चार दोस्त, एक-एक कर सब ने चुनी मौत; पढ़िए पूरी खबर
एक मामला ऐस आया जो हैरान करने वाला है। चार दोस्तों ने सरकारी नौकरी करते हुए जीवन गुजारने की जगह एक-एक कर मौत को चुन लिया।
देहरादून, जेएनएन। चार दोस्त, सभी पुलिस महकमे में कांस्टेबिल। सभी ने सरकारी नौकरी करते हुए जीवन गुजारने की जगह एक-एक कर मौत को चुन लिया। यह किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि हकीकत है।
देहरादून में शनिवार को विजिलेंस मुख्यालय में सिपाही की गोली लगने से मौत हुई तो पता चला कि इससे पहले हरिद्वार में पुलिस महकमे में तैनात उसके तीन दोस्त भी खुदकुशी कर चुके हैं। वैसे तो सिपाही चंद्रवीर की मौत और उसके दोस्तों की खुदकुशी से जुड़े कई राज खुलना बाकी है, लेकिन इस वाकये को सुनकर हर कोई हतप्रभ है। चंद्रवीर सिंह के अवसादग्रस्त होने के पीछे की कोई ठोस वजह तो सामने नहीं आई है, मगर विजिलेंस मुख्यालय में गोली लगने से उसकी मौत होने के बाद उससे जुड़ी जो जानकारियां सामने आई है, वह हैरान करने वाली हैं।
चंद्रवीर वर्ष 2012 में 22 साल की उम्र में पुलिस में भर्ती हुआ। उसके साथ पौड़ी के रहने वाले विपिन भंडारी के अलावा जगदीश और हरीश भी महकमे में बतौर पुलिस कांस्टेबिल भर्ती हुए। तीन-चार साल तक सब ठीक चला। प्रशिक्षण अवधि पूर्ण होने के बाद सभी अलग-अलग स्थानों पर तैनात हो गए, लेकिन चारों की आपस में बातचीत चलती रही। डेढ़ साल पूर्व विपिन भंडारी ने देहरादून के मोथरोवाला में अपने घर में बेल्ट से लटककर खुदकुशी कर ली। कारण स्पष्ट नहीं हो सका। इसके कुछ ही हफ्ते बाद हरीश का शव हरिद्वार में सिंहद्वार के पास एक स्थान पर फंदे से लटका मिला। माना गया कि हरीश ने खुदकुशी की है।
पहले विपिन और उसके बाद हरीश की मौत से चंद्रवीर और उसका दोस्त जगदीश अंदर से हिल गए। दोनों ने अपने आपको संभालने की कोशिश की, लेकिन इसी बीच जगदीश ने हरिद्वार में ही सिडकुल में स्थित अपने मकान में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। एक-एक कर तीन पुलिसकर्मियों की मौत के बाद पुलिस महकमा चौंक उठा, थोड़ी छानबीन की गई तो पता चला के विपिन, हरीश, जगदीश व चंद्रवीर दोस्त हैं।
हरिद्वार की तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोरा ने तब चंद्रवीर को अपने पास बुलाया और उससे बात की। बातचीत में पता चला कि दोस्तों की मौत और सितंबर 2018 में पिता की अचानक हुई मौत से चंद्रवीर मानसिक रूप से काफी परेशान है। उन्होंने देहरादून में मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा से संपर्क किया और चंद्रवीर को उनके पास काउंसलिंग के लिए भेजा। बीते पांच-छह महीने से चंद्रवीर की देहरादून में काउंसलिंग चल रही थी।
डॉ. शर्मा ने उसके परिवार वालों को साथ बैठा कर उसे कई तरह से समझाया, जिसका उस पर असर भी हुआ। उसने भरोसा दिलाया कि अब वह ज्यादा नहीं सोचेगा। अफसरों को भी लगा कि चंद्रवीर अवसाद से बाहर आने लगा है। उसकी दिक्कत को समझते हुए बीते दिसंबर महीने में चंद्रवीर को देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया। ताकि वह नौकरी के साथ अपने परिवार के बीच रहे।
उसने बीती 18 जनवरी को देहरादून पुलिस लाइन में ज्वाइन किया और पांच फरवरी को उसे विजिलेंस मुख्यालय में गार्ड ड्यूटी में लगा दिया गया। यहां उसकी शनिवार भोर में गोली लगने से मौत हो गई।
सीजोफ्रेनिया से ग्रसित था चंद्रवीर: डॉ. मुकुल शर्मा
चंद्रवीर की काउंसलिंग करने वाले मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा ने बताया कि चंद्रवीर सीजोफ्रेनिया नामक बीमारी से ग्रसित था। काउंसलिंग के दौरान चंद्रवीर ने जो कुछ बातें बताई, उससे आशंका हुई थी कि उसके दोस्त भी कहीं न कहीं ऐसे ही हालात से गुजर रहे थे। काउंसलिंग के दौरान उसकी मानसिक स्थिति में काफी सुधार भी हुआ था, जिसका नतीजा था कि उसने देहरादून में ड्यूटी ज्वाइन की।
क्या होता है सीजोफ्रेनिया
मनोचिकित्सक के अनुसार इस बीमारी के अभी तक कोई स्पष्ट कारण नहीं पहचाने जा सके हैं। इसके लिए जेनेटिक्स (आनुवाशिकी), दिमागी केमिस्ट्री में बदलाव, वायरल इन्फेक्शन, मौसमी फेरबदल के दौरान लापरवाही और पाचन तंत्र की गड़बड़ी को भी कारण बताया जाता है। इस बीमारी में अलग-अलग शख्स के संकेत भी अलग-अलग होते हैं। लोगों में इस बीमारी के लक्षण महीनों या साल में दिखते हैं। यह बीमारी कुछ ऐसी है कि आती-जाती रहती है। अमूमन 13 से 25 साल के लोगों के बीच देखी जाती है। यह बीमारी महिलाओं की तुलना पुरुषों में अधिक होती है।
यह लक्षण दिखे तो सजग हो जाएं
- कुछ ऐसा देखना सुनना जो वाकई में हो ही नहीं रहा।
- लगता है कि उसे कोई छिप कर देख रहा है।
- शरीर को बेढंगे तरीके से रखना।
- हर मौके पर अलग तरीके से रिएक्ट करना।
- पढ़ाई-लिखाई या नौकरी में मन न लगना।
- सामाजिक गतिविधियों व नजदीकी लोगों से व्यक्ति कटने लगता है।
- रहस्यमयी चीजों या फिर धर्म से अनावश्यक जुड़ाव रखना शुरू कर देना।
दो साल पहले भी हुई ऐसी घटना
29 नवंबर 2016 की शाम पुलिस लाइन में सरकारी रायफल से चली गोली से सिपाही हुकुमचंद की मौत हो गई थी। घटना से तीन दिन पहले ही कांस्टेबिल हुकुम सिंह (46 वर्ष) पुत्र रीठू सिंह चमोली जिले से स्थानांतरित होकर देहरादून आया था। हवालात ड्यूटी से वापस लौटने के बाद वह रायफल शस्त्रागार में जमा करने जा रहे थे कि तभी गोली चल गई। पहले तो माना गया कि हुकुम ने खुदकुशी की है, लेकिन जांच में पाया गया कि दुर्घटनावश चली गोली से हुकुम की मौत हुई है।
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