भारत में इतने फीसद तक है ट्रांसफार्मर खराब होने की दर, जानिए
भारत में ट्रांसफार्मर खराब होने की औसत दर 12 से 15 फीसद है, जबकि इसका वैश्विक औसत एक फीसद से भी कम है।
देहरादून, [जेएनएन]: द इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आइसीए) की ओर से ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्स (बीआइएस) के सहयोग से हरिद्वार बाइपास स्थित एक होटल में सेमीनार आयोजित हुआ। इसका विषय 'डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर का डिजाइन, मरम्मत, प्रमाणीकरण, परीक्षण, विश्वसनीयता और इससे संबंधित अन्य मुद्दे' थे।
आइसीए इंडिया के निदेशक मानस कुंडु ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मरों में तकनीकी नुकसान में 14500 करोड़ रुपये तक खप जाते हैं। अगर ऊर्जा के दक्ष मानकों को अपनाया जाए तो इस नुकसान को बेहद कम स्तर तक लाया जा सकता है। भारत में ट्रांसफार्मर खराब होने की औसत दर 12 से 15 फीसद है, जबकि इसका वैश्विक औसत एक फीसद से भी कम है।
उत्तराखंड की बात करें तो 13 जिलों में 20 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की जाती है। हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, देहरादून, उधमसिंहनगर में पांच से छह फीसद ट्रांसफार्मर खराब होने की दर है। अगर यूपीसीएल ट्रांसफार्मरों में विशिष्ट तकनीक को अपनाए तो बढ़ती खपत के लिहाज से दीर्घकालिक लाभ होंगे। उन्होंने कहा कि भारत में होता ये है कि ट्रांसफार्मर खराब होने पर उसे मरम्मत के लिए भेज दिया जाता है। जबकि, सक्रिय मरम्मत पर ध्यान देना चाहिए।
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