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    देहरादून में केंद्र सरकार के खिलाफ गरजे ट्रेड यूनियनों के सैकड़ों कार्यकर्त्ता, जानिए क्‍या हैं इनकी मांगें

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 26 Nov 2020 04:58 PM (IST)

    उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में सरकारी अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों व उद्योगों के कामगारों ने गुरुवार सुबह गांधी पार्क के सामने विरोध प्रदर्शन किया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है।

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    उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों कार्यकर्त्‍ताओं ने गांधी पार्क के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

    देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में सरकारी अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों व उद्योगों के कामगारों ने गुरुवार सुबह गांधी पार्क के सामने विरोध प्रदर्शन किया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। विरोध प्रदर्शन की अगुवाई सीटू के प्रांतीय सचिव लेखराज, इंटक के प्रांतीय महामंत्री एपी अमोली, एटक के प्रांतीय महामंत्री अशोक शर्मा, हीरा सिंह बिष्ट कर रहे हैं।

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    वक्ताओं ने आरोप लगाए कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार मजदूर और किसान विरोधी है। उनकी गलत नीतियों के कारण देश के करोड़ों मजदूर बेरोजगार होकर आज भूखों मरने की स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक 13 करोड से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। देश को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने वाले दो वर्ग  किसान व मजदूर का गला घुटने का काम वर्तमान भाजपा सरकार कर रही है। मजदूरों के रक्षा कवच 44 श्रम कानूनों में भारी बदलाव करके किया है। आरोप लगाया कि मोदी सरकार के शासनकाल में किसानों की आत्महत्याओं का रिकॉर्ड भाजपा सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है। 

    राष्ट्रीय स्तर की 'संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा' के अनेक प्रयासों के बाद भी श्रमिक संगठनों को वार्ता का समय ना देकर केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार ने श्रमिक जगत का घोर अपमान करने का कार्य लगातार किया जाता रहा है।

    यह गिनवाई भाजपा सरकार की गलती

    • भाजपा सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के द्वारा कर्मचारियों की पेंशन छिनने का काम किया गया ।
    • दूसरा महान कार्य आज की वर्तमान मोदी सरकार द्वारा अपनी गलत नीतियों के कारण देशभर में करोड़ों की संख्या में सरकारी नौकरियां छीन कर किया गया है।
    • वर्तमान भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में विकास दर को (जीडीपी) निम्न स्तर पर व महंगाई चरम सीमा पर पहुंचाने का कार्य किया है। जिस कारण आज बेरोजगारी सर्वाधिक स्तर पर है।

    उत्तराखंड व केंद्र सरकार के सामने रखी यह मांगे

    • श्रमिकों के विरोध में जो कानूनों में बदलाव किए गए उन्हें तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
    • श्रम विरोधी 44 संशोधन को वापस लिया जाए।
    • सरकारी कर्मचारियों के एक  वर्ष तक के महंगाई भत्ते पर लगी रोक हटाई जाए।
    • सभी सेवानिर्वित सरकारी कर्मचारियों की बन्द की गई पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए।
    • भारत देश को स्वावलंबी बनाने वाले सरकारी व सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री बंद की जाए।
    • हवाई अड्डे, रेलवे, कॉलइंडिया, बैक, बीएसएनल, रक्षा कारखाने आदि को बेचने की कार्रवाई तुरंत बंद की जाए।
    • कोविड-19 महामारी के अंतराल में 13 करोड़ लोग बेरोजगार हुए। 1.5 करोड लोग नोटबंदी की गलत नीति के कारण बेरोजगार होकर भुखमरी के कगार पर हैं। उन सभी को सम्मान जनक पुनः नियुक्ति दी जाए ।
    • देशभर में सरकारी व अर्द्ध सरकारी प्रतिष्ठानों में रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियां कर उन्हें तुरंत भरा जाए और केंद्र सरकार के अधीन विभिन्न विभागों में लगभग 22 लाख रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां की जाएं।
    • आसमान छूती महंगाई पर अंकुश लगाया जाए ।
    • मोदी सरकार अपनी प्रमुख चुनावी वादों को (जिनमें प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार उपलब्ध कराना, 15 लाख रुपये की धनराशि गरीबों के खाते में जमा करना, किसानों की आय को दोगुना करना एवं विदेशों से कालाधन वापस लाने) को तुरंत पूरा करें।

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