों को पूरी तरह से फिट रखकर ही सड़क पर उतारा जाए। इस व्यवस्था को सही तरीके से लागू करने के लिए मोटर यान निरीक्षक की भी तैनाती है, लेकिन यहां फिटनेस जांच में हर मानक का उल्लंघन हो रहा। फिटनेस जांच कागज पर ही पूरी जांच कर ली जाती है और शहर में हर मार्ग पर ऐसे वाहन दौड़ते मिल जाते हैं जो कहीं से फिटनेस लायक नहीं दिखते। 

    वाहन चालकों को मिली मोहलत हुई समाप्त 

    एआरटीओ प्रवर्तन अरविंद पांडे के मुताबिक, सितंबर से लागू हुए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माना काफी बढ़ा दिया गया था, जबकि वाहन चालकों में वाहनों के प्रदूषण की जांच की प्रवृत्ति ही नहीं थी। इसलिए सितंबर व अक्टूबर में वायु प्रदूषण पर बेहद कम कार्रवाई की गई। 

    एआरटीओ प्रवर्तन अरविंद पांडे ने कहा कि दून शहर में प्रदूषण जांच केंद्रों की कमी को देख वाहन चालकों को व्यवहारिकता के तहत प्रदूषण जांच कराने का मौका दिया गया था। अब यह मोहलत खत्म हो चुकी है और विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है।

    दून की हवा में बढ़ रहा प्रदूषण

    राजपुर रोड स्थित चेशायर होम में दैनिक जागरण के 'हवा की धुन सावधान दून' अभियान के तहत स्कूली छात्रों व शिक्षकों को प्रदूषण के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही छात्रों, कर्मचारियों व शिक्षकों का श्वास का टेस्ट भी करवाया गया।

    स्कूल में आयोजित अभियान में डॉ. जगदीश रावत ने छात्रों को वायु प्रदूषण और इससे होने वाले नुकसान की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दून की हवा में भी प्रदूषण बढ़ रहा है। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है। शहर में बढ़ते वाहनों की संख्या और निर्माण कार्य इसके लिए जिम्मेदार है। 

    उन्होंने छात्रों को अस्थमा, टीबी, कैंसर समेत अन्य बीमारियों की जानकारी भी दी। साथ ही प्रदूषण के कणों के शरीर में घुसने से लेकर खून के साथ मिलने और इससे फेफड़ों पर पडऩे वाले प्रभावों की भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर से प्रयास करना होगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करना होगा। 

    गाड़ियों का इस्तेमाल कम करने, निर्माण कार्य मानकों पर करने, कूड़ा न जलाने, फैक्ट्री का धुआं सीधा वायु में न छोडऩे से प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जागरूकता अभियान के दौरान सिपला लिमिटेड कंपनी की ओर से छात्रों व शिक्षकों के लिए स्पाइरोमैट्री, यानि स्वांस की जांच भी की गई।

    यह भी पढ़ें: प्रदूषण को लेकर प्रशासन गंभीर, जांच केंद्र को हर महीने देनी होगी रिपोर्ट Dehradun News

    इसके अलावा कर्मचारियों के बीपी और डायबटीज की जांच भी करवाई गई। इससे पहले चेशायर होम के चेयरमैन सेनि. जिला जज पीसी अग्रवाल और डालनवाला वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. मोहन भंडारी ने भी छात्रों व शिक्षकों को संबोधित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में चेशायर होम के कर्मचारियों ने भी सहयोग दिया।

    यह भी पढ़ें: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में बढ़ने लगा इंस्ट्रूमेंट फेल्योर, नहीं लिए जा रहे आंकड़े

    comedy show banner
    comedy show banner