बाघिन ने रोकी राजाजी के बाघ की घर वापसी की राह... तो क्या दोनों नहीं छोड़ना चाहते एक-दूसरे का साथ?
राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज से ऋषिकेश रेंज में आए बाघ के साथ अब एक बाघिन भी मौजूद है। घने जंगल के कारण बाघ को ट्रेंकुलाइज करना मुश्किल हो रहा है। हाल ही में बाघ ने एक मजदूर पर हमला किया था जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है। बाघ को बार-बार ट्रेंकुलाइज करना उसके लिए खतरनाक हो सकता है।

दीपक जोशी, रायवाला । राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज से देहरादून वन प्रभाग की ऋषिकेश रेंज में करीब दो सप्ताह से डेरा जमाए बाघ के साथ ही बाघिन भी मौजूद है। दोनों घने जंगल में हैं । घने जंगल की वजह से वन कर्मियों की टीम बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं कर पा रही है।
दरअसल, करीब 10 दिन पूर्व शुक्रवार को बाघ ने ऋषिकेश रेंज में पत्ते बीनने गए एक मजदूर को निवाला बना दिया था। यह बाघ बीते माह एक मई को कार्बेट से राजाजी पार्क में शिफ्ट किया गया था। खतरे को देखते हुए पार्क प्रशासन इस बाघ ट्रेंकुलाइज कर वापस मोतीचूर रेंज ले जाने की तैयारी में है।
इसके लिए विभागीय टीम कई दिनों से ऋषिकेश रेंज में मौजूद है। मगर बाघ को ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका। अब यह बात सामने आई है कि जंगल में बाघिन भी मौजूद है। इन दिनों बाघों का प्रजनन काल (मीटिंग टाइम) भी चल रहा है।
दूसरी जगह ले जाने की मांग
मजदूर पर बाघ के हमले के बाद से क्षेत्र में जनाक्रोश है। खतरे से भयभीत स्थानीय लोग बाघ को ट्रेंकुलाइज कर दूसरी जगह ले जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं, देर शाम बाघ को गढ़ी मयचक भट्टोंवाला में जंगल से लगी सिंचाई नहर पर टहलते देखा गया। जिसकी वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।
बार-बार ट्रेंकुलाइज करने के भी हैं खतरे
बाघ को बेहोश करने के लिए ट्रेंकुलाइज गन के जरिये दवाओं को डोज दी जाती है। जिसमें नशे की मात्रा होती है। बाघ को कार्बेट से लाने के दौरान करीब महीने भर पहले ही ट्रेंकुलाइज किया गया था। कम अंतराल में दुबारा ट्रेंकुलाइज करना बाघ के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। उसके व्यवहार में बदलाव और हिसंक होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।
बाघ लगातार लोकेशन बदल रहा है। उसकी मौजूदगी घने जंगल में है। जहां ट्रेंकुलाइज करना संभव नहीं है। वहां एक बाघिन पहले से मौजूद है। बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियों का होना जरूरी है। उसे ऐसी जगह पर ट्रेंकुलाइज करना होता है जहां वाहन पहुंच सके, ताकि उसे आसानी से उठाकर लाया जा सके। टीम लगातार प्रयास कर रही है। जनता से अपील है कि वन क्षेत्र के भीतर कतई न जाएं। जंगल के किनारे सुबह व शाम के वक्त न घूमे। जरूरी सावधानी बरतें। वन कर्मियों के सहयोग करें ताकि किसी प्रकार का खतरा न पैदा हो। - डा. कोको रोसे, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व देहरादून।
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